ठाकुर साहेब के ब्लॉग पर छपी कुछ पंक्तियों का उल्लेख यहाँ पर करना चाहूँगा– “केडी सिंह कलाकार हैं, रहते हैं चंडीगढ़ में, जन्मे हैं जाट परिवार में, रैली हरिवंश के साथ लखनऊ में करते हैं, सांसद झारखंड से हैं, पकड़े असम में जाते हैं और सरकार बंगाल में बनाने का दावा करते हैं, इच्छा दिल्ली में रेल मंत्री बनने की है.” ठाकुर साहेब, ये तो राजनीति की मजबूरियां हैं और केडी सिंह जैसे कलाकार तो इस राजनीति में आते जाते रहते हैं. कुल जमा दस हज़ार करोड़ की कंपनियों के मालिक हैं. जिस दिन बाबू केडी सिंह 57 लाख रुपये की नकदी के साथ हवाई अड्डे पर रोके गए थे, उस दिन किसी भी मीडिया ने इस खबर को अपने चैनल पर दिखाने की हिमाकत नहीं की. हाँ, इक्के-दुक्के अख़बारों ने इस खबर को अपने बीच के किसी पन्ने पर छापने की हिम्मत जरूर कर दी.
पता नहीं क्या मजबूरियां थी इलेक्ट्रानिक मीडिया की जिसने इतनी बड़ी खबर को अपने चैनल पर एक बार भी दिखाने लायक नहीं समझा. खैर इलेक्ट्रानिक मीडिया को अब अगर कोई खबर और सच्ची खबर से जोड़ कर देखता है तो ये उसकी नासमझी है क्योकि न्यूज़ चैनल अब खबर नहीं परोसते बल्कि परोसते हैं वैसी खबरें जिनका आम जन मानस से कोई सरोकार हो न हो, पर उस खबर से चैनल के लाला (मालिक) की जेब जरूर भरती हो. खैर हम बात कर रहे थे केडी सिंह की. इनकी बहुत सारी कंपनियां हैं. पर जहां तक मेरी जानकारी है, इनकी ऐसी कोई भी कंपनी नहीं जो कानूनन इतने पैसे कमाती हो. पर सिंह साहेब कलाकार हैं तो पैसे येन केन प्रकारेण बना ही लेते हैं.
कुल जमा 30 करोड़ खर्च करने के बाद केडी सिंह राज्यसभा भी पहुँच गए. मुझे आज भी वो वक़्त याद है जब बाबू केडी सिंह किसी एमपी तक से मुलाकात करवाने पर मीटिंग फिक्स करने वाले को 25-50 हज़ार रुपये टिप में दे दिया करते थे. वर्तमान केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय ने भी किसी ज़माने में केडी सिंह के निजी विमान की खूब सेवा ली और उसकी कीमत भी चुकाई, उनके फ़ूड प्रोसेसिंग के धंधे को यथाशक्ति सहायता पहुंचा कर. चलिए अब बात कर लेते हैं केडी सिंह और नगद रुपयों की बानगी की. इस बार जब केडी सिंह 57 लाख रुपयों के साथ हवाई अड्डे पर पकड़े गए तो उन्होंने इन्कम टैक्स वालों को ये जवाब दिया की ये पैसे एकाउंटेड मनी है और वो इसे लेकर असम जा रहे हैं जहाँ उनका टी-गार्डेन है. पर अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि असम के रास्ते केडी सिंह ये पैसा बंगाल चुनाव में ममता दीदी की मदद के लिए ले जा रहे थे.
