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अथ श्री आई-नेक्स्ट, आगरा कथा

आई नेक्स्ट आगरा में इन दिनों गफलत का माहौल बना हुआ है। यहां के लोगों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि हो क्या रहा है। चाहे नया हो या पुराना, सब लोग माहौल को समझने की कोशिश कर रहे हैं। आई नेक्स्ट आगरा का माहौल एकदम से तब गरम हो गया जब 7 तारीख को यहां डेस्क पर काम देख रहे गौरव भारद्वाज और क्राइम रिपोर्टर शरद त्रिपाठी ने इस्तीफा दे दिया। दोनों लोगों ने अमर उजाला ज्वाइन भी कर लिया और किसी को कानोकान भनक तक नहीं हुई। यह खबर भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हुई। आई नेक्स्ट पहले से ही कर्मियों की कमी से जूझ रहा था। इसी बीच अचानक दो और लोगों के जाने से स्थिति विकट हो गई। काम पर कोई असर न पड़े इस बात को ध्यान में रखते हुए उसी दिन शाम को ही यहां बतौर डीएनई तैनात मुकुंद मिश्रा ने डीएलए ग्रुप की पत्रिका विकासशील भारत के राहुल मिश्रा को अपने यहां बुला लिया और काम चलाया।

<p style="text-align: justify;">आई नेक्स्ट आगरा में इन दिनों गफलत का माहौल बना हुआ है। यहां के लोगों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि हो क्या रहा है। चाहे नया हो या पुराना, सब लोग माहौल को समझने की कोशिश कर रहे हैं। आई नेक्स्ट आगरा का माहौल एकदम से तब गरम हो गया जब 7 तारीख को यहां डेस्क पर काम देख रहे गौरव भारद्वाज और क्राइम रिपोर्टर शरद त्रिपाठी ने इस्तीफा दे दिया। दोनों लोगों ने अमर उजाला ज्वाइन भी कर लिया और किसी को कानोकान भनक तक नहीं हुई। यह खबर भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हुई। आई नेक्स्ट पहले से ही कर्मियों की कमी से जूझ रहा था। इसी बीच अचानक दो और लोगों के जाने से स्थिति विकट हो गई। काम पर कोई असर न पड़े इस बात को ध्यान में रखते हुए उसी दिन शाम को ही यहां बतौर डीएनई तैनात मुकुंद मिश्रा ने डीएलए ग्रुप की पत्रिका विकासशील भारत के राहुल मिश्रा को अपने यहां बुला लिया और काम चलाया।</p> <p>

आई नेक्स्ट आगरा में इन दिनों गफलत का माहौल बना हुआ है। यहां के लोगों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि हो क्या रहा है। चाहे नया हो या पुराना, सब लोग माहौल को समझने की कोशिश कर रहे हैं। आई नेक्स्ट आगरा का माहौल एकदम से तब गरम हो गया जब 7 तारीख को यहां डेस्क पर काम देख रहे गौरव भारद्वाज और क्राइम रिपोर्टर शरद त्रिपाठी ने इस्तीफा दे दिया। दोनों लोगों ने अमर उजाला ज्वाइन भी कर लिया और किसी को कानोकान भनक तक नहीं हुई। यह खबर भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हुई। आई नेक्स्ट पहले से ही कर्मियों की कमी से जूझ रहा था। इसी बीच अचानक दो और लोगों के जाने से स्थिति विकट हो गई। काम पर कोई असर न पड़े इस बात को ध्यान में रखते हुए उसी दिन शाम को ही यहां बतौर डीएनई तैनात मुकुंद मिश्रा ने डीएलए ग्रुप की पत्रिका विकासशील भारत के राहुल मिश्रा को अपने यहां बुला लिया और काम चलाया।

यह खबर लखनऊ में बैठीं शर्मिष्ठा शर्मा तकक पहुंची तो वह अपने आदमी की तलाश करने लगीं। उन्होंने अपने पास पड़े सीवी खंगाले और अमर उजाला, आगरा से कुछ दिन पूर्व कार्यमुक्त किए गए आशीष शर्मा और हिन्दुस्तान के अतुल भारद्वाज को आई नेक्स्ट ज्वाइन करने के लिए कह दिया। ये लोग ज्वाइन करने पहुंच गए। इसके बाद बात राहुल मिश्रा की आई तो उनके बारे में फैसला फिलहाल टाल दिया गया है। अगले दिन यानी आज मंगलवार को राहुल जब अपने पुराने संस्थान डीएलए पहुंचे तो लोगों ने कहा कि आपने तो आई नेक्स्ट ज्वाइन कर लिया है, यहां क्या कर रहे हैं। इस पर राहुल ने पूरी बात का खंडन किया। उनका खंडन भड़ास4मीडिया पर भी प्रकाशित कर दिया गया है। राहुल यह स्वीकार करते हैं कि वे सिर्फ इंटरव्यू देने गए थे, ज्वाइन नहीं किया था।

