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पत्रकारों के लिए एशिया सबसे खतरनाक इलाका

वियना : मीडिया की निगरानी संस्था इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) ने कहा है कि 2009 में दुनिया भर में कुल 110 पत्रकार मारे गए। यह साल पत्रकारों के लिए इस दशक का सबसे जानलेवा साल साबित हुआ। आईपीआई ने अपनी सालाना समीक्षा ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम रिव्यू’ में गुरुवार को कहा कि एशिया में 55 पत्रकारों के मारे जाने से यह पत्रकारों के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक क्षेत्र साबित हुआ। लातिन अमेरिका में 28 पत्रकारों ने अपनी जान गंवाई। अफ्रीका में भी पिछले साल 14 पत्रकारों की मौत हुई।

<p align="justify">वियना : मीडिया की निगरानी संस्था इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) ने कहा है कि 2009 में दुनिया भर में कुल 110 पत्रकार मारे गए। यह साल पत्रकारों के लिए इस दशक का सबसे जानलेवा साल साबित हुआ। आईपीआई ने अपनी सालाना समीक्षा 'वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम रिव्यू' में गुरुवार को कहा कि एशिया में 55 पत्रकारों के मारे जाने से यह पत्रकारों के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक क्षेत्र साबित हुआ। लातिन अमेरिका में 28 पत्रकारों ने अपनी जान गंवाई। अफ्रीका में भी पिछले साल 14 पत्रकारों की मौत हुई।</p>

वियना : मीडिया की निगरानी संस्था इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) ने कहा है कि 2009 में दुनिया भर में कुल 110 पत्रकार मारे गए। यह साल पत्रकारों के लिए इस दशक का सबसे जानलेवा साल साबित हुआ। आईपीआई ने अपनी सालाना समीक्षा ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम रिव्यू’ में गुरुवार को कहा कि एशिया में 55 पत्रकारों के मारे जाने से यह पत्रकारों के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक क्षेत्र साबित हुआ। लातिन अमेरिका में 28 पत्रकारों ने अपनी जान गंवाई। अफ्रीका में भी पिछले साल 14 पत्रकारों की मौत हुई।

आईपीआई के मुताबिक पश्चिम एशिया में छह पत्रकारों की मौत हुई जिसमें अकेले इराक में मारे गए चार पत्रकार भी शामिल है। इराक में 2008 में 14 पत्रकार मारे गए थे। यूरोप में 2009 में कुल सात पत्रकार मारे गए। इनमें रूस में मारे गए पांच पत्रकारों के अलावा तुर्की और अजरबैजान में मारे गए एक-एक पत्रकार भी शामिल हैं। ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम रिव्यू’ के प्रबंध संपादक एंथनी मिल्स ने लिखा है पत्रकारों को यदि उनके काम की वजह से मौत के घाट उतारा जाता है तो इसका मतलब है कि हम अभी भी बर्बरता के दौर में हैं। (एजेंसी)

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0 Comments

  1. SAPAN YAGYAWALKYA

    February 12, 2010 at 2:32 pm

    patrakaron ke liye har vah jagah khatarnak hai,jahan ke log achchhi ka sakriya samarthan nahin karte.magar satya yah bhi hai ki roshni ki jarurat vahan utni jyada hoti hai,jahan jyada andhera hota hai.SapanYagyawalkya.Bareli(MP)

  2. omprakashsingh

    February 13, 2010 at 1:01 pm

    jaa to jaa kaha

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