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युवाओं की पहली पसंद अब वेब पत्रकारिता

कमल शर्मातेजी से खबर और विचार जानने जानने की इच्‍छुकों की पहली पसंद अब इंटरनेट बनता जा रहा है। भारतीय न्‍यूज टीवी चैनल अब समाचार चैनल कम, मनोरंजन या घटिया न्‍यूज प्रोग्राम परोसने वाले माध्‍यम ज्यादा बन गए हैं तो प्रिंट माध्‍यम से समाचार मिलने में लगने वाले वक्‍त ने तेजी से सूचना पाने के इच्‍छुक लोगों को इंटरनेट की तरफ मोड़ दिया है। प्रिंट, ब्राडकॉस्‍ट और इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यम के बाद आई वेब पत्रकारिता के भविष्‍य पर इंटरनेट के फैलाव के शुरुआती दौर में ज्‍यादातर विश्‍लेषकों ने जल्‍दबाजी में टिप्‍पणी की थी कि यह लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी लेकिन पिछले दस साल से इसका भारत में जाल बढ़ता जा रहा है। हालांकि, वेब पत्रकारिता के शुरुआती समय में इतने उतार चढ़ाव आए कि इसकी स्थिति डांवाडोल होती दिखी, लेकिन एक बात स्‍वीकार करनी होगी कि दस साल तकनीक आधारित किसी नई चीज के लिए पर्याप्‍त नहीं होते।

कमल शर्मा

कमल शर्मातेजी से खबर और विचार जानने जानने की इच्‍छुकों की पहली पसंद अब इंटरनेट बनता जा रहा है। भारतीय न्‍यूज टीवी चैनल अब समाचार चैनल कम, मनोरंजन या घटिया न्‍यूज प्रोग्राम परोसने वाले माध्‍यम ज्यादा बन गए हैं तो प्रिंट माध्‍यम से समाचार मिलने में लगने वाले वक्‍त ने तेजी से सूचना पाने के इच्‍छुक लोगों को इंटरनेट की तरफ मोड़ दिया है। प्रिंट, ब्राडकॉस्‍ट और इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यम के बाद आई वेब पत्रकारिता के भविष्‍य पर इंटरनेट के फैलाव के शुरुआती दौर में ज्‍यादातर विश्‍लेषकों ने जल्‍दबाजी में टिप्‍पणी की थी कि यह लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी लेकिन पिछले दस साल से इसका भारत में जाल बढ़ता जा रहा है। हालांकि, वेब पत्रकारिता के शुरुआती समय में इतने उतार चढ़ाव आए कि इसकी स्थिति डांवाडोल होती दिखी, लेकिन एक बात स्‍वीकार करनी होगी कि दस साल तकनीक आधारित किसी नई चीज के लिए पर्याप्‍त नहीं होते।

प्रिंट, रेडियो और टेलीविजन न्‍यूज चैनलों को आज कई साल हो गए, इसलिए ये हमें जमे जमाए लगते हैं, जबकि वेब पत्रकारिता तो अभी शिशु ही है और इसे युवा बनने में समय लगेगा। यहां काफी काम होना बाकी है। लेकिन यहां मैं एक बात साफ कर दूं कि वेब समाचार देखने वाले, समाचार पत्र पढ़ने वालों की तुलना में अधिक समृद्ध, अधिक अनुभवी और बेहतर शिक्षित एवं जवान हैं। समूची दुनिया में इंटरनेट उपभोक्‍ताओं की साल दर साल बढ़ती संख्‍या से वेब के माध्‍यम से समाचार और सूचनाएं जानने वालों की संख्‍या और उनके ट्रैफिक में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। वेबसाइटों में समाचार देखने के अलावा ऑडियो और विजुअल का भी बेहतर उपयोग किया जा रहा है, जो रेडियो और टेलीविजन की कमी को भी दूर करता है। एक माध्‍यम में तीनों माध्‍यम प्रिंट, रेडियो और टेलीविजन की खूबी समाई हुई है।

पहले हम भारत में वेब पत्रकारिता के इतिहास की बात करें तो यह लगभग दस वर्ष पुरानी है। देश में सबसे पहले चेन्‍नई स्थित हिंदू अखबार ने अपना पहला इंटरनेट संस्‍करण जारी किया था। हिंदू का इंटरनेट संस्‍करण 1995 में आया था। इसके बाद 1998 तक तकरीबन 48 समाचार पत्रों ने अपने इंटरनेट संस्‍करण लांच किए, लेकिन मौजूदा समय में देखें तो लगभग सभी मुख्‍य समाचार पत्रों, समाचार पत्रिकाओं और टेलीविजन चैनलों के नेट संस्‍करण मौजूद हैं। हालांकि, समाचार पत्र और पत्रिकाएं ऑन लाइन न्‍यूज डिलीवरी के खेल में पूरी तरह नहीं छा पाए हैं। बल्कि इन्हें न्‍यूज पोर्टल, न्‍यूज कॉनग्रेटर्स और इंटरनेट कंपनियां जैसे कि एमएसएन, याहू और गूगल का साथ लेना पड़ा है।

वेब पत्रकारिता में इस समय हम बात करें तो जिन अखबारों की वेबसाइट हैं, वे ज्‍यादातर वही सामग्री उपयोग में ले रही हैं जो उनके समाचार पत्र में छपता है। चौबीस घंटे समाचारों, विचारों और सूचनाओं को अपडेट करने वालों की संख्‍या काफी कम है और जो अखबार दिन में अपडेशन करते हैं, उनमें समाचारों की संख्‍या कम होती है। या फिर इनमें विशेष स्‍टोरी के बजाय समाचार एजेंसियों से मिले समाचार होते हैं। अधिकतर अखबारों की वेबसाइटों में शायद इस डर से खास समाचार नहीं डाले जाते हैं कहीं उनके प्रतिस्‍पर्धी समाचार पत्रों के हाथ बेहतर स्‍टोरी न लग जाए या वे भी उन्‍हीं समाचारों को नए रंग रुप में विकसित न कर लें। ये समाचार पत्र मुशिकल से ही अपने इंटरनेट संस्‍करण्‍ा के लिए कुछ नए समाचार, फीचर और फोटोग्राफ तैयार करते हैं। औसत तौर पर देखें तो भी तकरीबन 60 फीसदी सामग्री वेब संस्‍करण में प्रिंट से उठाया हुआ ही होता है। लेकिन कुछ अखबारों ने अब इस निर्भरता को तोड़ने का कार्य शुरू कर दिया है और वेबसाइट एवं प्रिंट संस्‍करण के लिए अलग अलग तरीके से समाचार, फीचर और सूचनाएं तैयार कर रहे हैं। इसकी अगुआई टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने की। हिंदी में बात की जाए तो वेब दुनिया और प्रभासाक्षी समय के साथ अपडेट होने वाले देश के बड़े पोर्टल हैं।

अखबारों के वेब संस्‍करण के संपादकीय विभाग की बात करें तो इंटरनेट संस्‍करण में जब ज्‍यादातर सामग्री प्रिंट से ले ली जाती है तो वहां स्‍टॉफ काफी कम रहता है। लेकिन कुछ मुख्‍यधाराओं के समाचार पत्रों मसलन टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने अपने ऑनलाइन पेपर की अलग अवधारणा की और उसे प्रिंट संस्‍करण से अलग रखा। इसी तरह हिंदी में वेब दुनिया, प्रभासाक्षी, बीबीसी हिंदी वेबसाइट इसके बेहतर उदाहरण हैं जिनका प्रिंट संस्‍करण से लेना देना नहीं है। जागरण अखबार ने भी याहू के साथ नया पोर्टल लांच किया है लेकिन इसका रंग रुप नहीं बदला है। केवल यहां नाम के लिए याहू लगा हुआ दिखता है। समाचार पत्रों में अपने इंटरनेट संस्‍करण के लिए दो या चार लोगों की ही टीम रखी जाती है जो इस नई पत्रकारिता के लिए उचित नहीं है। लेकिन जो संस्‍‍थान पूरी तरह वेब पत्रकारिता में ही हैं, उन्‍होंने कई जगह अपने संवाददाता रखे हैं और बेहतर लेखकों की सेवाएं ले रहे हैं, हालांकि जिस तरह वेब पत्रकारिता का विस्‍तार हो रहा है, उस अनुरुप नए रोजगार के अवसर खड़े नहीं हुए हैं जिसके लिए अभी भी कुछ साल इंतजार करना पड़ेगा।  

वेब पत्रकारिता ने समाचार और सूचना संसार में बड़ा परिवर्तन किया है। नई तकनीक के आने से वेब पत्रकारिता ने तत्‍काल की एक संस्‍कृति को जन्‍म दिया है। यह एक न्‍यूज एजेंसी या चौबीस घंटे टीवी चैनल जैसी है। तकनीक में हो रहे परिवर्तन ने वेब पत्रकारिता को जोरदार गति दी है। एक वेब पत्रकार जब चाहे वेबसाइट को अपडेट कर सकता है। यहां एक व्‍यक्ति भी सारा काम कर सकता है। प्रिंट में अखबार चौबीस घंटे में एक बार प्रकाशित होगा और टीवी में न्‍यूज का एक रोल चलता रहता है जो अधिकतर रिकॉर्ड होता है जबकि वेब में आप हर सैंकेड नई और ताजा समाचार और सूचनाएं दे सकते हैं जो दूसरे किसी भी माध्‍यम में संभव नहीं है।

वेब पत्रकारिता का स्‍वाद और संस्‍कृति प्रिंट पत्रकारिता से अलग ढंग का है। एक वेबसाइट में स्‍थानिक और लौकिक प्रतिरोधक कम होते हैं और ताजा व पुरानी सूचनाएं एक साथ ढूंढी जा सकती है। यानी ऐसी सूचनाएं एक साथ आर्काइवि में मिल सकती है। सूचनाओं को जुटाना, उन्‍हें तैयार करना और प्रसार करना नेट पर ज्‍यादा सरल है। एक न्‍यूज वेबसाइट चलाना एक समाचार पत्र को प्रकाशित करने या एक टीवी चैनल चलाने से ज्‍यादा सस्‍ता और सरल है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकडों पर भरोसा करें तो तो वर्ष 2006 में 390 लाख इंटरनेट उपभोक्‍ता थे जिनकी संख्‍या वर्ष 2007 में बढ़कर एक हजार लाख होने की उम्‍मीद है। साथ ही नेट कनेकटिवीटी में हो रहे सुधार से वेब पत्रकारिता का भविष्‍य बेहतर बनता जा रहा है। यदि हम खोजी पत्रकारिता की भी बात करें तो वेब पत्रकारिता का भी इसमें अच्‍छा योगदान रहा है और किया भी जा रहा है। इसके बेहतर उदारहण तहलका डॉट कॉम और कोबरा डॉट कॉम रहे हैं। कुछ समाचार वेबसाइटों ने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए दूसरे स्‍थापित मीडिया संगठनों के साथ गठबंधन किया है। केंद्र सरकार और विभिन्‍न राज्‍य सरकारों के सभी विभागों ने भी सूचनाएं देने के लिए वेबसाइटों का सहारा लिया है हालांकि अनेक सरकारी वेबसाइटों में सूचनाएं समय पर अपडेशन नहीं होती और इनका रखरखाव भी ठीक ढंग से नहीं होता लेकिन पत्रकारों द्धारा सरकार से सूचनाएं नेट के माध्‍यम से जिस तरह मांगी जा रही है उसमें इन सरकारी वेबसाइटों पर अपने कामकाज को सही तरीके से करने का दबाव बढ़ता जा रहा है जो बेहतर है।  

वेब पत्रकारिता का एक रुप सिटीजन पत्रकारिता भी है। वेब पत्रकारिता आम आदमी को सूचनाएं, समाचार और अपने विचार दुनिया के सामने रखने का अवसर देती है। कोई भी व्‍यक्ति अपनी वेबसाइट और अब तो ब्‍लॉग बनाकर अपने पास आने वाली सूचनाओं, समाचारों और विचारों को सभी के सामने रख सकता है और यही सिटीजन पत्रकारिता कहलाती है। इस तरह की पत्रकारिता में आप और आपके पाठकों के बीच कोई नहीं होता। सिटीजन पत्रकारिता के तहत समाचार वेबसाइटें आम लोगों से भी समाचार और विचार मंगा सकती हैं। अनेक ई ग्रुप भी समाचारों और विचारों को अपने समूह में लेनदेन करते हैं। वेब में अब सिटीजन पत्रकारिता का महत्‍व बढ़ता जा रहा है। आम आदमी की समाचार और विश्‍लेषण में भागीदारी ही असल में सिटीजन पत्रकारिता है। अमरीका में 1988 में हुए राष्‍ट्रपति चुनाव के समय यह पत्रकारिता अस्‍तित्‍व में आई। लेकिन इसकी लो‍कप्रियता दक्षिण कोरिया से बनी जहां ओहमाई न्‍यूज सबसे ज्‍यादा पढ़े और देखे जाना वाला ब्‍लॉग बना। यहां से यह अवधारणा सामने आई कि हरेक नागरिक रिपोर्टर है। इसी तरह थिमपार्कइनसाइडर डॉट कॉम ने अपने पाठकों द्धारा लिखे गए लेख पर पत्रकारिता अवार्ड जीता। भारत में अभी इस तरह की पत्रकारिता छोटे स्‍तर है और कुछ टीवी चैनल दृश्‍कों से मिले विजुअल व स्‍टोरी को दिखा रहे हैं लेकिन प्रिंट और वेब में इसका अभाव है। हालांकि, प्रिंट में संपादक के नाम पाठकों के जो पत्र आते हैं उन्‍हें सिटीजन पत्रकारिता की श्रेणी में रखा जा सकता है। लेकिन अब कई लोगों ने अपने अपने ब्‍लॉग बनाकर अपने इलाकों और पसंदीदा विषयों के ब्‍लॉग बना लिए हैं जिन पर इच्‍छुक लोग जाकर जानकारी लेते रहते हैं। यह सिटीजन पत्रकारिता का है लेकिन इसका विकास अभी सही तरीके से नहीं हो पाया है।

देश में तेजी से बढ़ रहा कंप्‍यूटरीकरण और ब्राड बैंड सेवा वेब पत्रकारिता के विस्‍तार को बढ़ा रहा है। अब इसमें एक और परिवर्तन देखने को मिला है और वह है मोबाइल सेवाओं का विस्‍तार। डेस्‍क टॉप या लैपटॉप न होने की दिशा में मोबाइल पर वेबसाइट खोलकर समाचारों और सूचनाओं को जाना जा सकता है। हालांकि, देश में बिजली की कमी, कंप्‍यूटर की लागत और ब्राड बैंड सेवा/इंटरनेट उपयोग का महंगा शुल्‍क वेब के विस्‍तार में मुख्‍य अड़चन है, लेकिन देश को आर्थिक महासत्‍ता बनाने के लिए बुनियादी सुविधाओं जिसमें बिजली भी शामिल है, को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। उम्‍मीद की जा सकती है कि आने वाले कुछ वर्षों में बिजली की कमी पूरी तरह दूर हो जाएगी। साथ ही ब्राड बैंड सेवा अपने विस्‍तार के साथ सस्‍ती होती जाएगी। इसी तरह कंप्‍यूटरों की लागत को भी पिछले कुछ वर्षों में वाकई कम किया गया है और आज एक लैपटॉप, डेस्‍कटॉप से सस्‍ता हो गया है। अब कुछ कंपनियां 15 हजार रुपए में लैपटॉप बेचने जा रही हैं जिससे यह तो तय है कि देश में कंप्‍यूटर आम आदमी की पहुंच में आता जा रहा है। इन तीन पहलूओं पर यदि तेजी से काम होता है तो समाचार और सूचनाओं का अगला सबसे ताकतवर माध्‍यम वेब पत्रकारिता ही होगा, इसमें अचरज नहीं है। प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यम की तुलना में वेब पत्रकारिता बाल्‍यवस्‍था से गुजर रही है, इसे युवा बनने दीजिए फिर यह भी तेजी से दौड़ेगी।


लेखक कमल शर्मा बिजनेस पत्रकारिता में पिछले 20 वर्षों से सक्रिय हैं। आईआईएमसी, दिल्‍ली के पूर्व छात्र रहे कमल मौजूदा समय में नेटवर्क 18 के पोर्टल कमोडिटीजकंट्रोल डॉट कॉम के संपादक-हिंदी पद पर कार्यरत हैं। उनसे संपर्क 09819297548 या फिर [email protected] के जरिए किया जा सकता है।

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0 Comments

  1. hatkar prashant d

    March 10, 2010 at 9:22 am

    this is very good knowldge for our media student.[b][/b]

  2. [email protected]

    October 11, 2010 at 10:47 pm

    kamal ji me aapki bat se sahmat hu..web journalism youngers ki pasand banti ja rahi he web journalim ka sunahra bhavisya hoga..

  3. [email protected]

    October 11, 2010 at 10:51 pm

    kamal ji mene aapaka artical padha me aapki bat se sahmat hu…internet ka jese jese wistar hoga.. ane wale samye me web journalism ka bhi wistar hoga..ab to yongars ki pasand web journalism banti ja rahi he….

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