अगर वक़्त के चक्र को थोड़ा पीछे घुमाया जाये तो बाबू केडी सिंह के चंडीगढ़ के ठिकाने पर इन्कम टैक्स वालों ने पहले भी दस्तक दी थी और उस वक़्त कुल 22 लाख रुपये पकड़े गए थे जिसका केडी सिंह साहेब कोई जवाब नहीं दे पाए थे. इतना ही नहीं, इनके ऊपर बंगाल की भोली भाली जनता को चिटफंड के धंधे में ठगने के भी आरोप लगते रहे लेकिन आज उसी पश्चिम बंगाल की जनता का रहनुमा बनने का ख्वाब बाबू केडी सिंह देख रहे हैं. ऐसे कितने ही आरोप हैं बाबू केडी सिंह पर. हिन्दुस्तान में तो सब माया का खेल है. अगर बगल में नोटों की पोटली हो तो आप कुछ भी कर लो कुछ नहीं होता. खैर हम तो फिर दुआ करेंगे की श्री सिंह अपने मायाजाल को पूरे हिंदुस्तान में सफलतापूर्वक फैलाएं. भ्रष्टाचार के परचम को जितनी उंचाई तक ले जा सके, ले जाएँ, ताकि इनके असली सच को जानकर इन धन-दौलत वालों के खिलाफ भारतीय जनता जल्दी से जल्दी गोलबंद हो व क्रांति का बिगुल बजा सके.
लेखक श्रीनिवास प्रतिभाशाली टीवी जर्नलिस्ट हैं. इन दिनों भड़ास के माध्यम से छुट्टा पत्रकारिता कर रहे हैं.
shree nivash
April 2, 2011 at 2:08 pm
दोस्तों माफ़ करेंगे…एक भूल सुधर करना चाहूँगा…जब बाबु के डी सिंह के ठिकानो पर इन्कम टैक्स का छापा पड़ा था उस वक़्त २२ लाख नहीं बल्कि कुल जमा 22crore unaccounted amount बरामद हुआ था जिसका बाबु के डी सिंह कोई जवाब नहीं दे पाए थे…श्री निवास
minku
April 2, 2011 at 6:57 pm
kd singh ne assam ke kuchh media gharane ko bhi kharid liya hai.kuch nithale sampadak unki puchh pakar ghum rahen hain
चंदन
April 3, 2011 at 6:46 am
हुजुर, ये बाबू केडी सिंह कोई छुटभैया नेता नहीं हैं, 50 हजार करोड़ के अलकेम ग्रुप के मालिक हैं, इनके पास से 57 लाख मिलने से आपके जैसे छुटभइयों का छटपटाना समझ में नहीं आया… भड़ास पर आपकी ये भड़ास शायद केडी तक पहुंच जाती और आपको भी चरणामृत मिल जाता… लेकिन, अफसोस ऐसा होगा नहीं… वैसे आपको भी इलेक्शन का काफी अनुभव है… कहीं और मिहनत कीजिए शायद दाल गल जाए। आमीन
नीरज
April 3, 2011 at 7:20 am
हुजुर, ये बाबू केडी सिंह कोई छुटभैया नेता नहीं हैं, 50 हजार करोड़ के अलकेम ग्रुप के मालिक हैं, इनके पास से 50 लाख मिलने से आपके जैसे छुटभइयों का छटपटाना समझ में नहीं आया… भड़ास पर आपकी ये भड़ास शायद केडी तक पहुंच जाती और आपको भी चरणामृत मिल जाता… लेकिन, अफसोस ऐसा होगा नहीं… वैसे आपको भी इलेक्शन का काफी अनुभव है… कहीं और मिहनत कीजिए शायद दाल गल जाए। आमीन
जितेन्द्र प्रताप सिंह
April 3, 2011 at 8:50 am
सोनिया जी १० सालो से इस देश के प्रधानमंत्री और जनता को नाचती आ रही है तो उनका नाचना भी एक गुप्त रहस्य है .. जो मै आप को बताने जा रहा हूँ .. दरअसल देश की सारी मीडिया और जनता सारे घोटालो और भार्स्ताचार को भूल कर क्रिकेटमय हो गई है . लगता है जैसे देश से सारा भास्ताचार मिट गया .. क्रिकेट के बुखार में मीडिया ने कई अहम् खबरे नहीं दिखाई जैसे :::
1 – सीबीआई ने 2 G घोटाले में चार्जसीट दाखिल किया .. जिसमे 32 हज़ार करोड़ का नुकसान बताया गया है [ सीबीआई प्रधानमंत्री कार्यालय के अंडर होती है . कल तक कांग्रेस और प्रधानमंत्री किसी भी नुकसान से इंकार करते थे [कपिल सिब्बल ने तो 1 रूपये के नुकसान से इंकार किया ] तो क्या ये खबर कोई छोटी मोटी खबर है ???