यहां यह बताना भी जरूरी होगा कि आई नेक्स्ट के छोटे से इतिहास में अक्सर इस तरह का माहौल बना रहा है। अक्सर कोई पत्रकार जब आई नेक्स्ट से जुडऩे के लिए समूह संपादक शर्मिष्ठा शर्मा को फोन करता है तो वह सीवी भेजने के लिए कह देती हैं और फिर शुरू होता है अभ्यर्थी के फोन करने और शर्मा के टालने का दौर, जो लम्बे समय तक चलता रहता है। इसी बीच जब पत्रकार को लगता है कि अब यहां नहीं होगा, कहीं और मौका तलाश जाए तो वह अन्य स्थानों पर प्रयास करता है। दूसरे संस्थान में उसकी बात पक्की हो जाती है और वह वहां ज्वाइन कर लेता है तब शर्मिष्ठा शर्मा का फोन अचानक आ जाता है कि आप आई नेक्स्ट ज्वाइन कर सकते हैं।

तब पत्रकार के सामने भी धर्मसंकट आता है कि वह आखिर करे क्या? इसके पीछे एक कारण अंग्रेजी भी है। शर्मिष्ठा शर्मा इससे पहले टाइम्स ऑफ इंडिया, लखनऊ में फीचर पेज देखती रहीं हैं। आई नेक्स्ट में जो भी आता है या आने की बात करता है वह ज्यादातर हिन्दी अखबार और हिन्दी पट्टी का पत्रकार होता है। शर्मिष्ठा उससे अंग्रेजी अखबार जैसी अंग्रेजी की अपेक्षा करती हैं। इस चक्कर में नए लोगों के चयन में देर लग जाती है। इसलिए अच्छे लोग संस्थान से जुड़ नहीं पा रहे हैं। आई नेक्स्ट प्रबंधन इसी साल दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान में नई यूनिटें खोलने पर विचार कर रहा है, लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि इसी तरह चला तो किस स्तर के लोग जाएंगे आई-नेक्स्ट में?

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0 Comments

  1. shyam

    August 10, 2010 at 4:04 pm

    phele tho job assurance hona chiye. kisi ko bhi aise hi kahi se utha kar kahi nahi bejne, usko time de taki woh soch sake ki i next mai survive kar saktha hai ya nahi.

  2. bhadasi

    August 10, 2010 at 6:56 pm

    yashawant ji bahut achchha likha aapne, darasal i next ke chhote se time me hi itana kuchh ho gaya hai ki paper surkhiyo me aa gaya hai, jabki akhabar ko apni khabron aur tewar ki wajah se surkhiyon me aana tha na ki aapsi jhagadon ki wajah se.
    i next achchha akhabar hai lekin prabandhan ghatiya hai. sanjay gupta agar nitiyon me thoda badlav karen to yah akhabar bahut aage ja sakta hai.

  3. PALLVI

    August 11, 2010 at 7:16 pm

    YASHWANT G BILKUL SAHI LIKHA APNE…AUR COMMENT B THEEK HAI…INEXT KHABRO KI VAJAH SE KAM APNE JHAGADO K CHALTE JAYDA SURKHIYO MAIN AAYA HAI….JIS SANSTHAN MAIN MBA KIYE LOGO KO EDITOR BANA DIYA JAYEGA TO YAHI TO HOGA…YE HAL AGRA UNIT KA NAHI SABHI JAGAH KA HAI….MALIK TO THEEK HAI…MAGAR UNKO ANKHO PER PATTI BANDH DI GAYE HAI…..

  4. devendra tripathi

    August 12, 2010 at 9:24 am

    yshawant ji itana sahi akalan mujhe to lagata hai aap patrakar nahi jyotishi hai sahi kah raha huu yaa to aapane tri kiya hai ya fir jisane bhi aapko khabar di hai bilakul sahi hai sharmistha sharama bilakul isi tarah hai aur unke aspas kam karane wale to aur bhi bheuda sale ladake kandidet par kam ladaki candidet par jada dhayan rahata hai aur mahino doudate hai so alag

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