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‘दैनिक जागरण’ और ‘अमर उजाला’ खतरे में

इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित : (भाग 2) : देश के शीर्ष पांच हिंदी अखबार कौन हैं, उन्हें वर्ष 2009 के राउंड 2 में क्या ग्रोथ हासिल हुई और अभी-अभी जारी  किए गए वर्ष 2010 के राउंड 1 के आंकड़े में क्या नफा-नुकसान उठाना पड़ा है, उसे जानने के लिए ये टेबल देखें. टेबल लसे साफ पता चलता है कि दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान और राजस्थान पत्रिका लाभ में हैं. जमकर ग्रोथ हुई है इनकी. पर दैनिक जागरण और अमर उजाला को तगड़ा झटका लगा है. इन लोगों के आगे खतरा आ चुका है. इन्हें अब चेतना पड़ेगा अन्यथा इन्हें और नीचे गिरना पड़ सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि अमर उजाला को जो झटका लगा है, वह शशि शेखर के कार्यकाल में अमर उजाला में हुए बदलावों का ओवरआल शुरू हुआ इंपैक्ट है क्योंकि पाठक किसी भी बदलाव को धीरे-धीरे स्वीकारता या नकारता है. उधर, दैनिक जागरण के बारे में चर्चा है कि पेड न्यूज व धंधेबाजी के कारण अखबार की साख मार्केट में खराब हुई है, इस कारण उसके ब्रांड पर असर पड़ना शुरू हो चुका है.

<p style="text-align: justify;"><strong>इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित :</strong><strong> (भाग 2) : </strong><strong> </strong>देश के शीर्ष पांच हिंदी अखबार कौन हैं, उन्हें वर्ष 2009 के राउंड 2 में क्या ग्रोथ हासिल हुई और अभी-अभी जारी  किए गए वर्ष 2010 के राउंड 1 के आंकड़े में क्या नफा-नुकसान उठाना पड़ा है, उसे जानने के लिए ये टेबल देखें. टेबल लसे साफ पता चलता है कि दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान और राजस्थान पत्रिका लाभ में हैं. जमकर ग्रोथ हुई है इनकी. पर दैनिक जागरण और अमर उजाला को तगड़ा झटका लगा है. इन लोगों के आगे खतरा आ चुका है. इन्हें अब चेतना पड़ेगा अन्यथा इन्हें और नीचे गिरना पड़ सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि अमर उजाला को जो झटका लगा है, वह शशि शेखर के कार्यकाल में अमर उजाला में हुए बदलावों का ओवरआल शुरू हुआ इंपैक्ट है क्योंकि पाठक किसी भी बदलाव को धीरे-धीरे स्वीकारता या नकारता है. उधर, दैनिक जागरण के बारे में चर्चा है कि पेड न्यूज व धंधेबाजी के कारण अखबार की साख मार्केट में खराब हुई है, इस कारण उसके ब्रांड पर असर पड़ना शुरू हो चुका है.</p>

इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित : (भाग 2) : देश के शीर्ष पांच हिंदी अखबार कौन हैं, उन्हें वर्ष 2009 के राउंड 2 में क्या ग्रोथ हासिल हुई और अभी-अभी जारी  किए गए वर्ष 2010 के राउंड 1 के आंकड़े में क्या नफा-नुकसान उठाना पड़ा है, उसे जानने के लिए ये टेबल देखें. टेबल लसे साफ पता चलता है कि दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान और राजस्थान पत्रिका लाभ में हैं. जमकर ग्रोथ हुई है इनकी. पर दैनिक जागरण और अमर उजाला को तगड़ा झटका लगा है. इन लोगों के आगे खतरा आ चुका है. इन्हें अब चेतना पड़ेगा अन्यथा इन्हें और नीचे गिरना पड़ सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि अमर उजाला को जो झटका लगा है, वह शशि शेखर के कार्यकाल में अमर उजाला में हुए बदलावों का ओवरआल शुरू हुआ इंपैक्ट है क्योंकि पाठक किसी भी बदलाव को धीरे-धीरे स्वीकारता या नकारता है. उधर, दैनिक जागरण के बारे में चर्चा है कि पेड न्यूज व धंधेबाजी के कारण अखबार की साख मार्केट में खराब हुई है, इस कारण उसके ब्रांड पर असर पड़ना शुरू हो चुका है.

Top 5 Hindi News Paper of India

No.     Name           2009 R-2     2010 R-1   Difference

1    Denik Jagran      54791000     54254000     -537000

2    Denik Basker   32964000   33432000    468000

3    Hindustan          27944000      29411000     1467000

4    Amarujala        29069000   28720000    -349000

5    Rajsthanpatrika  13983000     14205000      222000

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0 Comments

  1. payal

    May 4, 2010 at 4:22 pm

    ये तो होना ही था। दैि‍नक जागरण को मेरे जैसे कई बच्‍चों की बददुआ जो लगी है। ऊपर वाला सब देखता है बॉस। एक दि‍न आएगा जब ये ि‍कसी को मुंह ि‍दखाने के लायक भी नहीं रहेंगे।

  2. Rishi Naagar

    May 4, 2010 at 5:21 pm

    दैनिक जागरण के बारे में चर्चा है कि पेड न्यूज व धंधेबाजी के कारण अखबार की साख मार्केट में खराब हुई है, इस कारण उसके ब्रांड पर असर पड़ना शुरू हो चुका है.These are the Key words. The organisers must realise this and the prostitutes lose their day one day, it is the bottom line.

  3. avinash aacharya

    May 4, 2010 at 5:45 pm

    Kamal hai guru, har jagah shashi shekhar effect nikal hi letey ho IRS me bhi. chalo agle baar Amar Ujala agar gira to socho usey Shashi Shekhar se kaise jodogey.

  4. arvind mehta

    May 5, 2010 at 10:57 am

    Daink jagran ko abb patrkar nahi marketing key lg samabhal rahey hai …..yeh too hona hi taa bhai …………ambala mey nasedi galiyno mey gumney waley log jab panipat edition markiting mey gusker dadaghiri karengey leders ki chaplusi karengey to bhai aisa hi hoga,
    sarey jagran mey ab marketing hawi hai…..

  5. ruby

    May 5, 2010 at 11:44 am

    koi bhi akhbar apne content ki vajah se bikta hai. marketing section humesha se apna ek alag dakhal rakhta hai lekin akhbar bikta hai khabro se.jab repoter feild me hi nai jayega desk reporting karega news idea naye nai honge aam logo ki aavaz nai hogi to kaun padhega akhbar.log vijyapan ke liye nai khabro ke liya akhbar padhe hai aur isme koi shak nai hai ki jagran me khabre aab dikhti hi nai hai jo reporter the kaam karne vale abb vo vaha rahe nai to kab thak pathak wrong number dial karta rhega bhai vo dusra number dail karke apni pasand ka gana sunega na

  6. Rakesh bhartiya austraila

    May 5, 2010 at 11:58 am

    yashwant ji ,plz heading sahi lagya karey jagran ka asitatav bhal kaisey khatrey mey hai lagataar 14th times jagran pehley number per hai abb aap ko shyad puri baat bataney key liye yeh news padni padeygi..aur ha lahb hanni ki choda lagataar jagran agey hai kisi state mey kab jayda ka antar chalta rehta hai…plz pura coment with news chapna abhari rahunga …thx…
    दैनिक जागरण के पाठकों ने अपने इस चहेते अखबार को एक बार फिर से सबसे ऊंचा मुकाम दिलवाया है। इंडियन रीडरशिप सर्वे में लगातार चौदहवीं बार दैनिक जागरण पूरे देश के अखबारों में सिरमौर रहा है। ताजे आंकड़ों के मुताबिक दैनिक जागरण पाठक संख्या में न केवल अंग्रेजी के अखबारों को बहुत पीछे छोड़ा है बल्कि अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से भी काफी बड़े अंतर से आगे है। आईआरएस के 2010 की पहली तिमाही में दैनिक जागरण को लगातार 14वीं बार देश का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार घोषित किया गया है। आईआरएस के अनुसार दैनिक जागरण के पाठकों की संख्या इसके दूसरे नंबर के प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले दो करोड़ से भी ज्यादा है। जो यह बताने के लिए काफी है कि अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले दैनिक जागरण काफी तेज गति से पाठकों के दिल में जगह बनाई है। इतना ही नहीं दैनिक जागरण पढ़ने वालों की संख्या अंग्रेजी के सबसे बड़े अखबार के पाठकों के मुकाबले चार गुना है। दैनिक जागरण के पाठकों की संख्या सभी अंग्रेजी अखबारों की कुल पाठक संख्या से भी अधिक है। इससे साबित होता है कि दैनिक जागरण ने हिंदी की बदौलत देश की नब्ज को छुआ है।

  7. Ramesh

    May 5, 2010 at 6:00 pm

    Ye jo Koi likha hain Wah Tel Lagane wala kam karta hoga ye jarur koi officer ka rishtedar hoga unpadh gawar

  8. avneesh

    May 6, 2010 at 5:31 am

    Ek company ne Jagaran kanpur me Lucknow Progrramme ka Vigyapan Diya aur Jab Lucknow unit me news Chapne ke Liye de gaye to yeh kah kar nahi lagayee ki Revenue Kanpur ko Diya Hai Wahi se Lagva lijiye. aise me Akhwar ke prati aam logo ka kya Rookh hoga. Wase bhi ek uchai ke baad patan Tya Hai.

  9. parimal palande

    May 6, 2010 at 9:45 am

    dear sir jo bi ho dainik jagran ne chahe 14th time india ka no one newspaper ka khitab hasil kiya ho. par ab uske piche dainik bhaskar aa gaya hai jo bahut teji se aage bad raha hai even gujarat main bi.
    takkar ab kaante ki hai bahut jald dainik bhaskar uski is kursi ko chhin lega usme koi shak nahi.

  10. Aaj Ka Chanakya

    May 7, 2010 at 7:12 am

    Bahut Aacha hua. Jagran ki ulti ginti shuru ho gayee hai. Ek din to aisa hono hi tha. Inke bahut nakhare ho gaye hai. Down Down Jagran Down

  11. vinit

    May 7, 2010 at 12:29 pm

    east ye west bhaskar is best

  12. mahesh pandey

    May 8, 2010 at 1:40 pm

    daink jagrn ki loot bahut ho gai hai.ab bidai ka time hai.
    aam admi ka gala ghot kar samachar patra nahi kasai khana chalaya ja sakta hai.
    DJ ko aam aadmi se door bajaru banani ka pariram bhugtana par raha hai.

    ;D

  13. rajiv

    May 9, 2010 at 8:35 am

    :););):D;D>:(:(:o8):P:-*:'(

  14. vijay

    May 11, 2010 at 4:58 pm

    dainik jagran ne hi hindi media ka satyanash kiya. khabro ka dhandh karna isi akhbar ne sabko sikhaya……….

  15. pintoo bhai

    July 23, 2010 at 9:47 am

    denik jagran ab apne antim charan par hai koi ise bechne ko tayar nahi to koi ise kharidne ko tayar nahi hai

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