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साहित्य

शब्द-शब्द सहेजी गयीं संवेदनाएं, बयां हुआ सच

: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की तरफ से इलाहाबाद में कवि गोष्ठी आयोजित : हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के इलाहाबाद स्थित क्षेत्रीय विस्तार केंद्र में इलाहाबाद शहर के ख्यातिनाम शब्दशिल्पी जब एकत्र हुए तो इस अवसर पर सच बयाँ हुआ और शब्द-शब्द सहेजी गयीं संवेदनाएं। इस अनूठे कविता पाठ के आयोजन में रचनाकारों ने अपनी कविताओं के जरिए समय और समाज के सच सहित जिंदगी की कड़ुआहटों और खिलखिलाहटों के अर्थ बयां किए।

<p style="text-align: justify;">: <strong>महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की तरफ से इलाहाबाद में कवि गोष्ठी आयोजित </strong>: हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के इलाहाबाद स्थित क्षेत्रीय विस्तार केंद्र में इलाहाबाद शहर के ख्यातिनाम शब्दशिल्पी जब एकत्र हुए तो इस अवसर पर सच बयाँ हुआ और शब्द-शब्द सहेजी गयीं संवेदनाएं। इस अनूठे कविता पाठ के आयोजन में रचनाकारों ने अपनी कविताओं के जरिए समय और समाज के सच सहित जिंदगी की कड़ुआहटों और खिलखिलाहटों के अर्थ बयां किए।</p> <p>

: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की तरफ से इलाहाबाद में कवि गोष्ठी आयोजित : हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के इलाहाबाद स्थित क्षेत्रीय विस्तार केंद्र में इलाहाबाद शहर के ख्यातिनाम शब्दशिल्पी जब एकत्र हुए तो इस अवसर पर सच बयाँ हुआ और शब्द-शब्द सहेजी गयीं संवेदनाएं। इस अनूठे कविता पाठ के आयोजन में रचनाकारों ने अपनी कविताओं के जरिए समय और समाज के सच सहित जिंदगी की कड़ुआहटों और खिलखिलाहटों के अर्थ बयां किए।

सोमवार 13 सितंबर की शाम आयोजित इस कविता पाठ कार्यक्रम की अध्यक्षता उर्दू के जाने माने रचनाकार एवं प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) के साथी प्रो. अकील रिज़वी ने की। उन्होंने कहा कि विभिन्न भावबोध की पढ़ी गयी कविताएं निश्चित रूप से हिंदी कविता के एक समृद्ध संसार को रूपायित करती हैं। इस अवसर पर नया ज्ञानोदय के संपादक एवं वरिष्ठ कथाकार व भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक रवीन्द्र कालिया मुख्य अतिथि थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आज इस कार्यक्रम में पढ़ी गयी सभी रचनाएं हिंदी कविता के भविष्य के प्रति आश्वस्त करती हैं।

आयोजन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय की अंग्रेजी पत्रिका हिंदी डिस्कोर्स की संपादिका एवं वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया ने काव्य पाठ को पूर्णतः सार्थक बताते हुए कहा कि एक अरसे बाद इतनी समृद्ध काव्य गोष्ठी में सिरकत करने का अवसर मुझे मिला। लखनऊ से पधारे  तद्‌भव के संपादक अखिलेश ने इलाहाबाद की समृद्ध साहित्यिक परम्परा के लिए इस गोष्ठी के महत्व को रेखांकित किया।

काव्यपाठ के लिए शहर के युवा एवं वरिष्ठ रचनाकारों ने भागीदारी की जिनमें हरिश्चन्द्र पांडे, बद्रीनारायण (प्रलेस), एहतराम इस्लाम (अध्यक्ष-प्रलेस, इलाहाबाद), यश मालवीय़ (नवगीतकार), अंशु मालवीय, सुरेश कुमार शेष (प्रलेस), नंदल हितैषी (इप्टा), जयकृष्ण तुषार, श्रीरंग पांडेय, संतोष चतुर्वेदी (जनवादी लेखक संघ), अजामिल (इलेक्ट्रॊनिक मीडियाकर्मी) अंशुल त्रिपाठी, संध्या निवेदिता आदि प्रमुख हैं।

गोष्ठी मे शेखर जोशी (जलेस) अनिता गोपेश (कथाकार एवं प्रदेश कार्यकारिणी  सदस्य-प्रलेस) ए.ए. फ़ातमी (प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य-प्रलेस), असरार गांधी (प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य-प्रलेस), सुरेन्द्र राही- सचिव प्रलेस,इलाहाबाद, अनिल रंजन भौमिक (नाट्य कर्मी- समानांतर – इलाहाबाद), अनुपम आनंद- नाट्य कर्मी, सुभाष गांगुली-कथाकार, कविता वाचक्नवी-कवयित्री व प्रतिष्ठित ब्लॉगर, प्रेमशंकर- जन संस्कृति मंच, रामायन राम (प्रदेश सचिव – आइसा), प्रकाश त्रिपाठी (सह संपादक-बहु वचन), रेनू सिंह, अल्का प्रकाश, हितेश कुमार सिंह, गोपालरंजन (वरिष्ठ पत्रकार), फखरुल करीम (उर्दू रचनाकार), शलभ भारती, श्लेष गौतम, के अतिरिक्त बड़ी संख्या में इलाहाबाद के साहित्यप्रेमी, संस्कृतिकर्मी एवं छात्र उपस्थित थे।

इलाहाबाद से सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की रिपोर्ट

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