: जिले के सभी पत्रकार संगठन हत्या के खिलाफ लामबंद : हत्या के पर्दाफाश के लिए सड़क पर उतरे पत्रकार : फर्जी पुलिस मुठभेड़ों में दर्जनों युवकों को मौत के घाट उतार चुकी और फर्जी मुकदमों में सैकड़ों बेगुनाहों को मिर्जापुर, वाराणसी और नैनी जेल में ठूंस चुकी सोनभद्र की पुलिस दैनिक हिन्दुस्तान के संवाददाता की रहस्यमय हालात में मौत को दुर्घटना साबित करने में जुटी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि कमलेश की मौत धारदार चीज से हुई है। पुलिस के रवैये से क्षुब्ध पत्रकारों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और सड़क पर उतर आए हैं।
गौरतलब है कि बीते 30 जुलाई की रात कुछ अज्ञात लोगों ने बभनी कस्बा निवासी युवा पत्रकार कमलेश कुमार उर्फ हीरो की हत्या कर उसका शव पिपरी थाना क्षेत्र के लभरीगाढ़ा गांव के पास वाराणसी-शाकितनगर राजमार्ग पर फेंक दिया था। कुलडोमरी के जिला पंचायत सदस्य रामकेवल यादव के वाहन चालक कमला ने मार्ग से गुजरते समय शव की सूचना पिपरी थाना की पुलिस को दी। करीब दो घंटे बाद घटना स्थल पर पहुंचे दारोगा मुरारीलाल ने घटनास्थल के पास एक सुनसान ढाबे में कमलेश के शव को फेंकवा दिया और वापस पुलिस स्टेशन आ गए। मामले की जानकारी होने पर क्षेत्रीय पत्रकारों ने पुलिस की इस अमानवीय कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। आनन-फानन में अलसुबह पुलिस ने शव को लावारिश बताते हुए पोस्टमार्टम के लिए दुद्धी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया। इस दौरान पुलिस ने शव का पंचनामा भी कराना मुनासिब नहीं समझा।
अब पुलिस कमलेश की हत्या को दुर्घटना बताकर मामले को रफा-दफा करने में लगी है, जबकि कमलेश के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हत्या की आशंका प्रबल है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कमलेश के शरीर में 22 जगहों पर चोट लगने की बात प्रकाश में आयी है। रिपोर्ट की माने तो कमलेश के शरीर पर धारदार हथियार से गंभीर वार किये गये हैं। जिसकी वजह से कमलेश के पेट में तीन चोटों के अलावा हाथ में गंभीर घाव था। कमलेश के दाहिने कान के पिछले हिस्से के पास की हड्डी टूटने एवं बाएं कान के पास गंभीर चोट लगने की बात भी सामने आयी है। उक्त चोटों के आधार पर जानकार कमलेश की हत्या होने की बात कह रहे हैं। वहीं पुलिस कमलेश को नशे में धुत होने और उसकी मौत दुर्घटना के कारण होने की बात कह रही है, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एल्कोहल का अंश नहीं मिला है। युवा पत्रकार कमलेश की हत्या के मामले में पुलिस की इस कार्रवाई से जनपद के पत्रकारों का गुस्सा फूट पड़ा है और वे सड़क पर उतर आए हैं। विभिन्न पत्रकार संगठनों ने संयुक्त रूप से युवा पत्रकार कमलेश की हत्या की जांच सीबीसीआईडी से कराने, मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने और बभनी एवं पिपरी थाना की पुलिस के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
बीते एक सप्ताह से जिले के पत्रकार जनपद के बभनी, दुद्धी, विंढमगंज, ओबरा, चोपन, अनपरा, राबर्ट्सगंज, घोरावल आदि जगहों पर धरना प्रदर्शन, चक्का जाम, बाइक जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छह अगस्त को ओबरा में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों को गिरफ्तार भी किया। इसके बावजूद जिला प्रशासन कमलेश हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच कराने से पीछे भाग रहा है। उधर, मामला बढ़ता देखकर सोनभद्र पुलिस प्रशासन ने मामले की जांच अनपरा के क्षेत्राधिकारी को सौंप दिया है और पिपरी थाने के दारोगा मुरारीलाल को शव के साथ अमानवीय कृत्य के आरोप में सोनभद्र का मलाईदार कहा जाने वाला थाना ओबरा में स्थानांतरित कर दिया गया है। पुलिस विभाग के इस कार्रवाई को जिले के पत्रकार मामले को रफा-दफा करने की कार्रवाई के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि पुलिस विभाग की ऐसी कार्रवाई से कभी किसी पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला है। वैसे भी जनपद की पुलिस पत्रकारों एवं उनके परिजनों के मामले में हमेशा उदासीनता ही बरतती रही है।
पुलिस की उदासीनता का ही परिणाम है कि युवा पत्रकार कमलेश के बड़े भाई लाला की एक साल पूर्व हुई हत्या में पुलिस ने आज तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की, ना ही मामले का पर्दाफाश हुआ। पुलिस ने तालाब में डूबने से लाला की मौत हुई है कहकर मामले को रफा-दफा कर दिया था। जबकि लाला की हत्या के मामले में कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया था। कमलेश द्वारा अपने बड़े भाई की हत्या समेत कोंगा हत्यागांड (दो वर्ष पूर्व कोंगा गांव में एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी) का पर्दाफाश करने के कारण उसको धमकी मिल रही थी। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन ने उदासीनता बरती। जनपद के पत्रकार एमए खान, राजेंद्र द्विवेदी समेत तमाम पत्रकारों के मामले में भी पुलिस का रवैया निराशाजनक रहा। जनपद में बढ़ते खनन माफियाओं, अपराधियों की बदौलत लोकतंत्र के पहरूआ मीडियाकर्मियों पर खतरा हमेशा मंडराता रहता है। इसके बावजूद मीडियाकर्मियों की शिकायत पर जिला प्रशासन उदासीन ही बना रहता है, जिसका परिणाम युवा पत्रकार कमलेश की हत्या के रूप में सामने है।
मीडियाकर्मियों के प्रति पुलिस प्रशासन की इस उदासीनता के खिलाफ विभिन्न पत्रकार संगठनों ने देशव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी है। जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सीविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने पत्रकार कमलेश की हत्या को लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया है। जेयूसीएस के संयोजक शहनवाज आलम ने कहा कि देश के विभिन्न इलाकों खासकर खनन बहुल एवं नक्सल प्रभावित इलाकों पत्रकारों पर हो रहा हमला लोकतंत्र की आवाज को दबाने के लिए की गई साजिश का हिस्सा है। इस साजिश के खिलाफ लोकतंत्र के पहरुओं विशेषकर मीडियाकर्मियों को एकजुट होकर सामंती ताकतों के खिलाफ लड़ना होगा तभी कमलेश सरीखे पत्रकारों के परिजनों को न्याय मिल पाएगा। शहनवाज आलम ने कहा कि संगठन के प्रदेश कमेटी के सदस्य एवं सोनभद्र प्रभारी शिवदास एवं अन्य साथी पत्रकार कमलेश हत्याकांड की जांच कर रहे हैं। कमलेश हत्याकांड से जुड़ी जेयूसीएस की रिपोर्ट जल्द ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, केंद्र एवं राज्य सरकार को सौंपी जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की जाएगी।
भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संरक्षक मिथिलेश द्विवेदी ने कमलेश के शव के साथ पुलिस द्वारा की गई अमर्यादित कार्रवाई की निंदा की और कहा कि अगर कमलेश के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया तो संगठन देशव्यापी आंदोलन करेगा। वहीं, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने पत्रकार कमलेश के परिजनों को जल्द से जल्द आर्थिक सहायता दिये जाने और कमलेश के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की है। पूर्वांचल प्रेस क्लाब के जिलाध्यक्ष राम प्रसाद यादव ने मामले की सीबीसीआईडी जांच कराने की मांग की है। भारतीय ग्रामीण पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष चंद्रमणि शुक्ला और ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुधाकर मिश्रा ने भी जिला प्रशासन से पत्रकार कमलेश हत्याकांड की जांच सीबीसीआईडी से कराने की मांग की है।
सोनभद्र से शिवदास “गुमनाम” की रिपोर्ट
girdhari
August 8, 2010 at 12:15 pm
pulis vale aur apradhiyon me jyada fark nahi.isee liye pulish esa kar rahi he
khabri
August 8, 2010 at 6:07 pm
भगवान कमलेश की आत्मा को शांति और उसके हत्यारों को सलाखों के पीछे की रोटियां नसीब करवाये। लेकिन आज पुलिस की इतनी हिम्मत कैसे पड़ गयी कि वो खुलेआम पत्रकार की हत्या को दुर्घटना करार दे रही है। दरअसल, हमने कई बार उसकी इस करतूत पर मोहर लगाते हुए उसके पक्ष में खबरें लिखी हैं। सोनभद्र के पत्रकारों का बिजनेस दूर दूर तक मशहूर है। ऐसे में इन वर्दीवालों का मन क्यों न बढ जाए।
arun kumar chaubey
August 11, 2010 at 11:19 am
Darasal, yeh sonbhadra me police ke medal war ka ek part hai.kuch sal pahale nagawa me 2 yuvako ka apaharan 2darogao ke bich apasi khunnas me ho gaya tha. rantola kand sabko pata hi hai.akhir kya wajah hai ki police is mamle ko accident sabit karne par tuli hui hai.
arun kumar chaubey
August 11, 2010 at 11:23 am
Bahut dukhad, trasad aur durbhagyapurn hai police ka ravaiya. iski jitani ninda ki jay kam hai.