: एक हिंदुस्तानी की ‘चिट्ठी’ से हुआ खुलासा: ‘हिंदुस्तान’ में काम करने वाले संग ये कैसा अन्याय हो रहा है? : संपादक महोदय, भड़ास4मीडिया, जहां हिन्दुस्तान में वेतन बढऩे की खुशी वहीं हिन्दुस्तान में कई सौ कर्मचारी बंधुवा मजदूरों की तरह कार्य कर रहे हैं। ये कर्मचारी काम तो हिन्दुस्तान वेंचर्स में ही कर रहे हैं परन्तु वेतन आउटसोर्सिंग कंपनी एडको, लखनऊ से मिल रहा है। जहां इस अखबार के बड़े लोग दूसरों को न्याय दिलाने का दावा करते हैं एवं अच्छे लेख लिख कर वाहवाही लूट रहे हैं वहीं अखबार की दुनिया में काम कर रहे कर्मचारियों के बच्चे दो वक्त की रोटी के लिए प्रत्येक दिन रो रहे हैं, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। ‘हिंदुस्तान’ में ठेकेदारी सिस्टम से कर्मचारियों की हालत दिहाड़ी मजदूरों से बदतर हो चुकी है। कहने को तो वे हिन्दुस्तान वेंचर्स में काम कर रहे हैं लेकिन वेतन दिहाड़ी मजदूरों की भी नहीं पा रहे हैं।
हिन्दुस्तान वेंचर्स के चौकीदार को ले लेजिए। वेतन मिलता है लगभग तीन हजार से भी कम। इसमें से कटता है पीएफ और बोनस। लेकिन आज तक न बोनस मिला और न ही पीएफ। कोई सुनने वाला नहीं। ज्यादा कहने पर हिन्दुस्तान के अधिकारी और ठेकेदार कपनी पूर्व केयर के मालिक कहते हैं- तुम्हे निकाल देंगे। अगस्त 2009 में केयर कंपनी लखनऊ का टेंडर समाप्त हो गया है। उन्हें मार्शल सिक्योरिटी में प्रवेश कर लिया है। पूर्व के पीएफ और बोनस का कोई अता-पता नहीं। मार्केटिंग विभाग को ले लीजिए। वेतन 3000 रुपये। काम माकिटिंग का। उन्हें लालच दिया कि हम तुम्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं और यहां कार्य करने का अनुभव सर्टिफिकेट देंगे। एमबीए के छात्रों को ट्रेनिंग के नाम पर उल्लू बनाया जा रहा है। तीन हजार में उनका आने जाने का भत्ता भी पूर्ण नहीं हो पाता।
एडिटोरियल विभाग में स्ट्रिंगरों को ट्रेनिंग के नाम पर पांच साल से भी अधिक कार्य करते हुए हो गए पर वे आज तक स्ट्रिंगर ही हैं। वेतन 3600, 4600, 7200 जिसमें मोबाइल खर्च भी शामिल है। इसमें रिपोर्टर और पेजीनेटर आदि हैं। इसी विभाग में एडको कंपनी द्वारा चपरासी का वेतन 3000 और पेजीनेटर का 6000 है। इनका पहले वाली केयर कंपनी से बोनस और पीएफ आज तक नहीं मिला। और न ही मिलेगा। अधिकारियों का कहना है कि पहले वाले एचआर भाग गए। उन्होंने सब गलत कर रखा था। केयर कंपनी भी भाग चुकी है। लाखों का बोनस और पीएफ सब समाप्त। सालों से काम कर रहे पेजीनेटर और चपरासी का हक समाप्त हो गया। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। ये हाल है हिंदुस्तान के अंदर ठेकेदारी सिस्टम का। इन कर्मचारियों के पढ़े-लिखे और योग्य होने का कोई मतलब नहीं है।
