Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

दलालों की खबर छप रही, मेरी नहीं

श्रद्वेय सहयोगीवृंद, मैं रणदीप दूबे, पत्रकार, दैनिक जागरण, आज की तारीख तक, क्योंकि पता नहीं कब अखबार का फतवा आ जाए कि तुम्हे दिवंगत कर दिया गया। हालांकि दैनिक जागरण के ब्यूरो प्रभारी से लेकर संपादक और मालिक तक में इतनी ताकत नहीं है कि मुझसे नजरें मिलाकर बात कर सके। मैंने अपने अखबार के भीतर पीत पत्रकारिता, (ब्लैकमेलिंग) का खुलासा किया। दो पत्रकारों पर केस भी किया जो जेल भी गये, लेकिन बेशर्मी की हद तब पार कर गई जब उनको फिर से रख लिया गया। मुझे निकाला तो नहीं गया पर मेरी न्यूज नहीं छप रही है। ब्लैकमेलरों की न्यूज बाईलाईन (नाम से) छप रही है ताकि वे संपादक, अखबार के मालिक तक के लिए रुपये जमा कर सकें। मैंने दस्तावेजी सबूत इकट्ठा किये, केस नं. 480/10 सदर थाना हजारीबाग में संलग्न है। केस करने से पहले सारे सबूत मैंने संपादक, ब्यूरो चीफ, अखबार के मालिक तक को उपलब्ध कराये।

<p style="text-align: justify;">श्रद्वेय सहयोगीवृंद, मैं रणदीप दूबे, पत्रकार, दैनिक जागरण, आज की तारीख तक, क्योंकि पता नहीं कब अखबार का फतवा आ जाए कि तुम्हे दिवंगत कर दिया गया। हालांकि दैनिक जागरण के ब्यूरो प्रभारी से लेकर संपादक और मालिक तक में इतनी ताकत नहीं है कि मुझसे नजरें मिलाकर बात कर सके। मैंने अपने अखबार के भीतर पीत पत्रकारिता, (ब्लैकमेलिंग) का खुलासा किया। दो पत्रकारों पर केस भी किया जो जेल भी गये, लेकिन बेशर्मी की हद तब पार कर गई जब उनको फिर से रख लिया गया। मुझे निकाला तो नहीं गया पर मेरी न्यूज नहीं छप रही है। ब्लैकमेलरों की न्यूज बाईलाईन (नाम से) छप रही है ताकि वे संपादक, अखबार के मालिक तक के लिए रुपये जमा कर सकें। मैंने दस्तावेजी सबूत इकट्ठा किये, केस नं. 480/10 सदर थाना हजारीबाग में संलग्न है। केस करने से पहले सारे सबूत मैंने संपादक, ब्यूरो चीफ, अखबार के मालिक तक को उपलब्ध कराये।</p>

श्रद्वेय सहयोगीवृंद, मैं रणदीप दूबे, पत्रकार, दैनिक जागरण, आज की तारीख तक, क्योंकि पता नहीं कब अखबार का फतवा आ जाए कि तुम्हे दिवंगत कर दिया गया। हालांकि दैनिक जागरण के ब्यूरो प्रभारी से लेकर संपादक और मालिक तक में इतनी ताकत नहीं है कि मुझसे नजरें मिलाकर बात कर सके। मैंने अपने अखबार के भीतर पीत पत्रकारिता, (ब्लैकमेलिंग) का खुलासा किया। दो पत्रकारों पर केस भी किया जो जेल भी गये, लेकिन बेशर्मी की हद तब पार कर गई जब उनको फिर से रख लिया गया। मुझे निकाला तो नहीं गया पर मेरी न्यूज नहीं छप रही है। ब्लैकमेलरों की न्यूज बाईलाईन (नाम से) छप रही है ताकि वे संपादक, अखबार के मालिक तक के लिए रुपये जमा कर सकें। मैंने दस्तावेजी सबूत इकट्ठा किये, केस नं. 480/10 सदर थाना हजारीबाग में संलग्न है। केस करने से पहले सारे सबूत मैंने संपादक, ब्यूरो चीफ, अखबार के मालिक तक को उपलब्ध कराये।

किसी ने इसकी जांच या पूछताछ करना भी उचित नहीं समझा। जाहिर है उनकी जानकारी में उनकी इजाजत से पीत पत्रकारिता हो रही है। जब पूरी दुनिया से पेट नही भरा तो रिपोर्टरों से ही उगाही शुरू की गई। आखिर बनिया का अखबार है भाई, समाज सेवा के लिए थोड़े चलाया जा रहा है। उद्देश्य है व्यवसाय और मुनाफा कमाना। सेवा किसी का गला रेतकर हो, किसी का खून चूसकर हो या किसी की इज्जत लूटकर! हम हर हाल में पत्रकारिता का मुखौटा लगाकर व्यवसाय करेंगे। कोई खुश रहे या नाराज।

अब रणदीप जैसे नवसिखुवे क्या जानेंगे जिनने इस क्षेत्र में कदम रखा है। समाज को दिशा और दशा देने का दम भरनेवाले अपने नाक के नीचे की सड़ाध से बेखबर है। अजी बेखबर नही सब खबर है, सिर्फ छपती नही! देश का तथाकथित नंबर वन हिन्दी अखबार शायद पत्रकारिता का बलात्कार करने पर आमादा है। इसकी रपट थाने में भी नहीं लिखी जाएगी। और संपादक सोचते हैं कि पब्लिक है, कुछ जानती नहीं! सब जानते हैं।

हजारीबाग प्रमण्डल में अब यह बात आम होने लगी है। किस अखबार में खबर छपी है? दैनिक जागरण में? उसका कोई भरोसा नहीं, पैसा मांगा होगा नहीं, मिलने पर लिख दिया। अगर पाजिटिव खबर छपी तो किसने लिखी? शैलेश ने? या मनीष ने? जरूर पैसा लेकर लिखा होगा। यही है कहानी जिसकी चर्चा है। एक सिपाही से लेकर एसपी तक, एक क्लर्क से लेकर डीएम तक जानते हैं कि जागरण के मनीष और शैलेश किस हद तक पीत पत्रकारिता कर रहे हैं! पर अखबार खामोश है! लिहाजा लोग सोचने पर मजबूर हैं कि अखबार इसमें सहभागी है।

अखबार अगर चाहता तो 30 मिनटों में दोनो को बुलाकर पता कर सकता था, सच कौन? झूठ कौन? पर उसे रणदीप नहीं, मनीष चाहिए। जो अपने पेट के साथ अखबार और उसके नुमांइदों का पेटभर सके। पत्रकारिता के मापदण्डों को पैंट के पिछले पाकेट में रखे। इसी मनीष को एक बार गलत और झूठी खबर छापने के चलते लोग जूतों से पिटाई करते थाना ले गये थे अखबार के दफ्तर से। तब भी शर्म नहीं आई।

मैं अखबार जगत में आया था कि ग्लैमरस फील्ड है। रोब है, रुतबा है, काम करने का स्कोप है। मैं कतई नहीं जानता था कि इस नाली में गंदे कीड़े तैर रह हैं, जो शोषण, जुल्म, अत्याचार की कहानी लिखते हैं और हर दिन स्वयं शोषित होते हैं। मैं अभी सीख रहा था, सीखूंगा, पर शायद सीखने की जिजीविषा समाप्त हो रही है, क्योंकि पत्रकारिता का मापदण्ड गिर रहा है।
अगले पत्र में फिर कभी

आपसबों का

रणदीप दूबे

संवाददाता दैनिक जागरण

Advertisement. Scroll to continue reading.

चरही, हजारीबाग

 


 

(पूरे मामले को समझने के लिए भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित इसी प्रकरण से संबंधित शुरुआती खबर पढ़ें- जूनियर से उगाही में रिपोर्टर गिरफ्तार)

Click to comment

0 Comments

  1. Abhishek sharma

    July 19, 2010 at 3:36 pm

    Randeep bhaiya aap sham ko kisi bhi news paper ke bureau office me chale jaye..khabar chhapwani ho to rate fix hai….pauwa do to sanxep me, addhi do to double column, khambha do to photo ke saath…. agar patrakar saab ko pine ka shauk nahi hai to iske badle laxmi jee jeb me dalni padtee hai bassssssss….khabar aapki dhingchak dhingchak…
    [email protected]

  2. RAJESH VAJPAYEE JANSANDESH UNNAO

    July 19, 2010 at 6:52 pm

    yashwant bhai jiski bhi laang uthao sala bhaduva hie nikalta hai.sab saaley stringer aur reportero ki mehnat va paseeney say ais kar rahey hai aur satta ki rakhail ban karoro ki sampati bana rahey hai.

  3. V.S.Nandan

    July 19, 2010 at 8:06 pm

    Randeep ne jo likha hai woh shikayat nahi aaj ki media ka kala chithha hai. yah kahan ka nayay hai ki jo prabandhan ke aur akhbaar ke heet ki baat karta hai usse najarandaj kar aaropi ko samman aur bhalla chahne wale ka apmaan hota hai. yah sab jagran me hi sambhab hai. hum patrakar bhi kam doshi nahi hai, jis bhi banner me rahte hai uske bare me hum bura nahi sochte sayad yahi hum sab maar kha jaa rahe hai. dil se nahi dimag se kaam karo. ish karname ne pure patrakar ko sharminda kiya hai. kya hazaribagh ke patrakaro me dum nahi hai ki in logo ki khilafat kare. ye jahan bhi jaye wahan ke samachar ka bycot kare.

  4. nkdiwan

    July 20, 2010 at 4:16 pm

    Bhai ji andher nagari chopat raja kikahavat bhi purani ho gai hai .Ab to “raaja” ki marji se hi andhergardi ho rahi hai..Jagran ko kamaau poot chahiye, pratibha gayee tail lene ko. . Mehantee aur karmath reporter ki bajaaye Chaaploos aur kaamchor type ki kadra jyadaa hai. Aisa jagran main rahkar mehsoos kiya hai…

  5. Jamal Khan

    July 22, 2010 at 1:44 pm

    Randeep. i really salute you for this revealtion of yours. oh, tusi ne kamal kar diya. jagran ab akhbar nahin raha. uska nam badalkar dainik blackmailer rakh dena chihiye. Ya bhir shailesh aur manish ko lekar naya akhbaar ish nam se shuru kar dena chaihiye. Jagran brashtachar ka jagran hai, corruption ka jharkhand hai. Narendra gupta ka jagran nahin hai, bhrast gupta brothers ka jagran hai

  6. Nehal Ahmed

    July 22, 2010 at 1:52 pm

    When you write any story, newspaper wants quote of police chief or DM of that district. In this case SP Pankaj Kamboj had cleraly said that there was evidence against Shailesh and Manish. But managemnent of jagran ignored Kamboj’s statement. Wah bhai, jagran wale log tusi great ho.

  7. shankar gupta ,jhanda chowk ,main road ,hazaribagh 825301

    July 22, 2010 at 4:25 pm

    randeep ji aap ghabraye nahi …yahi such hai media jugut kaa..chaliye aap ne apna kaam kar diya hai ..ab aage jagran house ka kaam hai.aapka wo bhi armaan pura ho jayega jo aap nahi pura hazaribagh chah raha hai..dono bade reporter ko media se hi bahar hona hoga…sayad aapko nahi pata hai ki manish agarwaal sirf hazaribagh me pitaya hai or jail gaya hai balki wo koderma me bhi aaj akhbaar se nikala gaya hai..to chinta mut kijiye duniya gol hai

  8. Randeep Dubey

    July 22, 2010 at 9:05 pm

    Dear all,

    I just want to tell one thing to everyone that thanks a lot for ur support but there was a lot of pressure on me to do all this…i am sorry to all my supporters but i accept that i had a lot of pressure from different group of people from hazaribagh to lodge a complaint against them..it was not that serious but i have to because those people(who have asked me to do so) are very dangerous…

    i am accepting all this because i have read those comments and now i think its a high time..i have been used and i will take everyone’s name one by one who have used me to lodge a FIR…

    yours only

    Randeep Dubey
    Correspondent,Dainik Jagran
    Charhi,Hazaribagh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement