गैर-सरकारी संगठन ‘इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एण्ड डाक्यूमेटेशन इन सोशल साइन्सेंस’ (आईआरडीएस) लखनऊ द्वारा वर्ष 2010 के लिये पांच क्षेत्रों में युवा हस्ताक्षरों को आईआरडीएस अवार्ड प्रदान किये जा रहे हैं. ये क्षेत्र हैं- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मानव अधिकार, विधि एवं न्याय, पत्रकारिता व शिक्षा. इन क्षेत्रों में दिये जाने वाले पुरस्कार हैं- आनंदी बाई जोशी पुरस्कार, सफदर हाशमी पुरस्कार, वीए शुक्ला पुरस्कार, सुरेन्द्र प्रताप सिंह पुरस्कार तथा एस रामानुजम् पुरस्कार. ये सारे व्यक्ति ऐसे थे जिनकी मृत्यु अल्प अवस्था में तब हो गयी.
इनकी मृत्यु तब हुई जब वे अपने अपने फील्ड में चोटी पर थे और उनसे बहुत कुछ अभी अपेक्षित था. ये पुरस्कार इसी आशा तथा विश्वास के साथ प्रदान किये जा रहे हैं कि इन पुरस्कारों से पुरस्कृत लोग इन महान् व्यक्तियों की बीच में ही टूट गयी संभवनाओं को पूरा करेंगे. ये पुरस्कार इस प्रकार निर्धारित किये गए हैं कि पुरस्कृत व्यक्तियों की आयु 31 मई 2010 को 45 वर्ष से कम हो. पुरस्कारों के साथ किसी प्रकार की धनराशि संबद्ध नहीं है. इस वर्ष संजय सिंह, आनंद कुमार, मोहम्मद हसन जैदी, यशवंत सिंह तथा डा. अमिता पाण्डेय को ये पुरस्कार दिए गए हैं. उल्लेखनीय है कि एवार्ड देने वाले गैर-सरकारी संगठन आईआरडीएस लखनऊ की सचिव डॉ नूतन ठाकुर हैं. एवार्ड पाने वाले लोगों का परिचय इस प्रकार है-
संजय सिंह (जन्म फ़रवरी 1975) उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के एक प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. यद्यपि उनके कार्यों तथा विचारों का विस्तार क्षेत्र इससे बहुत अधिक है. श्री सिंह ने प्रारंभ से ही मानव अधिकार को उसकी पूरी समग्रता में लिया है और वे इस पूरे इलाके में गरीबी, भूख और उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने के लिए लम्बे समय से संघर्षरत रहे हैं. समाज-शास्त्र में एमए संजय ने मात्र बीस साल की अवस्था में 1995 में सामजिक जीवन में प्रवेश कर लिया. इस कार्य हेतु उन्होंने परमार्थ समाज सेवी संस्थान की स्थापना की. उनके कुछ प्रमुख कार्य क्षेत्र हैं- आत्मसम्मान के अधिकार हेतु कैम्पेन, जीविका के संसाधनों हेतु संघर्ष, स्थानीय स्वशासन के विकास हेतु कार्य, सूचना का अधिकार हेतु कार्य आदि. इस प्रक्रिया में वे कई प्रभावकारी तथा ताकतवर लोगों की आंख की किरकिरी बने जिसमें उन्हें अपने पिता श्री लाल सिंह, जो स्वयं भी एक गण्य-मान्य सामजिक कार्यकर्ता थे, की ह्त्या का दंश भी सहना पड़ा. इसके बावजूद श्री सिंह अपने पथ से अडिग रहे.
अन्य व्यक्तियों के अतिरिक्त वाराणसी के प्रमुख मानव अधिकार कार्यकर्ता तथा ग्वांगजू मानवाधिकार पुरस्कार विजेता लेनिन रघुवंशी द्वारा भी संजय सिंह का नाम इस पुरस्कार हेतु प्रस्तावित किया गया. संजय सिंह को मानव अधिकार के लिये सफ़दर हाशमी पुरस्कार 2010 उनके द्वारा एक अत्यंत पिछड़े क्षेत्र में वहां के लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा करने के प्रयासों में अनवरत लगे रहने और उनके लिए न्याय प्राप्त करने हेतु सर्वस्व समर्पित करने के भाव के लिये प्रदान किया जा रहा है.