अखबार लाइन में मेरा अनुभव बताता है कि अखबार में बिहारी वाद, पूर्वी वाद, क्षेत्रवाद व रिश्तेदारवाद ज्यादा देखा गया है। बिहारी बिहार क्षेत्र के व्यक्ति को उठाने के लिए उसकी तारीफ करता है और उसे प्रमोट करता है। ज्ञानवान और अनुभव सब कूड़े में है। क्या इस हालत में इस महंगाई के दौर में उक्त कई सौ कर्मचारी अपने बच्चों को संतुलित भोजन और अच्छी शिक्षा दे सकेत हैं? अपने मां-पिता की देखभाल कर सकते हैं? ड्यूटी दिन रात की है। काम करने कोई समय निधारित नहीं है। सुबह आठ से रात तीन बजे तक, कभी भी, अधिकारियों की जब मर्जी, बुला लें। यदि मना कर दिया तो बाहर का रास्ता तय है क्योंकि आपने उनकी बात नहीं मानी। अधिकारियों का कहना है कि काम तो करना ही पड़ेगा पर वेतन बढ़ाने को हमसे मत कहो।
श्रम विभाग के जांच अधिकारी आते हैं हर महीने चंदा वसूली कर जाते हैं। उस विभाग के पास भी इन गरीब कर्मचारियों के लिए समय नहीं है। यह हालत हिन्दुस्तान अखबार की ही नहीं, कई दूसरे बड़े अखबारों की भी है। वहां भी ठेकेदारी सिस्टम है। वहां भी आउटसोर्सिंग से काम हो रहा है। इन कई सौ कर्मचारियों का बीमा तक नहीं है। यदि ये काम करते समय दिन या रात में दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं तो इन कर्मचारियों की कोई सुनने वाला नहीं। क्योकि जब जीवन है तब कोई नहीं सुन रहा तो मरने के बाद कौन सुनेगा।
ट्रेनिंग के नाम पर एमजेएमसी के छात्रों से काम कराया जाता है जबकि कानून में इनके लिए भी मानदेय निश्चित होता है लेकिन उन्हें फ्री में काम करना पड़ रहा है। उक्त समस्या को देखते हुए हिंदुस्तान, देहरादून के कई डिजाइनर छोड़ चुके है तथा हिन्दुस्तान, मेरठ से पेजीनेटर वीर प्रकाश ने छोड़ दिया है जो अब मेरठ आई नेक्स्ट में कार्य कर रहे हैं। आज ‘हिन्दुस्तान’ अखबार में दो आउटसोर्सिंग कंपनी एडको कंपनी लिमिटेड तथा मार्शल सिक्योरिटी कार्य कर रही हैं। इन सब बातों की सत्यता के लिए आप हिंदुस्तान के बड़े अधिकारियों से अकेले में बात कर सकते हैं। पत्र में लिखी कोई बात झूठ नहीं है। आपसे अनुरोध है कि इन बातों को प्रकाशित करें ताकि दुनिया जान सके कि किस कदर चिराग तले अंधेरा है।
आपका
एक ‘हिंदुस्तानी‘
vikas
July 19, 2010 at 3:15 pm
thats right
Anup Srinarayan
July 19, 2010 at 3:48 pm
wakai yah ek gambhir smasya hai,media samuh dusare ko natikta ka path padare wale ,apne ko senior kahne wale ptrakar sab ke asb apna aur apne chahne walon ka ulloo sidha karte rahte hai
vikas
July 19, 2010 at 4:10 pm
bihar ke hindustan office me bhi bahut sare log 3 .4 hajar par kam kar rahe hain aur waha ka head bihari hi hain. apka anubhav purvagarh se grasit hai. maine dekaha hai ki char marbari jise kalam pakarne nahi ata uska vetan ek house me 3 se 4 guna jyada hai
gayni
July 19, 2010 at 5:45 pm
bihari kar udahran dekar apney mansikta jahir ki hai. yeh sab chezey her jagah hoti hai. yeh naye baat nahin hai aur yeh agey bhi hota rehega.
