समकालीन कविता के महत्वपूर्ण चर्चित कवि अष्टभुजा शुक्ल को उनके कविता संग्रह “दु:स्वप्न भी आते है” के लिए वर्ष २००९ का केदार सम्मान देने का निर्णय किया गया है.
निर्णय की प्रशस्ति में लिखा गया है कि – “कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं, जिनकी कविता में एक साथ केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन की झलक मिलती है. ऐसे समय में, जब कविता पन्त की प्रसिद्ध कविता भारतमाता ग्रामवासिनी से दूर छिटक रही है, वे लिखते हैं “जो खेत में लिख सकता है वही कागज़ पर भी लिख सकता है”; फिर उनकी कविता का केंद्र न केवल प्रसिद्ध काव्यलक्षण सौन्दर्य है, बल्कि जनजीवन के पूर्ण सुख दुःख भी हैं. यही कारण है कि उनकी सरल सपाट- सी दिखने वाली कविता में भी कविता का जीवन धड़कता है. उनके कविता संग्रह “दु: स्वप्न भी आते हैं” की कविताएँ बाजारवाद और भूमंडलीकरण के चक्रवात के बीच दूर दराज गाँवों के लोगों के पक्ष में खड़ी कविताएँ हैं.”
ज्ञातव्य है कि उक्त संकलन “दु: स्वप्न भी आते हैं” वर्ष २००४ में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया. प्रति वर्ष दिया जाने वाला यह चौदहवाँ केदार सम्मान है. इससे पूर्व समकालीन कविता के चर्चित १३ कवियों को केदार सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है.
अष्टभुजा शुक्ल का जन्म बस्ती जनपद में १९५४ में हुआ था. वर्तमान में संस्कृत महाविद्यालय चित्राखोर (बस्ती) में अध्यापन कार्य करते हैं. इनके अब तक तीन काव्य संग्रह आ चुके हैं. कविता के अतिरिक्त लिलत निबंधों व पदों की रचना के कारण वे अपनी विशेष पहचान हिन्दी जगत् में बना चुके हैं. निर्णय की घोषणा २३ जुलाई को की गई.
ashutosh
August 7, 2010 at 5:56 pm
aapne basti ko sahitiyik roop se aur bhi dhani kar diya
ram chandra shukla ji ke baad aapne basti ko ek naye sahitiyik roop se avgat karaya hai
aapko saht shat naman …….