आनंद कुमार (जन्म जनवरी 1973) एक गणितज्ञ तथा लेखक/विचारक हैं जो मुख्य रूप से अपने बहु-चर्चित सुपर 30 कार्यक्रम के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने यह कार्यक्रम वर्ष 2002 में पटना, बिहार में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में आर्थिक दृष्टि से कमजोर छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रारम्भ किया था जिसमे 2010 तक लगभग 200 से अधिक छात्र आईआईटी में प्रवेश पा चुके हैं. श्री आनंद का जन्म के साधारण परिवार में हुआ था पर बचपन से ही उनकी गणित में गहरी अभिरुचि थी और उन्होंने छात्र जीवन से ही अंतर-राष्ट्रीय जर्नल में लिखना शुरू कर दिया था. उनके इसी अभिरुचि का परिणाम रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स था जहां उन्होंने छात्रों को गणित पढ़ाना शुरू किया.
2002 में बिहार के एक चर्चित आईपीएस अधिकारी श्री अभयानंद के साथ मिल कर उन्होंने सुपर 30 की अवधारणा बनाई और उसे मूर्त रूप प्रदान किया जिसमे गरीब बच्चों को निशुल्क आईआईटी प्रवेश हेतु प्रशिक्षण दिया जाता. यह कार्यक्रम शीघ्र ही अत्यंत लोकप्रिय हो गया. राष्ट्रीय तथा अंतर-राष्ट्रीय मिडिया ने इस कार्यक्रम को प्रमुखता से स्थान दिया है. अन्य व्यक्तियों के अतिरिक्त आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र और स्वयं में एक अत्यंत-प्रतिष्ठित लखनऊ के गणित अध्यापक श्री के सी जोशी द्वारा भी श्री आनंद कुमार का नाम इस पुरस्कार हेतु प्रस्तावित किया गया. श्री आनंद कुमार को शिक्षा के लिये एस रामानुजम पुरस्कार 2010 उनके द्वारा भारत में साधनहीन लोगों को शिक्षा में नए आयाम हासिल करने की दिशा दिखलाने और उन्हें समाज में स्वयं का स्थान देने के महत्वपूर्ण योगदान के लिये प्रदान किया जा रहा है.
श्री मोहम्मद हसन जैदी (जन्म मार्च 1975 ) इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के एक वकील हैं. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि की उपाधि प्राप्त की तथा वर्तमान में मास्टर्स डिग्री के लिये अध्ययनरत हैं. यद्यपि वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील भी हैं पर उनकी विधि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियॉ उनकी वे पुस्तकें हैं जिन विषयों पर अधिकांश विधि विशेषज्ञ आमतौर पर लिखने से कतराते रहे हैं. कई श्रेष्ठ लॉ जर्नल के संपादन कार्य के अतिरिक्त उन्होंने विशेषकर फॉरेन्सिक विज्ञान तथा विधि-संबंधी आधुनिकतम तकनीकी एवं प्रोद्योगिकी विषयों पर उपयोगी पुस्तकें लिखी हैं. एक तरीके से वे इस क्षेत्र के पुरोधाओं में गिने जा सकते हैं. डीएनए टेस्ट इन क्रिमिनल इन्वेस्टिगशन, ट्रायल एंड पैटरनिटी डिस्प्यूट्स, नार्को-एनालिसीस, ब्रेन मैंपिंग, हिपनोसिस एण्ड लाई डिटेक्शन टेस्ट, इन्टोरेगेशन ऑफ सस्पेक्ट्स, मोबाइल फोन फॉरेन्सिक्स, तथा एलेक्टौनिक सर्वेलान्स एण्ड इलेक्ट्रौनिक एविडेन्स इन कोर्टरूम्स उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं। वर्तमान बदलते हुये परिवेश में इन पुस्तकों का महत्व स्वत: ही प्रदर्शित हो जाता है. श्री जैदी की ये पुस्तकें कानून के क्षेत्र के एक रिक्त पड़े स्थान को भरने में पूरी तरह सहायक हो रही हैं. अन्य व्यक्तियों के अतिरिक्त इलाहाबाद के लब्ध-प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ता रविकांत द्वारा भी हसन जैदी का नाम इस पुरस्कार हेतु प्रस्तावित किया गया. हसन जैदी को विधि के लिये वीएन शुक्ला पुरस्कार 2010 उनके विधि के क्षेत्र में तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी विषयक प्रगतियों को सम्मिलित करते हुये युगीन संदर्भो के अनुरूप अति-आवश्यक पुस्तकें लिखने और इन्हें विधि के क्षेत्र में स्थान देने के महत्वपूर्ण योगदान के लिये प्रदान किया जा रहा है.
यशवंत सिंह (जन्म अप्रैल 1973) पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं. उनकी पढ़ाई इलाहाबाद एवं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से हुई. उन्होंने दो वर्ष वामपंथी विचारधारा वाले ए.आई.एस.ए. के साथ बिताये. अपने पत्रकारिता का जीवन उन्होंने लखनऊ स्थित दैनिक जागरण से प्रारंभ किया तथा उसके बाद अमर उजाला तथा आई-नेक्स्ट मे काम किया. उन्होंने कुछ समय एक मोबाइल कम्पनी में भी बिताया. मई 2007 में उन्होंने भड़ास नामक हिन्दी ब्लाग शुरू किया जो शीघ्र ही लोकप्रियता में एक नया मुकाम हासिल करने में कामयाब रहा. इसका कारण यह था कि संभवत: यह एक अकेला ऐसा हिन्दी ब्लॉग था जहां इतनी बेबाकी के साथ लोग अपनी बात कह-सुन रहे थे. अगस्त 2008 में उन्होंने मीडिया पर आधारित खबरों का पोर्टल भड़ास4मीडिया प्रारंभ किया. इस पोर्टल ने अपने साहस, हिम्मत, लगन तथा सत्यनिष्ठा के बल पर अपने लिये एक अद्भुत सम्मानजनक स्थान बनाया है. वैसे जितने उसके चाहने वाले हैं उसी तुलना में उससे नाराज लोग भी हैं. श्री सिंह आज जिन लोगों से अकेले मुकाबला कर रहे हैं, यह निश्चित रूप से अचंभित कर देने वाली बात है. अन्य व्यक्तियों के अतिरिक्त प्रेस कौंसिल के सदस्य तथा जन मोर्चा अखबार के संपादक शीतला सिंह द्वारा भी श्री यशवंत सिंह का नाम इस पुरस्कार हेतु प्रस्तावित किया गया. यशवंत सिंह को पत्रकारिता के लिये एसपी सिंह पुरस्कार 2010 उनके द्वारा हिन्दी के सबसे बड़े ब्लॉग भड़ास तथा निर्भिक पोर्टल भड़ास4मीडिया को स्थापित करने तथा इनके माध्यम से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पुनर्स्थापित करने के अपने निरंतर प्रयास के लिये प्रदान किया जा रहा है.
डा. अमिता पाण्डेय (जन्म मार्च 1970) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेन्ट जेवियर्स बोकारो से प्राप्त की तथा उसके बाद प्रतिष्ठित जीएसवीएम मेडिकल कालेज कानपुर से एमबीबीएस एवं एमडी की उपाधि अर्जित की. इनसे बाद उन्होंने संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ से मेडिकल जेनेटिक्स में डीएम की उपाधि प्राप्त की. अपने इस डॉक्टोरल डिग्री के दौरान डा. पाण्डेय ने दो ऐसे रिसर्च पेपर प्रस्तुत किये जिनका सैद्धांतिक तथा व्यवहारिक मेडिकल जगत में प्रतिष्ठापरक स्थान है. इनमें पहला है- ऐलोम्यून फैक्टर्स इन रिकरेंट स्पौन्टेनियस एबौर्सन एण्ड रोल ऑफ इम्यूनोथेरैपी इन इट्स मैनेजमेंट तथा दूसरा पेपर है- मल्टीफैक्टोरियल स्टडी इन इनफर्टिलिटी. सेवा में आने के बाद भी वे निरंतर विभिन्न महत्वपूर्ण रिसर्च कार्यों में रत हैं. अभी हाल में वर्ष 2008 में उन्हें जिनेवा, स्विट्जरलैण्ड से ओवेरियन कैंसर पर शोध हेतु एक अंतर-राष्ट्रीय फेलोशिप प्राप्त हुआ है. उनके कई शोध कार्यों का व्यवहारिक जीवन में व्यापक तौर पर प्रयोग किया जा रहा है. उनकी सीएसएम मेडिकल विश्व-विद्यालय लखनऊ में प्रीनेटल डायग्नासिस एण्ड फीटल आटोप्सी ईकाई स्थापित करने में विशेष भूमिका रही है जहॉ वे वर्तमान में सहायक प्रोफेसर है. अन्य व्यक्तियों के अतिरिक्त जीएसवीएम मेडिकल कालेज