Hemant Kumar
July 19, 2010 at 6:04 pm
Jharkhand ke hindustan office me bhi bahut sare log 3 .4 hajar par kam kar rahe hain aur waha ka head bengle hi hain. apka anubhav purvagarh se grasit hai. maine dekaha hai ki char marbari jise kalam pakarne nahi ata uska vetan ek house me 3 se 4 guna jyada hai .
rajeshkadian
July 19, 2010 at 7:25 pm
मैं पत्रकार तो नहीं पर आपके इस वेबसाइट को कई दिनों से देखा रहा हूँ यहाँ पर 100 % के आस पास पत्रकार ही अपनी भड़ास निकालने में जुटे हैं और कई लोग अख़बार मालिकों को दोष देते है की पैसे नहीं देते , नौकरी से निकल देते है , तबादला कर देते , शोषण हो रहा है . मैं मानता हूँ की पहली नजर में यह गलत लगता है क्या हम सब ने सोचा है की इस सब का जिम्मेदार कौन है ?- हम सब जो यह जुल्म सह रहे है .
कितने अख़बार मालिक है इस हिंदुस्तान मैं और कितने कर्मचारी जरा सोचो और इस सोच को बदल डालो की आप हमेशा कर्मचारी रहोगे , माना अब जमाना आर्थिक आजादी का नारा देकर , निजीकरण के जरिये अमीरों को और अमीर करने की साचिश चल रही है , पर मैं अभी भी यह मानता हूँ कि पत्रकार वो ताकत हैं जो सब कुछ हिला सकता , हिला सकता बड़े -बड़े अख़बार मालिको का दिल और जीत सकते हैं आप अपनी बाजी और बसा सकते हैं पत्रकारिता का वो नया जहाँ – जिसमे सभी कर्मचारी ही मालिक होगे और आप का यह प्रयास अनूठा होगा और जो भारत मैं एक नई क्रांति का सूत्रपात करेगा और आर्थिक आजादी कि नई दिशा निर्धारित करेगा ,अब सोचने का नहीं बदलने का वक्त आ गया हैं .
आज जो टमाटर ५० रूपये किलो बिक रहा और जो महगाई कि मार आम आदमी को पड़ रही और हर जगह जो त्राहि -त्राहि मच रही हैं इस सब को आप रोक सकते हों और बदल सकती हैं हिन्दुस्तान कि तक़दीर आप के कारण और फिर मेरा भारत बन सकता हैं सोने कि चिड़िया और यह सब करने कि ताकत है आप सब लोगों में हैं परन्तु यह जनता आपकी तभी सुनेगी जब आप अपने सिर से अख़बार मालिकों का भुत निकाल फकों और आप सब मिल कर इक नया अख़बार निकालों औरों आप सब सोच रहों क्या में पागलों जैसी बातें लिख रहा हों -हाँ यह मेरा पागलपन भी हो सकता पर तभी जब सब पत्रकारों कि कलम और खून सुख जाए पर यह हों नहीं सकता क्योकिं मुझे विश्वास से आपकी कलम पर और आपके शुद्ध खून पर जिसमे बेईमानी कि कोई जगह नहीं और मैं पत्रकार समाज को नई आजादी कि लड़ाई में अपनी तरफ से कुछ भेंट करना चाहता हूँ और यह आपके नई अख़बार कि वेबसाइट जिसका नाम होगा – जर्नलिस्टचेन्नल.कॉम () और इसके मालिक होगे सभी पत्रकार भाई और अगर आप चाहो तो मुझे भी अपने हिस्से के सामान इक हिस्सा इसमें दे देना क्योकि बच्चे मैंने भी पालने हैं . परन्तु मेरी भी इक शर्त हैं कि इसमें हिंदुस्तान के कम से कम ७०% पत्रकार भाई इस नये समूह के बराबर हिस्से के मालिक सदस्य होगे .और यह सब इक महीने में होना चाहिए ताकि आप सब का जोश ठंडा न हो और इस नई क्रांति कि आह जलने से पहले न बुझ जाये .