2 -दिल्ली एअरपोर्ट पर त्रिदमुल कांग्रेस के सांसद केडी सिंह 60 लाख नगद रूपये के साथ पकडे गए जो कोलकाता चुनाव में बाटने के लिए जा रहे थे लेकिन 1 घंटे में छोड़ दिए गए ..[दो महीने पहले केडी सिंह के यहाँ छपा मारकर पुलिस ने 27 करोड़ नगद बरामद किया था ]
3 – गोवा के एक मंत्री मुंबई एअरपोर्ट पर 1 करोड़ डालर नगद जी हाँ डालर के साथ पकडे गए जो शरद पवार और राबर्ट बढेरा के काफी करीबी माने जाते है .. उनको दुबई फिर वहां से लिंचेस्तिन [ काले धन का स्वर्ग ] जाना था
4 – शरद पवार की बेटी सुप्रिया फुले और दामाद सदानंद फुले 1200 हज़ार करोड़ की जमीन फ्री में एक ट्रस्ट में नाम से हथिया लिया … खुद महारास्त्र की कांग्रेस सरकार ने इसे स्वीकार किया और जाच के आदेश दिए .
5 – DLF से १००० करोड़ रूपये बिना किसी कागजात के राबर्ट बढेरा की कंपनी को दिए गए जो DLF उधार देने की बात कर रहा है [ हा हा हा DLF उधार बिना किसी जमानत और कागजात के देता है दोस्तों आप लोग भी मांगो ]
6 – महारास्ट्र कांग्रेस के नेता और पूर्व गृहमंत्री कृपाशंकर सिंह के बेटे के अकाउंट में शाहिद बलवा ने 23 करोड़
रूपये जमा किये [ कृपाशंकर सिंह सोनिया के काफी करीबी नेता है वो एक ज़माने में मुंबई में घूम घूम कर सब्जी बेचा करते थे आज 1500 करोड़ के आसामी है ]
7 – शाहिद बलवा के निजी जेट का उपयोग कांग्रेस और NCP के सारे नेता अपने बाप के जहाज की तरह करते थे
शरद पवार और प्रफुल पटेल ने तो शाहिद के साथ 14 बार उसके जेट में यात्रा किया ..
8 – सीबीआई ने नीरा राडिया और कई पत्रकार जैसे बरखा दत्त ,वीर संघवी का नाम चार्जसीट में नहीं डाला क्यों ???? जबकि वो इस घोटाले की सबसे अहम् कड़ी है क्या कांग्रेस और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में कोई डील हुई है ??
पता नहीं क्या मजबूरियां थी इलेक्ट्रानिक मीडिया की जिसने इतनी बड़ी खबर को अपने चैनल पर एक बार भी दिखाने लायक नहीं समझा. खैर इलेक्ट्रानिक मीडिया को अब अगर कोई खबर और सच्ची खबर से जोड़ कर देखता है तो ये उसकी नासमझी है क्योकि न्यूज़ चैनल अब खबर नहीं परोसते बल्कि परोसते हैं वैसी खबरें जिनका आम जन मानस से कोई सरोकार हो न हो, पर उस खबर से चैनल के लाला (मालिक) की जेब जरूर भरती हो.
वैसे, आपको क्या लगता है, सोनिया गांधी का इस तरह नाच-गाना और जाम लगाना ठीक था?
जी हाँ बिलकुल ठीक था !!! जब इस देश की जनता और मीडिया का मानस और जमीर सोनिया जी चंद पैसे में खरीद लेंगी तो उनका ही क्या किसी का भी दिल नाचने लगेगा !! वर्ल्ड कप की जीत तो एक बहाना है उसली नाचने का असली कारण यही है !!
anurag singh
April 4, 2011 at 6:48 am
neeraj or chandan babu….thoda gyan badha lijiye….alkem naam kee koi company kd singh kee nahi hai…uski company kaa naam alchemist hai jo pahle tubro pvt limited thi jab larson and tubro walon ne case kiya to naam badal kar alchemist kar liya….gyan badhaiye….