कानपुर की विख्यात प्रोफ़ेसर तथा प्रेग्नन्सी मामलों की विशेषज्ञ डॉ प्रीती दुबे द्वारा भी डॉ पाण्डेय का नाम इस पुरस्कार हेतु प्रस्तावित किया गया. डा. अमिता पाण्डेय को चिकित्सा तथा स्वास्थ्य का आनंदीबाई जोशी पुरस्कार 2010 उनके इनफर्टिलिटी तथा इमरजेंसी प्रेगनेन्सी संबंधी मामलों में देश के अग्रणी चिकित्सकों में स्थान बनाने तथा इन क्षेत्रों में जनोपयोगी महत्वपूर्ण शोधकर्मों को संपादित करने के परिणमस्वरूप प्रदान किया जा रहा है. प्रेस रिलीज
pankaj kumar singh etv bihar desk
June 11, 2010 at 1:52 pm
yashwantji,
abhi to ye shuruaat bhar hai, bada se bada purskar aapka kadam chumega, bhavi etihas aur sara aakash sirf aapka hai,,,
sanjay yadav
June 11, 2010 at 2:05 pm
आप सभी लोगो को पुरस्कार मिलने की हार्दिक बधाई, हम लोगो की शुभकांमनाये आप लोगो के साथ है हमारी कमना है कि आप लोग इसी तरह शिखर पर पहुंचते रहे अनिल अवस्थी, अमित मिश्र दैनिक जागरण उन्नाव अखिलेश अवस्थी, आशीष पांडेय राष्ट्रीय सहारा उन्नाव
Vimlesh Gupta
June 11, 2010 at 2:15 pm
पत्रकारिता के क्षेत्र मे श्री यशवन्त सिंह जी को आनंदी बाई जोशी पुरस्कार मिलने के लिये मेरी ओर से कोटि कोटि बधाई, आपका त्याग, आपका कर्मयोगी व्यक्त्वि, आपका व्यवहार, छोटे से भाई जैसा स्नेह ही आपको और अधिक उचाईयो तक ले जायेगा, प्रदेश, देश के साथ ही साथ विश्व के लोग आपके साथ हैा
Sandeep Richhariy
June 11, 2010 at 2:41 pm
श्री यशवंत सिंह जी और संजय सिंह जी को बधाई
भडास का काम तो प्यारी सी भडास सपाट शब्दों मे निकालना और सही के रास्ते पर सबको लाने का प्रयास करना और संजय सिंह तो वो इंसान है जो मिशाल हैं कि विपरीत समय में भी कैसे अपने आप पर काबू रखकर मुस्कुराया जा सकता है। इन दोनो महानुभावों के साथ ही पुरस्कार पाने वाले सभी मित्रों को बधाई।
संदीप रिछारिया
http://www.apnachitrakoot.blogspot.com
अमित गर्ग. राजस्थान पत्रिका. बेंगलूरू.
June 11, 2010 at 4:32 pm
सभी को कोटिश बधाई…
Mahendra Awdhesh
June 11, 2010 at 5:10 pm
Badhai ho Yashwant ji !
Mahendra Awdhesh
CHAUTHI DUNIYA
prabhat
June 11, 2010 at 6:16 pm
चारों दिग्पुगजों के चयन से साफ है कि पुरस्कार वितरण में पूरी ईमानदारी बरती गई है…. मीडिया में मिसाल कायम करनेवाले यशवंत जी सहित सभी विजेताओं को ढेरों शुभकामनाएं
शशिकान्त अवस्थी
June 12, 2010 at 7:24 am
यश्वत भाई आपको प्राप्त पुरूषकार की कोटिश: बधाई । यह पुरूषकार यह सिद्व करता है कि लगन से लगे रहो तो कुछ भी असंभवन नही है । मीडिया के क्षेत्र में पूज्य एस.पी;सिंह व उनके नाम से आरम्भ हुये पुरूषकार का एक अलग ही स्थान है जो अब आपके साथ भी जुड गया है । ईश्वर से अनुरोध है कि आगे भी आप ऐसे ही बढते रहे । आपका अनुज
शशिकान्त अवस्थी
Neeraj Bhushan
June 12, 2010 at 7:35 am
यशवंतजी के लिए यह शुरुआत है. हालांकि मैं जानता हूँ की वह कोई काम पुरस्कार के लिए नहीं करते. इनका प्रयास सुन्दर, नवीन और प्रेरणादायक रहा है. अभी इन्हे कई मुकाम तय करने हैं. बधाई एवं शुभकामना.