मैं अपनी तरफ से भ्दस४मेदिअ के मालिक – यशवंत सिंह और जगमोहन फुटेला जी से निवेदन करता हूँ कि हिन्दुतान कि इस नई क्रांति का संचार के लिए सेवक बनकर हिन्दुतान के सभी पत्रकार भाइयों कि इक सोसाइटी बनाकर इस वेबसाइट का मालिकाना हक़ उन्हें सौप दे ताकि कल कोई फिर किसी मालिक का शिकार न हों .
जय हिंद -जय पत्रकारिता -जय हो नई क्रांति के सूत्रधार -पत्रकारों का
आपका साथी – राजेश कादियान
मोबाइल नो-९२१६३३३४३५
चंडीगढ़ -पंचकूला
rajeshkadian
July 19, 2010 at 7:27 pm
मैं पत्रकार तो नहीं पर आपके इस वेबसाइट को कई दिनों से देखा रहा हूँ यहाँ पर 100 % के आस पास पत्रकार ही अपनी भड़ास निकालने में जुटे हैं और कई लोग अख़बार मालिकों को दोष देते है की पैसे नहीं देते , नौकरी से निकल देते है , तबादला कर देते , शोषण हो रहा है . मैं मानता हूँ की पहली नजर में यह गलत लगता है क्या हम सब ने सोचा है की इस सब का जिम्मेदार कौन है ?- हम सब जो यह जुल्म सह रहे है .
कितने अख़बार मालिक है इस हिंदुस्तान मैं और कितने कर्मचारी जरा सोचो और इस सोच को बदल डालो की आप हमेशा कर्मचारी रहोगे , माना अब जमाना आर्थिक आजादी का नारा देकर , निजीकरण के जरिये अमीरों को और अमीर करने की साचिश चल रही है , पर मैं अभी भी यह मानता हूँ कि पत्रकार वो ताकत हैं जो सब कुछ हिला सकता , हिला सकता बड़े -बड़े अख़बार मालिको का दिल और जीत सकते हैं आप अपनी बाजी और बसा सकते हैं पत्रकारिता का वो नया जहाँ – जिसमे सभी कर्मचारी ही मालिक होगे और आप का यह प्रयास अनूठा होगा और जो भारत मैं एक नई क्रांति का सूत्रपात करेगा और आर्थिक आजादी कि नई दिशा निर्धारित करेगा ,अब सोचने का नहीं बदलने का वक्त आ गया हैं .
आज जो टमाटर ५० रूपये किलो बिक रहा और जो महगाई कि मार आम आदमी को पड़ रही और हर जगह जो त्राहि -त्राहि मच रही हैं इस सब को आप रोक सकते हों और बदल सकती हैं हिन्दुस्तान कि तक़दीर आप के कारण और फिर मेरा भारत बन सकता हैं सोने कि चिड़िया और यह सब करने कि ताकत है आप सब लोगों में हैं परन्तु यह जनता आपकी तभी सुनेगी जब आप अपने सिर से अख़बार मालिकों का भुत निकाल फकों और आप सब मिल कर इक नया अख़बार निकालों औरों आप सब सोच रहों क्या में पागलों जैसी बातें लिख रहा हों -हाँ यह मेरा पागलपन भी हो सकता पर तभी जब सब पत्रकारों कि कलम और खून सुख जाए पर यह हों नहीं सकता क्योकिं मुझे विश्वास से आपकी कलम पर और आपके शुद्ध खून पर जिसमे बेईमानी कि कोई जगह नहीं और मैं पत्रकार समाज को नई आजादी कि लड़ाई में अपनी तरफ से कुछ भेंट करना चाहता हूँ और यह आपके नई अख़बार कि वेबसाइट जिसका नाम होगा – जर्नलिस्टचेन्नल.कॉम (journalistchannel.com) और इसके मालिक होगे सभी पत्रकार भाई और अगर आप चाहो तो मुझे भी अपने हिस्से के सामान इक हिस्सा इसमें दे देना क्योकि बच्चे मैंने भी पालने हैं . परन्तु मेरी भी इक शर्त हैं कि इसमें हिंदुस्तान के कम से कम ७०% पत्रकार भाई इस नये समूह के बराबर हिस्से के मालिक सदस्य होगे .और यह सब इक महीने में होना चाहिए ताकि आप सब का जोश ठंडा न हो और इस नई क्रांति कि आह जलने से पहले न बुझ जाये .
