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पाल साहब ने कहा है तो ज्योति बसु मर ही गए होंगे!

राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित खबरजिंदा कामरेड को मुर्दा घोषित किया : राष्ट्रीय सहारा अखबार ने ज्योति बसु को मरा मान लिया है। यकीन नहीं होता तो राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर के सिद्धार्थनगर संस्करण में छपी इस खबर को पढ़ लीजिए। एक नेता के प्रेस नोट के आधार पर ज्योति बसु के मौत की खबर पब्लिश कर दी गई। हालांकि ज्योति बसु अभी जिन्दा हैं। निमोनिया संक्रमण से पीड़ित माकपा नेता को जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। प्रधानमंत्री से लेकर तमाम बड़े नेता ज्योति बसु की खैरियत जानने के लिए बंगाल पहुंच रहे हैं लेकिन कांग्रेस के एक नेताजी ने उनकी मौत पर शोक सभा का आयोजन कर डाला।

राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित खबर

राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित खबरजिंदा कामरेड को मुर्दा घोषित किया : राष्ट्रीय सहारा अखबार ने ज्योति बसु को मरा मान लिया है। यकीन नहीं होता तो राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर के सिद्धार्थनगर संस्करण में छपी इस खबर को पढ़ लीजिए। एक नेता के प्रेस नोट के आधार पर ज्योति बसु के मौत की खबर पब्लिश कर दी गई। हालांकि ज्योति बसु अभी जिन्दा हैं। निमोनिया संक्रमण से पीड़ित माकपा नेता को जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। प्रधानमंत्री से लेकर तमाम बड़े नेता ज्योति बसु की खैरियत जानने के लिए बंगाल पहुंच रहे हैं लेकिन कांग्रेस के एक नेताजी ने उनकी मौत पर शोक सभा का आयोजन कर डाला।

नेताजी का नाम है जगदम्बिका पाल। नेताजी उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र से पार्टी के सांसद हैं। नेताजी ने उन्हें महान विचारक बताते हुए उनकी मौत पर गहरा दुःख प्रकट किया, पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ दो मिनट का मौन रखा, दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। इस कार्यक्रम का आयोजन सिद्धार्थनगर जनपद के पार्टी कार्यालय पर हुआ। इसके बाद जिले के तमाम प्रमुख समाचार पत्रों के कार्यालय पर प्रेस विज्ञप्ति भी भिजवा दी। प्रेस विज्ञप्ति पहुंचने के बाद रिपोर्टर की भूमिका शुरू हो जाती है।

रिपोर्टर ने खबर को कन्फर्म करने के लिए दूसरे अखबार के रिपोर्टर को फोन लगाया और पूछा कि क्या ज्योति बसु की मौत हो गयी है? दूसरे अखबार के रिपोर्टर ने तपाक से जवाब दिया कि जब पाल साहब ने कहा है तो ज्योति बसु मर ही गये होंगे। फिर क्या था, रिपोर्टर की कलम चली और सिंगल कालम की एक पुराने ढर्रे वाली खबर तैयार। खबर को ब्यूरो प्रमुख ने भी पास कर दिया। खबर गोरखपुर डेस्क पर पहुंची और उपसंपादक और संपादक महोदय की नजरों से होते-बचते प्रिन्ट होने के लिए चली गयी। अगले दिन सुबह राष्ट्रीय सहारा में बसु के मौत व शोकसभा की खबर नगरवासी पढ़ रहे थे। सिद्धार्थनगर जनपद के बेचारे पाठक ज्योति बसु के निधन की खबर पढ़कर शोक प्रकट कर रहे हैं और उनकी दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। देखा आपने, नेता और मीडिया ने मिलकर किस तरह जिंदा कामरेड को निपटा दिया।

नेताजी द्वारा प्रेषित प्रेस रिलीज ये है-

जगदंबिका पाल की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति

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0 Comments

  1. Laxmi Kant

    January 17, 2010 at 4:54 am

    Samaachaar patra mei naam aane k liye Netaa jee kuch v likhkar bhej sakte hai. Ye reporter ki v jimmedaari hai ki vo khabaro ki pushti kare. Jyoti Basu jaise Leader ki maut ki khabar bagair sachchaai jaane prakaashit karnaa maaf na karne waalw kritya hai.

  2. vishal

    January 18, 2010 at 5:52 am

    wah pal sahab aap toh yamraj ke bhi baap hai……………..

    toh is bar pal ji aap kis bade neta ko pahle se mar rahe hai
    uski bhi khabar sahara ko jaldi bhej digiye aapki khabar waha baithe log daru pi kar chap denge……………….

  3. Vasant Joshi

    January 18, 2010 at 7:42 am

    Sahara wale kuchh bhi chhap sakte hai…kamal ki baat hai.

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