नीरज भूषण
aashish vishwakarma
June 12, 2010 at 7:52 am
तीसरी आँख डाट काम की और से यशवंत जी और उनकी यूनिट को बधाई |
http://www.tisriaankh.com
ravishankar vedoriya gwalior
June 12, 2010 at 11:38 am
badai ho sir
Sanjay Gupta "Kurele" Orai (Jalaun)
June 12, 2010 at 6:16 pm
यशवंत भाई..
आपको बहुत बहुत बधाई…
ये पुरूस्कार तो आपको मिलना ही था क्योंकि आपने अपने पोर्टल भड़ास मीडिया के माध्यम से जों निष्पक्ष और बेबाक पत्रकारिता की है, उसका यक़ीनन पत्रकारिता के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान है | आपके मध्यम से ही लोगो को अपने संस्थान से सम्बंधित शिकायतें भेजने का मौक़ा मिला है | आपने बिना भय और दबाब के जों समाचार प्रकाशित किये है उससे कई लोगो की दुकाने बन्द हो गई , एवं समाज के सामने उनकी पोल खुल गई |
आप इसी तरह आगे बढे, ऐसी ईश्वर से मेरी प्रार्थना है…
संजय जी को भी मै बहुत अच्छे से जानता हू.. क्योंकि वह हमारे ही क्षेत्र के रहने वाले है उनका भी प्रयास सराहनीय है जिसके लिए मै उन्हें भी भधाई देता हू…
संजय गुप्ता ( जिला संवाद दाता )
दूरदर्शन एवं जनसंदेश न्यूज़
उरई (जालौन)
anand kushawaha
July 25, 2010 at 9:06 am
bhut bahut badhai yashvant ji
prabhat tripathi
July 25, 2010 at 1:01 pm
aapko bahut bhaut badhai.aapke samne puruskar chota he.mehnat aour rang laygi-hamesha nispaksh rahe.sabko moka de.abhi aour puruskar lene he.prabhat tripathi.lucknow
Dr Mandhata Singh
July 25, 2010 at 1:35 pm
यशवंत जी, जितना बड़ा पुरस्कार दिया गया है, आपने उससे कहीं बहुत बड़ा काम किया है। हमारे जैसे पत्रकारों को पत्रकारिता जगत की खबरों से वाकिफ कराने और विद्रोही मित्रों को अपनी भड़ास निकालने का जो निर्भीक मंच आपने दिया है, वह काबिले तारीफ है। यह बात पुरस्कार मिलने के कारण ही नहीं कह रहा हूं। आपको अगर याद हो तो मैंने ही भड़ास शुरू करने के समय आपके इस कार्य को यह कहते हुए सराहा था कि -भड़ास निकालें मगर थोड़ा संयम से। तब भड़ास में छपा मेरा लेख ( गांव को गांव ही रहने दे यारों ) जब दैनिक भास्कर ने छापा था तो आपने मुझे सूचित भी किया था। भड़ास तब अपनी बेबाकी की पहचान बना रहा था। अब तो लगता है कि भड़ास नहीं पढ़ा तो शायद मीडिया जगत की खबरें नही जान पाएंगे। इस उपलब्धि के लिए बधाई। मुझे भरोसा है कि कत्लगाहों से गुजरे संघर्ष के उस दौर से अब पुरस्कार तक का सफर ही आपकी मंजिल नहीं हैं। माइल्स टू गो,,,,,,,,,,,,,,,,,,। [b][/b][b][/b]
ashish pratap singh
July 25, 2010 at 2:55 pm
yaswant ji aapko dher sari subhkamnaye aap isi tarah pragati ke path per agraser rahe safata apke kadam chumegi