मैं अपनी तरफ से bhadas4media.com के मालिक – यशवंत सिंह और जगमोहन फुटेला जी से निवेदन करता हूँ कि हिन्दुतान कि इस नई क्रांति का संचार के लिए सेवक बनकर हिन्दुतान के सभी पत्रकार भाइयों कि इक सोसाइटी बनाकर इस वेबसाइट का मालिकाना हक़ उन्हें सौप दे ताकि कल कोई फिर किसी मालिक का शिकार न हों .
जय हिंद -जय पत्रकारिता -जय हो नई क्रांति के सूत्रधार -पत्रकारों का
आपका साथी – राजेश कादियान
मोबाइल नो-९२१६३३३४३५
चंडीगढ़ -पंचकूला
Sumit sharma
July 19, 2010 at 7:42 pm
namskar yaswan ji AZAD NEWS k PF ka bhi pata laga lo kya sahi hai kya ho raha hai azad mai,input,output mai jamkar ladai ho rahi hai 2 month sai ab tak sarly nhai mili hai sab pasehan hai VTI nia delhi cout mai cash darj kara diya hai ,parkhar misrah pareshan hai nikal diya hai AZAD NEWS KI TARF DHIYAN DO
Anuj
July 19, 2010 at 7:58 pm
Weldone hindustani bhai
HINDUSTAN ke is sach ko janta ke samne la kar apne ek mahan karye kiya eske liye aap badhai ke hakdar hain.
Anuj
July 19, 2010 at 9:23 pm
Weldone *HIDUSTANI BHAI*
HINDUSTAN ke is kadve aur ghinone sach ko wo bhi us news paper ke jo hamesha dusron main kamiya nikalte hain janta ke samne la kar aapne ek kabile tarif kam kiya hai . iske liye aapka dhanywad
pawan
July 20, 2010 at 6:00 am
apka khana shai hai
yaha par sirf kamchoro ki toli hai
parwaee ka
sunil
July 20, 2010 at 11:17 am
bilkul sahi
ABC
July 21, 2010 at 2:57 am
Bhai main Rajasthan me akhbar me kam karata hun, yahan rajasthani ya MP ke log Bihar UP walon ko isliye peechhe dhakelate hai ki kahin wo rajasthan aur MP walon se aage na nikal jaaye.
Naresh
July 21, 2010 at 5:39 am
Good, Very Good Bhai.
“Bilkul Sahi Likha Hai”
aakash
July 21, 2010 at 4:26 pm
bahut khoob hai. ye hi hindustan ki asliyat hai. pata nahi pradhan sampadak shashi shekhar ye sab kyon nahi dekhte hain. ve kyon dekhe kyonki isse unhe kya fark padta hai. unhe to acchhi moti pagar milti hai. hindustan ke reporter se to ek rikha chalak ki stithi sahi hai kam se kam vo mahine me 6000 repye mahine se adhik to kama hi leta hai.
hari
July 22, 2010 at 8:31 pm
मैं भी हिंदुस्तान इलाहाबाद में कार्यरत हूँ और यहां पर भी बहुत अधिक आउट सोर्से वालो का शोषण हो रहा है सैलरी नहीं बढ़ रही है और काम बहुत अद्मिक लिया जा रहा है यदि सैलरी की बात करो तो आँख दिखाते है भड़ास के माध्यम से यदि हम सभी को ओंन रोल कर देते हैं तो सभी कर्मचारी आप का बहुत आभारी रहेगा