दाम आधा : ‘न्यू इस्पात मेल’ भी दो में : हिंदुस्तान संग एचटी सिर्फ साढ़े तीन में : झारखंड में प्रभात खबर ने दाम आधा क्या किया, दूसरे जमे-जमाए अखबार भी उसी की राह पर चल पड़े हैं. दैनिक जागरण और हिंदुस्तान ने भी अब दो रुपये में पाठकों को अखबार पढ़ाने की घोषणा की है.
दैनिक भास्कर की आहट सुन झारखंड में अपनी जमीन बचाये रखने की कोशिश के क्रम में अखबारों के बीच तेज हो चुके प्राइस वार से पाठकों को मौजा ही मौजा है. पहले प्रभात खबर ने चार रुपये की कीमत को घटाकर दो रुपये कर दिया. झारखंड और जमशेदपुर के इस नंबर वन अखबार के दांव से भौंचक रहे गये हिन्दुस्तान व दैनिक जागरण प्रबंधन को तो पहले समझ में ही नहीं आया कि इस दांव की काट कैसे की जाए. लेकिन दो दिनों के बाद दोनों अखबारों ने भी अपनी कीमत चार रुपये से घटाकर दो रुपये कर दी.
हिन्दुस्तान तो एक कदम और आगे चला गया है. इसने पाठकों के लिए दो आफर दिया है. यदि हिन्दुस्तान खरीदना है तो दो रुपये दीजिए. यदि समूह के अंग्रेजी दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स को भी साथ में लेना है तो साढ़े तीन रुपये दीजिए. यानी पहले जो पाठक चार रुपये देकर सिर्फ हिन्दुस्तान खरीदता था, अब उससे पचास पैसे कम कीमत पर ही उसे दो अखबार मिलने लगे हैं.
हिन्दुस्तान ने भी प्रभात खबर की तरह ही जैकेट विज्ञापन देकर दो रुपये वाले आमंत्रण मूल्य के बारे में पाठकों को अवगत कराया है. इसके बाद बारी थी दैनिक जागरण की. देश के नंबर वन अखबार के तमगा से खुद को अभिभूत दिखाने का कोई मौका नहीं गंवाने वाले इस अखबार ने 18 जून के अंक में जैकेट विज्ञापन देकर प्राइस वार में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की. हालांकि दैनिक जागरण एक दिन पहले से ही औपचारिक रूप से दो रुपये में बिकने लगा था.
वैसे मीडिया के जानकारों का कहना है कि आनेवाले दिनों में दैनिक जागरण भी दो रुपये में अपने टैबलायड आई-नेक्स्ट को अतिरिक्त रूप में देने लगे तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा. बड़े अखबारों की देखा देखी यहां से प्रकाशित हिन्दी दैनिक न्यू इस्पात मेल ने भी अपनी कीमत चार रुपये से घटाकर दो रुपये कर दी है. लेकिन करीब एक साल पुराना यह अखबार बाजार मेँ अपनी पकड़ व पहचान बनाने की जद्दोजहद कर ही रहा था कि इसे प्राइस वार का सामना करना पड़ गया है.
भले ही प्रभात खबर ने दाम कम करने का कारण यह बताया हो कि अखबार प्रबंधन चाहता है कि अब पूरा झारखंड अखबार पढ़े और अपने गठन के दस साल के भीतर सात मुख्यमंत्री देख चुके इस प्रांत में अखबार पढ़ने और खरीदने का आंदोलन शुरू हो सके. लेकिन मीडिया बाजार में यही माना जा रहा है कि दैनिक भास्कर से मिलनेवाली कड़ी चुनौती को देखते हुए ही प्रभात खबर ने यह दांव खेला है. इसी तरह हिन्दुस्तान ने जुमला गढ़ा है कि अखबार की कीमत इसलिए कम की जा रही ताकि हर हाथ में हिन्दुस्तान पहुंच सके. दैनिक जागरण ने दाम घटाने के बाद संपादकीय लिखने जैसा कोई काम तो नहीं किया पर पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर पाठकों को दाम किए जाने के बारे में अवगत कराया.
इतना तो मानना ही पड़ेगा कि प्रभात खबरे जैसे क्षेत्रीय अखबार ने दाम घटाकर जो दांव खेला है उसका अनुशरण करने को हिन्दुस्तान व दैनिक जागरण जैसे स्वनामधन्य बड़े अखबार भी मजबूर हो गये हैं. तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि आनेवाले दिनों में झारखंड की मीडिया में जो भीषण जंग होगी उसकी दिशा और दशा प्रभात खबर ही तय करेगा या झारखंडी मीडिया के स्वरूप व संभावना तय करने में किसी एक या एक से ज्यादा बड़े अखबारों की मर्जी चलेगी?
