Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

किसी निजी लड़ाई को इस मंच पर नहीं लाया हूं

दोस्तों, पिछले दो दिनों के दौरान मुझे कई मेल, फोन और प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। इस मामले में बहुत से लोगों ने मेरे प्रयास को सराहा है, जिसके लिए सभी का धन्यवाद। इसके बावजूद कुछ मामलों में ये महसूस हो रहा है कि पेड न्यूज के मामले में मेरे द्वारा जताई गई प्रतिक्रिया और सेबी को लिखा गया पत्र मेरी किसी तरह की व्यक्तिगत लड़ाई की नजर से देखा जा रहा है। मेरी दैनिक जागरण से कोई निजी लड़ाई समझ कर ही कुछ लोग मुझे सहयोग करने की सलाह दे रहे हैं।

<p style="text-align: justify;">दोस्तों, पिछले दो दिनों के दौरान मुझे कई मेल, फोन और प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। इस मामले में बहुत से लोगों ने मेरे प्रयास को सराहा है, जिसके लिए सभी का धन्यवाद। इसके बावजूद कुछ मामलों में ये महसूस हो रहा है कि पेड न्यूज के मामले में मेरे द्वारा जताई गई प्रतिक्रिया और सेबी को लिखा गया पत्र मेरी किसी तरह की व्यक्तिगत लड़ाई की नजर से देखा जा रहा है। मेरी दैनिक जागरण से कोई निजी लड़ाई समझ कर ही कुछ लोग मुझे सहयोग करने की सलाह दे रहे हैं।</p>

दोस्तों, पिछले दो दिनों के दौरान मुझे कई मेल, फोन और प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। इस मामले में बहुत से लोगों ने मेरे प्रयास को सराहा है, जिसके लिए सभी का धन्यवाद। इसके बावजूद कुछ मामलों में ये महसूस हो रहा है कि पेड न्यूज के मामले में मेरे द्वारा जताई गई प्रतिक्रिया और सेबी को लिखा गया पत्र मेरी किसी तरह की व्यक्तिगत लड़ाई की नजर से देखा जा रहा है। मेरी दैनिक जागरण से कोई निजी लड़ाई समझ कर ही कुछ लोग मुझे सहयोग करने की सलाह दे रहे हैं।

खुले तौर पर अखबार के प्रबंधन के खिलाफ मैदान में डटने की सलाह दे रहे हैं। दोस्तों यह साफ करना चाहूंगा कि दैनिक जागरण प्रबंधन मुझे मेरा पूरा सर्विस लाभ समय से दे चुका है। इसके अलावा हमारा किसी तरह का विवाद भी किसी अदालत में विचाराधीन नहीं है कि मैं दबाव बनाने के लिए लंगोट कसकर मैदान में उतर जाऊं। इसके बावजूद किसी तरह की अनियमितता के मामले में मेरे पास अभी अदालत और श्रम अदालत का रास्ता खुला है। यदि मेरा किसी प्रकार का निजी विवाद होता तो मैं अखबार में रहकर भी कानूनी सहायता प्राप्त कर सकता था। इसके बावजूद मैंने अपने पास मौजूद विकल्पों का चयन कर अपने लिए अपना रास्ता खुद चुना। कुछ मामलों में कुछ लोगों ने जो किया वो कहीं पर भी हो सकता है। सिर्फ प्रेस परिषद की रिपोर्ट को भड़ास4मीडिया पर देखकर ही यह सब करने को प्रेरित हुआ। यदि मुझे इस नौकरी से कोई अतिरिक्त लाभ मिल रहा होता तो मैं अपने पद से त्यागपत्र ही नहीं देता, इसके अलावा चुपचाप किसी दूसरी जगह पर भी नौकरी कर सकता था।

दैनिक जागरण के खिलाफ मैंने जो पत्र लिखा है उस पर कार्रवाई करने का कार्य अब संबंधित विभागों का है, जिसमें पूरी निष्पक्षता और बिना किसी दबाव के मैं अपनी गवाही दूंगा। रही बात इसकी कि मेरे खिलाफ कोई झूठा केस दर्ज कराया जाता है और किसी तरह से दबाव बनाया जाता है, तो उसके बारे में मुझे कोई डर नहीं है। ज्यादा से ज्यादा कुछ दिन, कुछ महीनों या कुछ साल तक परेशानी ही तो सहनी पड़ेगी, यह भी सह लूंगा। फांसी या उम्र कैद की सजा जैसा मैंने जिंदगी में कभी कुछ किया नहीं है, इसलिए डरना क्या।  व्यक्तिगत तौर पर जिन मामलों में मुझे कुछ कहना चाहिए था, वह मैं समय पर नहीं कह पाया।

कुछ साथियों ने व्यक्तिगत तौर पर नाराजगी जताई है, जिसके लिए मैं क्षमा भी चाहूंगा। कुछ लोग व्यक्ति विशेष को लेकर भी मेरे ज्ञान में काफी वृद्धि करने का प्रयास कर रहे हैं। तो यह साफ करना चाहूंगा कि आठ साल के दौरान सभी को मैंने करीब से देखा है। सिर्फ फरीदाबाद को छोड़ दें तो मुझे इस मामले में कभी भी कोई गिला नहीं रहा है। ऐसे लोगों को यह बात भी साफ करना चाहूंगा कि ताज और गद्दी जितनी बड़ी होगी उसमें कांटें भी उतने ही ज्यादा चुभते हैं। बाकी रही बात भ्रष्टाचारियों की तो उनकी पोल जरूर खोलूंगा, उसमें कुछ समय जरूर लगेगा। दोस्तों इस मामले को अपने-अपने ढंग से समझने की बजाए अच्छा होगा कि हम इस दिशा में सोचें कि भविष्य में इस तरह का स्थिति पैदा ना हो उसके लिए क्या उपाय किया जाए? कुछ बातें अभी पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई हैं, जिन्हें आने वाले समय में आपके सामने जरूर रखूंगा।

आपका

राकेश शर्मा

(पूरे मामले को जानने के लिए कमेंट आप्शन के ठीक नीचे दिए गए शीर्षकों पर क्लिक करें)

Click to comment

0 Comments

  1. जगमोहन फुटेला

    July 22, 2010 at 5:17 pm

    मैंने भाई राकेश शर्मा का और उनके बारे में भी लिखा पढ़ा…’जागरण’ के बारे में एक जानकारी जोड़ना चाहूँगा…पैसा कमाने और खासकर कर्मचारियों पे खर्च करने के मामले में ‘जागरण’ हद दर्जे का बेशर्म और दोगला है.विज्ञापन से धन बटोरने के मामले में ‘जागरण’ अनेक संस्करणों वाला एक बड़ा संस्थान है (उनके विज्ञापनदाताओं और एड एजेंसियों को जाने वाले ब्राशर देख लीजिये).पर,कर्मचारियों को वेतन और सुविधाएं देने के मामले में वो है अलग अलग संस्करण.मालिकों में हिम्मत हो तो नकार के देखें.उनका ये दोगलापन मैं उन्हीं के दस्तावेजों से साबित कर दूंगा.

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement