Connect with us

Hi, what are you looking for?

हलचल

पत्रकारों की अदालत में जरनैल

जरनैल सिंह

एक जूते के जरिए भारतीय राजनीति और भारतीय मीडिया को सबक सिखाने का माद्दा रखने वाले जरनैल सिंह पत्रकारों की अदालत में आ चुके हैं। वे बी4एम के माध्यम से आप सभी से कुछ कहना चाह रहे हैं। कुछ पूछना चाह रहे हैं। उन्हें जवाब चाहिए। आपसे। उन्हें सवालों का हल चाहिए। आपसे। आप जरनैल का नीचे दिया गया वक्तव्य पढ़िए। फिर [email protected] के जरिए अपनी राय, फोटो व परिचय बी4एम के पास भेज दीजिए।

जरनैल सिंह

जरनैल सिंह

एक जूते के जरिए भारतीय राजनीति और भारतीय मीडिया को सबक सिखाने का माद्दा रखने वाले जरनैल सिंह पत्रकारों की अदालत में आ चुके हैं। वे बी4एम के माध्यम से आप सभी से कुछ कहना चाह रहे हैं। कुछ पूछना चाह रहे हैं। उन्हें जवाब चाहिए। आपसे। उन्हें सवालों का हल चाहिए। आपसे। आप जरनैल का नीचे दिया गया वक्तव्य पढ़िए। फिर [email protected] के जरिए अपनी राय, फोटो व परिचय बी4एम के पास भेज दीजिए।

आपकी बात को प्रकाशित किया जाएगा ताकि जरनैल की इच्छा के अनुरूप पत्रकारिता, पत्रकारिता की नैतिकता, पत्रकारिता की मर्यादा पर एक स्वस्थ विमर्श शुरू हो सके। जरनैल सिंह ने बी4एम के पाठकों से अनुरोध किया है कि वे अपनी बात खुलकर रखें ताकि कोई सार्थक नतीजा सामने आ सके।

-एडिटर, भड़ास4मीडिया


मेरे बहाने पत्रकारिता की मर्यादा पर आत्ममंथन हो

जरनैल सिंह

मैंने पत्रकारिता की मर्यादा का उल्लंघन किया था। इसकी मुझे सजा भी मिल गई। मुझे सजा से कोई ऐतराज नहीं है। सजा कितनी होनी चाहिए थी, ये जरूर बहस का विषय हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि जो अखबार रिपोर्टर को खुद दलाली करने पर मजबूर करते हैं, पैसा लेकर उम्मीदवारों को चुनाव हराते और जिताते हैं, ईमानदारी से पत्रकारिता करने की सजा देते हैं, नेताओं के दबाव में निर्दोष पत्रकार की नौकरी लेते हैं या दंडित करते हैं, खबरों को सही परिप्रेक्ष्य से हटा कर जानबूझ कर पक्षपाती एंगल देते हैं, पैसे लेकर माफियाओं और अपराधियों को दूध का धुला साबित करते हैं, क्या वह पत्रकारिता की मर्यादा का उल्लंघन करने में मुझसे बड़े गुनाहगार नहीं है? मेरा तरीका गलत था लेकिन मुद्दा हजारों-लाखों मजबूर दंगा पीड़ितों की आह को आवाज देना था। मैंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, वह भी 25 साल के इंतजार के बाद। जो अखबार व पत्रकार सिर्फ स्वार्थ के आधार पर पत्रकारिता की मर्यादा को जूतों तले रौद रहे हैं, क्या वह पत्रकारिता की मर्यादा की बात करने के काबिल हैं?

सोचना होगा कि आज कलम की ताकत कम क्यों होती जा रही है? मीडिया की विश्वसनीयता कटघरे में क्यों है? आखिर वह काम जो कलम को करना चाहिए था, वह जूते से कैसे संभव हुआ? अन्याय के खिलाफ विरोध के अप्रत्याशित तरीके अपनाने को लोग क्यों मजबूर हो रहे हैं? आखिर कलम व अखबार उनके उत्पीड़न को स्वर क्यों नही दे पा रहा है? अगर कुछ लिख भी रहे हैं तो उसका प्रभाव क्यों कम हो गया है? ये घटनाएं कलम की घटती विश्वसनीयता, जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने की प्रवृत्ति का ही परिणाम तो नहीं है?


जरनैल के इस वक्तव्य पर अगर आप कुछ कहना चाहते हैं तो अगले 48 घंटों में अपनी बात अपनी तस्वीर और परिचय के साथ [email protected] पर मेल कर दें.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement