दैनिक जागरण समूह का तीन दिनी वार्षिक सम्मेलन ‘साध्य 2009-10’ आगरा के मुगल होटल में कल से शुरू हो चुका है। दिन भर सम्मेलन चला। बड़े-बड़े लोगों ने बड़ी-बड़ी बातें कीं। रात में सभी ने मिलकर काकटेल पार्टी को इंज्वाय किया। संगीत और मदिरा का मिला-जुला असर संपादकों और मालिकों को मदहोश करता रहा। इस बार सम्मेलन की केंद्रीय विषयवस्तु ‘कस्टमर कनेक्ट’ थी। सभी वक्ताओं ने मीडिया के बदलते दौर में कस्टमर से जुड़ने के महत्व पर प्रकाश डाला। किसी ने भी खबरों की धंधेबाजी, रिपोर्टरों से बिजनेस कराने, कलम की ताकत के लगातार कमजोर पड़ते जाने के मुद्दों को नहीं छुवा।
जागरण समूह के चेयरमैन योगेंद्र मोहन गुप्त ने कहा कि जागरण का स्वरूप निरंतर बदल रहा है। यह बदलाव नितांत सकारात्मक है और पाठकों को इसका अहसास भी हो रहा है। यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। जेपीएल के सीएमडी एवं राज्यसभा सदस्य महेंद्र मोहन गुप्त ने कहा कि अपने कस्टमर से जुड़े रहने के कारण ही वैश्विक मंच पर हमें सराहना मिली है। हाल ही में हैदराबाद में हुई वर्ल्ड न्यूजपेपर्स एसोसिएशन की कांफ्रेंस में दैनिक जागरण की कामयाबी की कहानी को मिसाल के तौर पर पेश किया गया। मीडिया जगत के एक अंतरराष्ट्रीय संगठन से यह सम्मान यूं ही नहीं मिला। यह हमारी कामयाबी का प्रमाण है।
दैनिक जागरण के संपादक संजय गुप्त ने पाठकों, श्रोताओं और दर्शकों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें अपने क्लाइंट को चौंकाने की कला में महारत हासिल करनी होगी। आज के पाठक या क्लाइंट पहले की तरह निष्क्रिय नहीं हैं, बल्कि अतिरिक्त सक्रिय हैं। उन्हें रिझाना होगा। निदेशक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि दैनिक जागरण अखबार और उसकी अन्य मीडिया इकाइयां बड़ी ताकत हैं। पाठकों ने दैनिक जागरण को जो स्नेह दिया है, वह हमारी दूसरी मीडिया इकाइयों को भी मिल रहा है।
जेपीएल के निदेशक धीरेंद्र मोहन गुप्त ने कहा कि हमारे साढ़े पाच करोड़ पाठक हमारी पूंजी हैं। इसी पूंजी के बल पर हम 13वीं बार नंबर वन बने हैं। उन्होंने कहा कि हम सब कुछ भले ही अच्छा न कर रहे हों, लेकिन काफी कुछ तो ऐसा कर रहे हैं, जिससे हम सबसे आगे और अलग मुकाम बना पाए हैं। निदेशक शैलेष गुप्त ने टीम में जोश भरते हुए कहा कि ठान लिया जाए तो क्या नहीं हो सकता। हम तीन दिन बाद यहां से लौटें तो 2010 के साध्य साथ लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि ये न सोचें कि हमें विरासत में क्या छोड़ कर जाएंगे। सीएफओ आरके अग्रवाल ने कहा कि किसी भी अखबार की सफलता और उन्नति के लिए तथ्यों की रचनात्मकता के साथ-साथ पैसा भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि संस्थान की सफलता में हर सदस्य महत्वपूर्ण भूमिक अदा करता है।
ajit
January 15, 2010 at 11:57 am
Yahshwant jee,
Jagran walo ke li ek hi kahawat phit hai ” Nam Bade Aur Darshan Chote”. Din mai sanskar ki baate karne wale Jagran ke logo ki purani adat Raat hote hi Bhog vilash mai doob jana hai. Raat mai inhe daroo ke alawe aur bhi kai cheese jalti hai….
S.K. Upadhyay
January 15, 2010 at 1:39 pm
Muh Mein Ram Bagal Mein Rum
chandan goswami
January 16, 2010 at 3:11 am
yaho asli checra hei kuch media karmieo ka.