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‘अमर उजाला’ से आगे निकल गया ‘हिन्दुस्तान ‘

इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित : (भाग 1) : हिंदुस्तान के वास्ते खाली कर दो रास्ते : दैनिक जागरण इस बार भी नंबर वन है लेकिन सबसे बड़ा लूजर साबित हुआ : इण्डियन रीडरशिप सर्वे की ताजा रिपोर्ट ”हिन्दुस्तान के वास्ते खाली कर दो रास्ते” जैसा नारा लगाते हुए प्रतीत हो रही है। पिछले राउंड के मुकाबले 14 लाख 67 हजार नए पाठकों को जोड़ते हुए हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान ने जहां एक ओर अमर उजाला को पटक दिया वहीं दूसरी ओर देश का सबसे तेज बढ़ता हुआ हिन्दी दैनिक समाचार पत्र भी बन गया। आईआरएस 2010 राउण्ड-1 के परिणाम निश्चित रूप से चर्चा का विषय हैं। दैनिक जागरण जिसे 2009 के फायनल राउण्ड में उसके ठीक पहले वाले राउंड के मुकाबले 2.8 लाख ज्यादा पाठक मिले थे, इस बार यानि 2010 के पहले राउण्ड में उसी अखबार को देश के 5.37 लाख पाठकों से हाथ धोना पड़ा है यानि 5.37 लाख पाठकों ने नापसंद करार दिया है।

<p style="text-align: justify;"><strong>इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित : </strong><strong>(भाग 1) : </strong><strong>हिंदुस्तान </strong> <strong>के वास्ते खाली कर दो रास्ते : दैनिक जागरण इस बार भी नंबर वन है लेकिन सबसे बड़ा लूजर साबित हुआ : </strong>इण्डियन रीडरशिप सर्वे की ताजा रिपोर्ट ''हिन्दुस्तान के वास्ते खाली कर दो रास्ते'' जैसा नारा लगाते हुए प्रतीत हो रही है। पिछले राउंड के मुकाबले 14 लाख 67 हजार नए पाठकों को जोड़ते हुए हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान ने जहां एक ओर अमर उजाला को पटक दिया वहीं दूसरी ओर देश का सबसे तेज बढ़ता हुआ हिन्दी दैनिक समाचार पत्र भी बन गया। आईआरएस 2010 राउण्ड-1 के परिणाम निश्चित रूप से चर्चा का विषय हैं। दैनिक जागरण जिसे 2009 के फायनल राउण्ड में उसके ठीक पहले वाले राउंड के मुकाबले 2.8 लाख ज्यादा पाठक मिले थे, इस बार यानि 2010 के पहले राउण्ड में उसी अखबार को देश के 5.37 लाख पाठकों से हाथ धोना पड़ा है यानि 5.37 लाख पाठकों ने नापसंद करार दिया है।</p>

इण्डियन रीडरशिप सर्वे 2010 (राउण्ड-1) के परिणाम घोषित : (भाग 1) : हिंदुस्तान के वास्ते खाली कर दो रास्ते : दैनिक जागरण इस बार भी नंबर वन है लेकिन सबसे बड़ा लूजर साबित हुआ : इण्डियन रीडरशिप सर्वे की ताजा रिपोर्ट ”हिन्दुस्तान के वास्ते खाली कर दो रास्ते” जैसा नारा लगाते हुए प्रतीत हो रही है। पिछले राउंड के मुकाबले 14 लाख 67 हजार नए पाठकों को जोड़ते हुए हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान ने जहां एक ओर अमर उजाला को पटक दिया वहीं दूसरी ओर देश का सबसे तेज बढ़ता हुआ हिन्दी दैनिक समाचार पत्र भी बन गया। आईआरएस 2010 राउण्ड-1 के परिणाम निश्चित रूप से चर्चा का विषय हैं। दैनिक जागरण जिसे 2009 के फायनल राउण्ड में उसके ठीक पहले वाले राउंड के मुकाबले 2.8 लाख ज्यादा पाठक मिले थे, इस बार यानि 2010 के पहले राउण्ड में उसी अखबार को देश के 5.37 लाख पाठकों से हाथ धोना पड़ा है यानि 5.37 लाख पाठकों ने नापसंद करार दिया है।

5 करोड़ 47 लाख पाठकों को समेटे दैनिक जागरण हालांकि अभी भी देश का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला हिन्दी दैनिक बना हुआ है, लेकिन साथ ही वह देश में सबसे ज्यादा नापसंद किया गया हिन्दी अखबार भी बन गया। देश के 5 सबसे बड़े अखबारों में जितनी पाठक संख्या दैनिक जागरण की गिरी उतनी किसी की नहीं गिरी।

दूसरे पायदान पर जमे दैनिक भास्कर प्रबंधन की सबसे बड़ी विशेषता, दुश्मन को कमजोर न समझना, एक बार फिर दिखाई दी। जिस अखबार को 2009 के फायनल राउण्ड में उसके ठीक पहले वाले राउंड की तुलना में 5 लाख 86 हजार पाठकों ने नकार दिया था, 2010 के राउण्ड-1 में उसी अखबार को 4 लाख 68 हजार नए पाठकों ने पढऩा शुरू कर दिया है, अत: 09 में हुए घाटे को दैनिक भास्कर प्रबंधन ने 2010 के पहले राउण्ड में ही भर लिया।

नई रिपोर्ट के अनुसार देश के 3.29 करोड़ पाठक दैनिक भास्कर को पसंद करते हैं। तीसरे पायदान पर जो निर्णय आया वह आज देश भर में चर्चा का विषय है। उत्तर प्रदेश में नित नए एडिशन खोलते जा रहे हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान ने अमर उजाला को धूल चटाकर उसके स्थान पर कब्जा जमा लिया। अब वह देश का तीसरा सबसे बड़ा समाचार पत्र है। इस बार उसे 14.67 लाख नए पाठकों का प्रतिसाद मिला। इसी के साथ उसकी कुल पाठक संख्या 2.94 करोड़ हो गई है जो अमर उजाला से 6.91 लाख ज्यादा है।

हिन्दुस्तान के हाथों पिटे अमर उजाला की हालात इस बार सचमुच खराब रही। वह न केवल तीसरे पायदान से नीचे आ गिरा, बल्कि देश भर में 3.49 लाख पाठकों ने उसे पढऩा बंद कर दिया। अब 2.87 करोड़ पाठकों के साथ अमर उजाला चौथे नम्बर पर है। शायद यह अंतिम अलार्म है अमर उजाला प्रबंधन के लिए, इस बार भी यदि नहीं संभले तो अगली बार लोकमत मराठी के हाथों पिटते दिखाई देंगे।

देश का पांचवा बड़ा अखबार लोकमत मराठी रहा, लेकिन यदि बात केवल हिन्दी अखबारों की हो तो पांचवे पायदान पर राजस्थान पत्रिका आता है। पिछले 6 माह में 2.22 लाख नए पाठक को जोड़कर अब राजस्थान पत्रिका की कुल पाठक संख्या 1.42 करोड़ हो गई है। पत्रिका के लिए अभी सफर बहुत लम्बा है। अभी तो उसे लोकमत से लेकर इनाडू तक पांच स्थानीय भाषा में छपने वाले अखबारों से लोहा लेना है।

लेखक हिन्दी दैनिक राज एक्सप्रेस, भोपाल में उपमहाप्रबंधक के पद पर कार्यरत है.

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0 Comments

  1. niraj

    May 4, 2010 at 12:37 pm

    yeswa… gi kya updesh gi ka cell no. mill sakta hai
    agar mil jaye to meharbaani hogee

  2. niraj

    May 4, 2010 at 12:37 pm

    amar ujala ke liye bahut bada jhatka hai

  3. kk chauhan

    May 4, 2010 at 1:03 pm

    purane logo ko hatakar nai or gaddr, nakara, anubhvhin logo ki phoj khadi kr li hai gimmedar wfadar logo ki kami ka natija hai pathk sankhya girna AMAR UJALA ke pass aaj jo log hai ve news paper ki chinta na kr avaidh kmaee mai lage hai Es liye eski lutya doob rahi hai.

  4. kk chauhan

    May 4, 2010 at 1:03 pm

    purane logo ko hatakar nai or gaddr, nakara, anubhvhin logo ki phoj khadi kr li hai gimmedar wfadar logo ki kami ka natija hai pathk sankhya girna AMAR UJALA ke pass aaj jo log hai ve news paper ki chinta na kr avaidh kmaee mai lage hai Es liye eski lutya doob rahi hai.

  5. Sanjay Gupta (Journalist) Orai

    May 4, 2010 at 5:24 pm

    यशवंत भाई नमस्कार
    आई.आर.एस 2010 की रिपोर्ट के अनुसार लग रहा है कि दैनिक जागरण और अमर उजाला को अब विभागीय रिपोर्टिंग कि अपेक्षा जन मानस से सरोकार रखने वाली खबरों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए… जिससे आम जन मानस उन खबरों में खुद से सम्बंधित एवं लाभकारी जानकारी प्राप्त कर सके |
    संजय गुप्ता “कुरेले”
    उरई (जालौन)

  6. bhartendu

    May 4, 2010 at 5:53 pm

    jagran ko kamchlao logo ki bajai yogya log recruit karne chahiye, paisa bhi dena padega lala ji ko, amar ujala jaldi sashi sekhar daur se ubrega…hindustan ka aaj uske kal ki dain hai……kai logo nai milkar hindustan ko sanwara hai…sashi ji is baat ko ander se jarur mahsus kar raha honge….sabse achchi baar english ki bajai hindi ki lokpriyata hai.

  7. suresh pandey

    May 5, 2010 at 7:36 am

    हर किसी का वक्त एक जैसा नहीं रहता। आंकड़े ही बता रहे हैं कि नंबर तीन-चार में ज्यादा फर्क नहीं है। आज जो नंबर तीन है, उसने कितने नए एडीशन लांच किए हैं, इसका भी उल्लेख करना चाहिए। नंबर चार वाले ने कितने एडीशन लांच किए इसका भी..। नंबर एक और दो की बात करें तो जो शीर्ष पर हैं वह खबरों से नहीं दूसरी बातों से नंबर एक हैं। तेवर, जनता से जुड़े सरोकार के लिए उनकी छवि कितनी रही है, यह सबको पता है। हां, नंबर दो का गुलिस्तां अच्छा है, उसमें सारे फूल हैं, कंटेट, टेक्नालाजी, आइडियाज सब कुछ। उसे तो नंबर वन होना ही है।

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