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महिलाएं और बूढ़े लोग मीडिया प्रेमी होते हैं!

इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित : (भाग 5) : टीवी वालों की पहुंच बढ़ी : अखबार वाले खतरे में : वेब और रेडियो की ग्रोथ जारी : आईआरएस के सर्वे से कई रोचक तथ्य निकल कर सामने आए हैं.  सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि पुरुषों में नौजवान कम, बूढ़े लोग मीडिया के साथ समय ज्यादा गुजारते हैं. महिला-पुरुष की बात करें तो महिलाएं ज्यादा समय तक मीडिया माध्यमों के साथ रहती हैं. आम जन तक पहुंच के मामले में प्रिंट मीडिया की दशा ठीक नहीं है. फिलहाल प्रिंट मीडिया स्थिर दिख रहा है. चार साल पहले प्रिंट मीडिया जहां था, आज भी लगभग वहीं है. इसकी पहुंच 38 फीसदी के आसपास थी और आज भी यह सिर्फ 39 फीसदी है.

 

<p style="text-align: justify;"><strong>इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित : (भाग 5) : टीवी वालों की पहुंच बढ़ी : अखबार वाले खतरे में : वेब और रेडियो की ग्रोथ जारी : </strong>आईआरएस के सर्वे से कई रोचक तथ्य निकल कर सामने आए हैं.  सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि पुरुषों में नौजवान कम, बूढ़े लोग मीडिया के साथ समय ज्यादा गुजारते हैं. महिला-पुरुष की बात करें तो महिलाएं ज्यादा समय तक मीडिया माध्यमों के साथ रहती हैं. आम जन तक पहुंच के मामले में प्रिंट मीडिया की दशा ठीक नहीं है. फिलहाल प्रिंट मीडिया स्थिर दिख रहा है. चार साल पहले प्रिंट मीडिया जहां था, आज भी लगभग वहीं है. इसकी पहुंच 38 फीसदी के आसपास थी और आज भी यह सिर्फ 39 फीसदी है.</p> <p style="text-align: justify;"> </p>

इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित : (भाग 5) : टीवी वालों की पहुंच बढ़ी : अखबार वाले खतरे में : वेब और रेडियो की ग्रोथ जारी : आईआरएस के सर्वे से कई रोचक तथ्य निकल कर सामने आए हैं.  सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि पुरुषों में नौजवान कम, बूढ़े लोग मीडिया के साथ समय ज्यादा गुजारते हैं. महिला-पुरुष की बात करें तो महिलाएं ज्यादा समय तक मीडिया माध्यमों के साथ रहती हैं. आम जन तक पहुंच के मामले में प्रिंट मीडिया की दशा ठीक नहीं है. फिलहाल प्रिंट मीडिया स्थिर दिख रहा है. चार साल पहले प्रिंट मीडिया जहां था, आज भी लगभग वहीं है. इसकी पहुंच 38 फीसदी के आसपास थी और आज भी यह सिर्फ 39 फीसदी है.

 

 

मतलब साफ है कि प्रिंट मीडिया के सामने टीवी, इंटरनेट और ई-पेपर खतरा बनकर आ चुके हैं. सबसे ज्यादा खतरा प्रिंट को वेब माध्यम से है. पश्चिमी देशों में तो पहले ही इंटरनेट ने प्रिंट मीडिया को दोयम कर रखा है. यह ट्रेंड लगता है भारत में शुरू हो चुका है. सर्वे बताता है कि लोगों की मीडिया पर ओवरआल निर्भरता बढ़ी है. वर्ष 2007 में प्रत्येक भारतीय सभी मीडिया माध्यमों (टीवी, रेडियो, वेब, मैग्जीन, न्यूजपेपर आदि) पर एवरेज 117 मिनट खर्च करता था. अब यह समय बढ़कर 125 मिनट से कुछ ज्यादा का हो गया है. इन मीडिया माध्यमों में टीवी के विस्तार का क्रम जारी है. टीवी की पहुंच 57 फीसदी दर्शकों तक हो चुकी है. तीन फीसदी की बढ़त हुई है. भारत में अभी इंटरनेट की रीच सिर्फ 2 फीसदी है लेकिन सकारात्मक बात यह है कि नेट की पहुंच दिनों दिन बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक रेडियो वाले भी नफे में चल रहे हैं. इस माध्यम को पहले के मुकाबले ज्यादा लोग सुनते हैं.

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0 Comments

  1. prasoon vatsal

    May 4, 2010 at 5:58 pm

    ladies aur old person ke liye old age me news paper sahara yani bujurg ki lathi ki tarah kam karti hai.kyo ki unke bachcho ke pas time hi nhi hota hai.esliye news paper unke bujuerg ke sathi hai.

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