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दुख-दर्द

मीडियावाली से शादी कर रो रहा मीडियावाला

यह पत्र एक न्यूज चैनल के नोएडा स्थित आफिस में कार्यरत एक पत्रकार ने लिखा है। इसमें उसने अपने साथ हुए भयानक हादसे के बारे में विस्तार से बताया है।

यह पत्र एक न्यूज चैनल के नोएडा स्थित आफिस में कार्यरत एक पत्रकार ने लिखा है। इसमें उसने अपने साथ हुए भयानक हादसे के बारे में विस्तार से बताया है।

इस पत्रकार की कथा एक बार पहले भी खबर के रूप में भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हो चुकी है, जिसे पढ़ने के लिए क्लिक कर सकते हैं- प्रेम किया, शादी की, अब जान पर बन आई!! पत्रकार महोदय ने इस बार अपनी कहानी खुद अपने हाथ से लिखकर मेल किया है। उन्होंने अनुरोध किया है कि उनका नाम फिलहाल न दिया जाए, इसलिए उनका बदला हुआ नाम सुधाकर दिया जा रहा है। इस दर्द भरी कथा को पढ़ने के बाद एक बार आप जरूर प्रेम विवाह, मीडिया के भीतर माहौल और पति-पत्नी के रिश्तों पर सोचेंगे। अगर आप सुधाकर से संपर्क करना चाहें तो [email protected] का सहारा ले सकते हैं।

-एडिटर, भड़ास4मीडिया


मै रोता रहा, गुहार करता रहा

पर उसे न शर्म थी, न लाज

दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र भारत। उस देश के लिए लिए इससे अच्छा सम्मान का विषय क्या होगा जहां एक नारी देश के सबसे बड़े पद पर आसीन है। जहां एक नारी देश के सबसे बड़े राज्य की मुख्मंत्री है। जहां देश के सबसे बड़े दल की अगुआ एक नारी ही है। अब तो लोकसभा अध्यक्ष भी एक नारी होने जा रही हैं। शायद इसीलिए संविधान में ऐसी व्यवस्था की गई है की किसी भी प्रकार उसके नैतिक मूल्यों का हनन न हो और इस आदमी प्रधान समाज में वो अपना वर्चस्व व सम्मान बचाए रह सके। इसीलिए 498a के रूप में ये व्यवस्था की गयी है ताकि किसी नारी के साथ अन्याय ना हो। पर हे री आज की पढ़ी-लिखी नारी, तूने तो इस कानून को सम्मान पाने की जगह खुद को पतित करने का हथियार बना डाला। ऐसा इस एक्ट के ज्यादातर केसों में देखने को मिला रहा है। मेरा इतना लिखने का मकसद पाठको को बोर करना नहीं है, बल्कि मेरे साथ जो किया गया है, उसे बयां करना है। ये भूमिका बांधना जरुरी भी है। पर पहले एक नजर 498a है क्या, उस पर। 

आपकी पत्नी अगर पास के पुलिस स्टेशन पर 498a दहेज एक्ट या घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत एक लिखित शिकायत करती है तो आप, आपके बूढे मां-बाप और रिश्तेदार फौरन ही बिना किसी विवेचना के गिरफ्तार कर लिए जाएंगे और गैर-जमानती टर्म्स में जेल में डाल दिए जाएंगे, भले ही लिखित शिकायत फर्जी और झूठी ही क्यों न हो! आप शायद उस गलती की सजा पा जाएंगे जो आपने की ही नहीं और आप अपने आपको निर्दोष भी साबित नही कर पाएंगे। अगर आपने अपने आपको निर्दोष साबित कर भी लिया तब तक शायद आप आप न रह सकें बल्कि समाज में एक जेल याफ्ता मुजरिम कहलाएं। आप का परिवार समाज की नजर में क्या होगा, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। 498a दहेज एक्ट या घरेलू हिंसा अधिनियम को केवल आपकी पत्नी या उसके सम्बन्धियों के द्वारा ही निष्प्रभावी किया जा सकता है। आपकी पत्नी की शिकायत पर आपका पूरा परिवार जेल जा सकता है, चाहे वो आपके बूढे मां-बाप हों, अविवाहित बहन, भाभी (गर्भवती ही क्यूं न हो) या 3 साल का छोटा बच्चा। शिकायत को वापस नहीं लिया जा सकता और शिकायत दर्ज होने के बाद आपका जेल जाना तय है। ज्यादातर मामलों में यह कम्पलेंट झूठी ही साबित होती है और इस को निष्प्रभावी करने के लिए स्वयं आपकी पत्नी ही अपने पूर्व बयान से मुकर कर आपको जेल से मुक्त कराती है। इस कानून से आपका परिवार एक अनदेखे तूफान से घिर जाएगा। साथ ही साथ आप भारत के इस सड़े हुए भ्रष्ट तंत्र के दलदल में इस कदर फंसेंगे कि हो सकता है आपका या आपके परिवार के किसी शख्स का मानसिक संतुलन ही न बिगड़ जाए। यह कानून आपकी पत्नी द्वारा आपको ब्लैकमेल करने का सबसे खतरनाक हथियार है इसलिए आपको शादी करने से पूर्व और शादी के बाद ऐसी भयानक परिस्थिति का सामना न करना पड़े, इसके लिए कुछ एहतियात की जरूरत होगी।

मैं एक न्यूज चैनल मै प्रोड्यूसर हूं। मेरे साथ इससे भी भयानक हादसा हुआ। मेरा देश के एक बड़े चैनल में काम करनी वाली लड़की के साथ 6 वर्ष तक प्रेम रहा। उसका परिणाम ये हुआ कि जब उनके घर वालो ने साफ कर दिया कि वो हमारे रिश्तों को नाम नहीं दे सकते तो मैंने और उस लड़की ने ये फैसला किया कि हमें तो साथ रहना है, सो, शादी क्यों ना कर ली जाए। यहां एक बात और साफ कर दूं। इस दौरान उनकी शादी तय हो गई थी और कार्ड तक बंट गए थे। फिर भी हमने मंदिर में जाकर आर्य समाज रीति से शादी कर ली जिसे बाद में कोर्ट में रजिस्टर्ड भी करवा लिया। पर शायद मैं नारी चरित्र को समझ ना पाया। शादी के बाद हम एक दिन भी साथ ना रहे। बस यही था कि पहले घर वाले मान जाएं फिर सब कुठ ठीक हो जाएगा और हम लोग अच्छे से साथ रहने लगेंगे। पर शायद मै मूर्ख था। मीडिया में काम करने वाली लड़की के मन को ना समझ पाया। एक दिन अचानक मुझे पता चला कि मेरे खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज करवा दी गयी है, दहेज और मारपीट की। और फिर शुरू हुआ मेरे पतन का वो भयानक दौर जिसे याद करके आज भी मेरी आत्मा सिहर उठती है। सुबह-शाम पुलिस का धमकाना, बस ये कहना कि चुपचाप जाकर कोर्ट में आपसी रजामंदी से तलाक़ ले लो वरना खत्म कर दियो जाओगे, पूरा परिवार जेल जाएगा, वो जज साहब की बेटी हैं, मान जाओ और तलाक़ ले लो, आराम से। पर मैंने हिम्मत ना हारी। कोशिश की अपनी पत्नी से ये जानने की कि ये सब अचानक क्या हुआ, मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा और किया, फिर ये क्या है और मेरे परिवार का नाम क्यों जबकि तुमसे शादी करने की वजह से मेरे परिवार ने मुझे बेदखल तक कर दिया है। मैंने नारी, अपनी उस पत्नी का कैसा रूप देखा….। वो लड़की जिसके लिए मैंने कभी किसी चीज की परवाह ना की। खुद एक बाइक पे चलता था और अपनी जमा पूंजी से उसको कार खरीद कर दी ताकि वो सुख से रहे। आज इसने मुझे ये क्या दिन दिखाया। मै रोता रहा। गुहार करता रहा। पर ना जाने ये उस औरत का कैसा रूप था, जिसे ना शर्म थी ना लाज। उनके एक साथी से बात की जो उनका काफी करीबी था। पर उसने ये कहकर कि ये उसका निजी मामला है, बात टाल दी। मै पिसता रहा। मेरा परिवार अलग परेशान था। कोई राह नहीं थी। पूरा न्यायालय मेरे खिलाफ था। लगने लगा, शायद न्याय न्यायाधीशों के घर-परिवार के लोगों के लिए ही बना हो।

कई बार कोशिश की कि आत्महत्या कर लूं पर सफल नहीं हो सका और हार कर वो करना पड़ा जो पुलिस, न्यायालय और वो चाहती थी। मैं टूट गया। बस रो लेता था। परिवार गया। इज्जत गई। दोस्त गए। सम्मान गया। मेरे जीवन पर बिना किसी कारण के तलाकशुदा लिख दिया गया। मैंने उसके आस-पास के लोगों से कितनी गुहार की, मिन्नतें की, पर सबने ये समझा कि शायद मैंने ही कुछ किया होगा। पर सच्चाई अभी बाकी थी। इसी चैनल में काम करने वाले उनके साथी जो झूठी और कपोल-कल्पनाएं वाली स्टोरी को स्वर्ग की सच्चाई बता कर पत्रकार होने का दावा करते हैं और लोगों से कहते-फिरते हैं कि वो आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे, ने जो खेल मेरे साथ खेला, उसका परिणाम मेरा तलाक़ था। शायद ये उस व्यक्ति की दबी हुई वासना ही थी जो उसने ये खेल खेला और पूरी तरह सफल हुआ। पर यहां एक बात साफ हो गई। मीडिया में काम करने वाले कई लोगों का दीन-इमान खत्म हो चुका है। ना मेरी पत्नी को अब शर्म आती है कि मेरे बाद भी कोई उसे हाथ लगा भी ले तो क्या, ना उस बेशरम को शर्म आएगी जो अपने को ब्रह्मचारी कहता है।

मेरा तो सब कुछ इस 498a के झूठ ने छीन लिया। पर वक्त के साथ-साथ मैं थोड़ा संभला हूं। जिस झूठ से मेरा पतन किया गया, उसी झूठ से मैं अपनी लड़ाई शुरू कर रहा हूं। ना मेरी पत्नी, ना पुलिस और ना कोर्ट, अब कोई अपनी जवाबदेही से नहीं बच पाएंगे क्योकि अब जंग होगी हर कीमत पर। इस कलम के माध्यम से मै अपनी बात उन सभी लोगों तक रख रहा हूं जो औरत के और भारतीय दंड विधान के इस कुचक्र में फंस कर अपना सब कुछ गंवा चुके हैं और इस भयानक सच्चाई के साथ-साथ मौत की तरफ कदम बड़ा रहे हैं। कृपया संभल जाओ। अपने सही के लिए लड़ना ही जीवन का मकसद है।

मैं जब तक जीवित हूं, इस झूठ के खिलाफ लड़ता रहूंगा।

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पीड़ित पत्रकार सुधाकर से संपर्क करने के लिए [email protected] का सहारा ले सकते हैं। 

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