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एचटी मीडिया वाले छह गुना मुनाफे में

कंपनियों के कर्मचारी भले दुखी परेशान रहें, बेरोजगार-बेकार-बीमार होते रहें लेकिन कंपनियों का स्वास्थ्य खराब नहीं होना चाहिए. यह फंडा है आजकल के कारपोरेट मैनेजमेंट का. ज्यादातर मीडिया हाउस मुनाफे में इसी कारण रहते हैं क्योंकि प्रबंधन कंपनी को मुनाफे में रखने के लिए कोई भी नीच-ऊंच कर्म करने के लिए तैयार रहता है. फिलहाल हम बात कर रहे हैं एचटी मीडिया की. एचटी मीडिया का पिछले साल के शुरुआती तीन माह में आठ करोड़ रुपये का मुनाफा था.

<p style="text-align: justify;">कंपनियों के कर्मचारी भले दुखी परेशान रहें, बेरोजगार-बेकार-बीमार होते रहें लेकिन कंपनियों का स्वास्थ्य खराब नहीं होना चाहिए. यह फंडा है आजकल के कारपोरेट मैनेजमेंट का. ज्यादातर मीडिया हाउस मुनाफे में इसी कारण रहते हैं क्योंकि प्रबंधन कंपनी को मुनाफे में रखने के लिए कोई भी नीच-ऊंच कर्म करने के लिए तैयार रहता है. फिलहाल हम बात कर रहे हैं एचटी मीडिया की. एचटी मीडिया का पिछले साल के शुरुआती तीन माह में आठ करोड़ रुपये का मुनाफा था.</p>

कंपनियों के कर्मचारी भले दुखी परेशान रहें, बेरोजगार-बेकार-बीमार होते रहें लेकिन कंपनियों का स्वास्थ्य खराब नहीं होना चाहिए. यह फंडा है आजकल के कारपोरेट मैनेजमेंट का. ज्यादातर मीडिया हाउस मुनाफे में इसी कारण रहते हैं क्योंकि प्रबंधन कंपनी को मुनाफे में रखने के लिए कोई भी नीच-ऊंच कर्म करने के लिए तैयार रहता है. फिलहाल हम बात कर रहे हैं एचटी मीडिया की. एचटी मीडिया का पिछले साल के शुरुआती तीन माह में आठ करोड़ रुपये का मुनाफा था.

इस साल के पहले तीन महीने के नतीजे बताते हैं कुल 48 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. मतलब छह गुना मुनाफा. अगर फाइनेंसियल इयर की बात करें तो 2009-10 में एचटी मीडिया का शुद्ध लाभ 136 करोड़ रुपये हो गया है जो ठीक इससे पहले 90 लाख रुपये था. एचटी मीडिया कंपनी में फिलहाल हिंदुस्तान टाइम्स अखबार, मिंट अखबार और साइन इन डाट काम हैं. हिंदुस्तान मीडिया वेंचर नामक कंपनी में हिंदी दैनिक हिंदुस्तान के साथ-साथ कादंबिनी और नंदन जैसी पत्रिकाएं हैं. हिंदुस्तान मीडिया वेंचर के लोग मार्केट से आईपीओ के जरिए करीब 300 करोड़ रुपये उगाहने की तैयारी में जुटे हैं.

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0 Comments

  1. sushil Gangwar

    May 11, 2010 at 9:55 am

    कंपनियों के कर्मचारी भले दुखी परेशान रहें , magar ye log munaafe ke payedaan par har saal chad jaate hai. Kabhi badane ki bajaye ghata di jaati hai to kabhi kabhar bada bhi jaati hai. ye har company ka fanda hai . eske bal par hi munafa ho raha hai aaj karmchari ro raha hai.
    Sushil Gangwar
    http://www.sakshatkar.com

  2. सत्य प्रकाश

    May 11, 2010 at 3:03 pm

    [b]जिन लोगों ने कुछ मेहनताने की वज़ह या यूँ कहें कहने लिखने की एक मंच की वज़ह से उद्योगपतियों के मीडिया कंपनी को सींचा बनाया और मज़बूत किया उन लोगों को शायद इन मीडिया कंपनी ने कभी कुछ नहीं दिया हो ,कभी याद भी नहीं किया हो .इसका दोषी किसे मानू .मध्य वर्ग का देश प्रेम या उनकी एक जरूरत की बड़ी मीडिया कंपनी में नौकरी करना है .खैर ये तो सबको मालूम होगा कि हम सब कहीं न कहीं इस चकाचौंध में फंस ही जाते हैं .और जब ऐसे कंपनी लात मारती है तो सबसे बड़े आलोचक भी हम ही होते हैं .एक छोटे से पत्रकार ने धीरे धीरे मेहनत से एक बड़ी कंपनी खोल ली आज उनका मीडिया से जुड़ा कई कारोबार है लेकिन उनका रुख भी बस बड़ी मीडिया कंपनी के मालिकों जैसा ही है.”समरथ के नहीं दोष गोसाईं “[/b]

  3. ROCKY RANJAN PATNA

    May 12, 2010 at 11:05 am

    HINDUSTAN ME TO NICHLE WORKER KA SOSAN KAR PAISA BACHAYA JATA HAI

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