मशहूर खेल पत्नकार और कमेंटेटर राजन बाला का बेंगलुरु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु हार्ट अटैक के कारण हुई। वे 63 वर्ष के थे। परिवार में उनके पीछे पत्नी और दो पुत्र हैं। राजन बाला ने कई किताबें लिखी हैं जिसमें नवीनतम किताब ‘टाइम वेल स्पेंट’ इसी हफ्ते रिलीज होनी थी। राजन की लिखी पुस्तकों में कीवीज एवं कंगारुज, एन अकाउंट आफ न्यूजीलैंड्स 1969 टूर आफ इंडिया, ग्लांसेज एट परफेक्शन, द कवर्स आर आफ, द पॉलिटिक्स आफ इंडियन क्रिकेट और बायोग्राफीज आफ चंद्रशेखर एंड सचिन तेंदुलकर शामिल हैं। वे पांडिचेरी क्रिकेट एसोसिएशन के सीईओ रह चुके हैं। चार दशकों से ज्यादा समय से खेल पत्रकारिता से जुड़े रहे राजन ने देश के नामी-गिरामी अखबारों व मैग्जीनों के लिए काम किया। इन दिनों वे टीवी9 से जुड़े हुए थे। राजन बाला ने क्रिकेट की बाइबिल माने वाली पत्निका ‘विजडन क्रिकेटर’ और ‘विजडन अलामांक’ के लिए कई वर्षो तक भारतीय संवाददाता के रूप में काम किया।
राजन 1970 के दशक में युवा पत्रकारों के लिये आदर्श थे। लंदन से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद राजन ने खेल पत्नकारिता को अपना कॅरियर बनाया। शुरू में उन्होंने क्रिकेट के बारे में बहुत लिखा लेकिन बाद में भारतीय फुटबाल और टेनिस में भी गहरी पैठ बना ली। वह क्लब स्तर के एक अच्छे क्रिकेटर थे जो शीर्ष क्रम में बल्लेबाजी तथा स्पिन गेंदबाजी करते थे। राजन बाला के निधन की खबर से देश-विदेश के खेल पत्रकार स्तब्ध हैं। मशहूर खेल पत्रकार पदमपति शर्मा को जब राजन बाला के निधन की खबर मिली तो वे फूट-फूट कर रोने लगे। पदमपति शर्मा ने कहा कि राजन हिंदुस्तान के ही नहीं बल्कि दुनिया के नंबर एक क्रिकेट समीक्षक थे। अगर सचिन तेंदुलकर को अपने खेल को लेकर कोई परामर्श करना होता था तो वे किसी क्रिकेटर के पास जाने की जगह राजन बाला की शरण में जाते थे। राजन ने किशोर उम्र में ही कलम थाम लिया था। वे चाहते तो इंडिया की टीम में खेल सकते थे लेकिन उन्होंने खेल पत्रकारिता को अपना मिशन बनाया और अंत तक उसी कलम के लिए समर्पित रहे। पदमपति शर्मा जल्द ही राजन बाला से संबंधित अपने संस्मरणों को लिखेंगे।