इसके साथ ही यह भी सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या अखबार महज किसी दूसरे उत्पादों की तरह आफर के सहारे बिकेंगे या वे पाठकों को वैसा कंटेंट देंगे ताकि हर हाल में पाठक उनके पास आने को मजबूर रहेंगे ही. झारखंड की सरजमीं पर अखबारों की भावी भूमिका से ही पत्रकारिता की दिशा तय होगी. इसीलिए मीडिया के लोगों की बारीक नजरें अभी से झारखंड पर टिकने लगी हैं.
झारखंड से राकेश की रिपोर्ट
sahil
June 19, 2010 at 8:01 am
Akhbaro ke daam kam karke prabhat khabar ne apne pair par khud kulhari maar li hai, uske baad ke akhbar ke daam to kam hona unki majboori hai, isase achhaa hota ki koi scheme lounch ki jaati, but iske baad kya option bacha hai? FREE MEIN BATANE KA:P. Badhayeee ho jharkhand walo padho Free mein. Kyonki agar bhaskar aaya to 100% u got it free.
Amit Poswal
June 19, 2010 at 9:37 am
Pappu paas ho Gaya.
sunit
June 19, 2010 at 9:58 am
प्रभात खबर ने साबित कर दिया है कि वह झारखंड में लीडर है। दाम कम करने का जबरदस्त फायदा भी उसे मिला है। जो खबरें मिली हैं, उनके मुताबिक प्रभात खबर रांची में 85 हजार, जमशेदपुर में 55 हजार और धनबाद में 18-20 हजार तक पहुंच गया है। हिंदुस्तान रांची में 55 हजार, जमशेदपुर में 24 हजार और धनबाद में 45 हजार तक पहुंचा है। जागरण के बारे में कोई ठोस खबर बाजार में सुनाई नहीं दी। यदि बाजार में चल रही बातों पर भरोसा किया जाए तो रांची में प्रभात खबर ने 1 लाख और जमशेदपुर में 65 हजार कापियों का लक्ष्य रखा है। देखना है कि आगे क्या होता है। मैं तो यशवंत जी से निवेदन है कि इस बाबत सूचनाएं यहां पोस्ट करें।
raghav
June 19, 2010 at 10:07 am
क्या हिंदुस्तान के महान यशस्वी प्रधान संपादक माननीय श्री शशिशेखर (भूतपूर्व प्रेसीडेंट-न्यूज, अमर उजाला, भूतपूर्व ईपी-आजतक एवं भूतपूर्व स्थानीय संपादक, आज-आगरा) एक माह की छुट्टी पर छुट्टी पर चले गए हैं। ऐसी खबर आज सुबह से हवा में है, क्या भड़ास हम पत्रकारों को असलियत से अवगत कराएगा।
ravishankar vedoriya gwalior
June 19, 2010 at 11:39 am
kesi prasipradha hai bhai
Rajesh, Bhagalpur
June 19, 2010 at 2:33 pm
राकेश जी,
जिस तरह मीडिया से निष्पक्षता की अपेक्षा रहती है उसी तरह आपकी खबर जो मीडिया से संबंधित होती है निष्पक्षता अपेक्षित है। आपकी खबरों में किसी खास एक अखबार का महिमामंडन रहता है। इसका कारण कहीं उस अखबार से भड़ास को मिलने वाले विज्ञापन का असर ता नहीं – – – ?
yashvendra singh
June 19, 2010 at 5:16 pm
ye Prabaht Khabar ke promotion yojana ka hissa hai, post aur uskey comment dono. lekin badi capital ki ladai me chotey mar jaatey hai, ye bhi sach hai, PRABHAT KHABAR sabsey pahley nipat jaayega. abhi copies badegi aur ghata ek saath badhega. dono jhelaney ki taaqaut jismey hogi wo khada rahega. Reader ki koi loyality rahi nahi. wo akhbaar bhi scheme pooch kar maangney laga hai,
sunit
June 20, 2010 at 1:20 pm
ताजा सूचना के मुताबिक प्रभात खबर रांची में एक लाख का आकड़ा पार कर गया है। हिंदुस्तान 58 हजार पर है। हिंदुस्तान दरअसल पिछड़ा फैसला करने में देरी की वजह से। जब तक हिंदुस्तान ने फैसला किया तब तक प्रभात खबर 67 हजार के आकड़े पर पहुंच चुका था और यहीं हिंदुस्तान मात खा गया है। वैसे हिंदुस्तान पैसे से बहुत मजबूत है लेकिन उसे यह समझना पड़ेगा कि पैसे अहमियत तभी तक है जब तक त्वरित फैसले होते रहेंगे अन्यथा पैसा तो डूबेगा लेकिन हाथ आएगी सिर्फ तलछट।
sonukumar singh
August 7, 2010 at 1:55 pm
mera naam sonu hai aur mai hazaribagh distric ke rampur gaon ka rahne wala hu
mujhe helf chahiye ki jo sarkar ke taraf se mahila utpidan ke mamle me jo ek tarfa kanoon banaya gaya hai uska mere sasurar wale aur meri bibi galat fayda utha rahe hai.
bar-bar mujhe jaan se marne ki dhamki di jati hai
so please
can you helf me.