: कालगर्लों के सहयोग से पैसे वालों को पटाते थे फिर ब्लू फिल्म बनाकर उगाही करते थे : गाजियाबाद पुलिस द्वारा ब्लैकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार किए गए चार फर्जी पत्रकारों ने पूछताछ में कई राज उगले हैं. गिरफ्तार की गई तीन कालगर्ल्स के संबंध भी इन पत्रकारों से थे. कॉलगर्ल्स ग्राहकों को फांसती थीं और ये चारों पत्रकार बनकर चोरी-छिपे उनकी वीडियो फिल्म तैयार करते थे.
उसके बाद ग्राहकों को ब्लैकमेल करने का सिलसिला प्रारंभ होता था. इन फर्जी पत्रकारों से बरामद वीडियो कैमरे में कई अन्य ग्राहकों के अश्लील फोटो और फिल्में मिली हैं. इन सभी को ये लोग ब्लैकमेल कर चुके थे. पुलिस ने चार फर्जी पत्रकारों की रेलवे इंजीनियर को ब्लैकमेल करने के आरोप में गिरफ्तारी की थी. इन पत्रकारों ने दो युवतियों की मदद से इंजीनियर को नंदग्राम में एक कॉलगर्ल के घर बुलाया और छिपकर उसका अश्लील वीडियो बनाया. उसके बाद वीडियो को सार्वजनिक करने की धमकी देकर उससे 5 लाख रुपए मांगे. बाद में उसके एटीएम का पासवर्ड पूछकर 15 हजार रुपए निकाले और 30 हजार का चेक ले लिया. इस दौरान पुलिस ने मौके पर इन फर्जी पत्रकारों समेत तीन कॉलगर्लों और एक ग्राहक को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस पूछताछ में उन्होंने स्वीकारा कि वे पकड़ी गई कॉलगर्ल को जानते थे और मिलकर इस खेल को अंजाम दे रहे थे. पुलिस अब उनकी वीडियो फिल्म के आधार पर उन लोगों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही है जिन्हें ये फर्जी पत्रकार ब्लैकमेल कर चुके थे. फर्जी पत्रकारों के संबंध नंदग्राम चौकी समेत कई थानों के पुलिसकर्मियों से भी थे. गिरफ्तारी के बाद थाने लाए गए फर्जी पत्रकारों ने खुलकर गोरखधंधे में शामिल पुलिसकर्मिर्यों के बारे में बताया. पुलिस वालों के संलिप्त होने की शिकायत पुलिस अधिकारियों को भी मिली है. फर्जी पत्रकारों के मोबाइल फोन के डिटेल्स पुलिस निकाल रही है, ताकि फर्जीवाड़े में शामिल अन्य लोगों के बारे में पता चल सके. संभव है, कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो.
mithilesh kumar, palamu
August 16, 2010 at 7:33 am
Farji patkaro ka yhi hal hona chahiye tha, abhi our kai log ptrkarita ke nam par gorkhdanda kar rare hai, unhe bhi benkab kanre ki jarurt hai
rahul sharma
August 16, 2010 at 3:18 pm
भैया, ये लोग तो छोटी मछली है, गाज़ियाबाद में तो बड़े बेनर लेकर बड़े गोरखधंधे करने वालों की पूरी एक जमात है यदि उन पर शिकंजा कसे तो ये छोटी मछलिया तो खुद ही ख़त्म हो जायेंगी | रही बात इन काले कारनामे करने वालों की तो बता दूँ कि इन लोगों की करतूत को भी सलाखों तक पहुंचाने वाले कुछ इन्ही के भाई-बंधु है जो इनकी करतूतों की वजह से अपनी कारगुजारी नहीं कर पा रहे थे | अब शायद उन पुलिस के मुखबिरों की दुकानदारी तब तक चलती रहे जब तक जेल गए ये चार फर्जी पत्रकार वापस लोटें |
anirudh kumar
August 16, 2010 at 3:20 pm
कहा जाता है, पत्रकार एक वुद्विजीवी वर्ग होते हैं, जो समाज के लोगों के साथ मिलकर आसपास फैल रहे सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने का प्रयास करते हैं। लेकिन जब पत्रकारों के नाम पर समाज को ठगने वाले ठग पैदा हो जाएंगे तो शायद लोकतंत्र का ढांचा जरूर बिगड़ जाएगा, इसलिए इस बातों को ध्यान में रखते है मुझे गाजियाबाद पुलिस से आशा है कि इस तरह के ब्लैकमेलर को अन्य सजा से भी कड़ी सजा देने की चार्जशीट बनाएं, अनिरूद्व
पटना