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बोध समारोहों के जरिए पहचान बनाएगा ‘खबरलाइव’

जैन टीवी समूह और चौमुखी मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के तत्वावधान में पटना से शीघ्र लांच होने वाले रीजनल न्यूज चैनल ‘खबर लाइव’ ने बिहार और झारखंड के सभी प्रमंडल मुख्यालयों पर ‘राष्ट्रीय बोध समारोह’ आयोजित करने का निर्णय किया है. ‘खबरलाइव’ के एक्जीक्यूटिव एडिटर धीरेंद्र श्रीवास्तव ने इस बारे में एक बयान जारी कर कहा है-

<p align="justify">जैन टीवी समूह और चौमुखी मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के तत्वावधान में पटना से शीघ्र लांच होने वाले रीजनल न्यूज चैनल ‘खबर लाइव’ ने बिहार और झारखंड के सभी प्रमंडल मुख्यालयों पर ‘राष्ट्रीय बोध समारोह’ आयोजित करने का निर्णय किया है. 'खबरलाइव' के एक्जीक्यूटिव एडिटर धीरेंद्र श्रीवास्तव ने इस बारे में एक बयान जारी कर कहा है- </p>

जैन टीवी समूह और चौमुखी मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के तत्वावधान में पटना से शीघ्र लांच होने वाले रीजनल न्यूज चैनल ‘खबर लाइव’ ने बिहार और झारखंड के सभी प्रमंडल मुख्यालयों पर ‘राष्ट्रीय बोध समारोह’ आयोजित करने का निर्णय किया है. ‘खबरलाइव’ के एक्जीक्यूटिव एडिटर धीरेंद्र श्रीवास्तव ने इस बारे में एक बयान जारी कर कहा है-

एक समय था, जब स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी… गाया, तब प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखें नम हो गयीं। और आज क्या स्थिति है…, हमारे सामने कोई वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जरूरी समस्याओं को लेकर जूझता दिखायी देता है और हम उधर ध्यान भी नहीं देते।

आपातकाल का नाम आने पर हमारी भौंहे तन जाती हैं, परंतु उसे ललकार कर पराजित करने वाले लोकतंत्र के बहुतेरे सेनानी हमारे पास से गुजर जाते हैं और हम उनके प्रति सम्मान प्रगट करना भी उचित नहीं समझते।

हम चाहते हैं कि हमारे सैनिक देश की सीमाओं की तरफ देखने वाले दुश्मनों की आंखें निकाल लें, लेकिन हम किसी शहीद सैनिक के परिवार का हालचाल लेने का भी समय नहीं निकाल पाते।

हम यह तो चाहते हैं कि चौतरफा विकास हो, लेकिन विकास के लिए समर्पित विशेषज्ञों को सम्मान देने में भी कोताही बरतते हैं। गीतकार हों या कहानीकार, साहित्यकार हों या कलाकार, हम उनकी साधना से ज्ञान व आनंद तो भरपूर चाहते हैं, पर उन्हें मानसिक सुख देने के लिए भी कुछ नहीं करते।

हम नदियों के मैली होने को कोसते तो हैं, लेकिन सोचते नहीं कि उनकी पवित्रता कैसे कायम रहे ? हम जानते हैं कि जल ही जीवन है, फिर भी जल संरक्षण के लिए बेकार खुले पानी के नल को बंद करने को हाथ भी नहीं हिलाते।

हमें पेड़ काटते समय यह पीड़ा भी नहीं होती कि ये नहीं रहे, तो हम सांस नहीं ले पायेंगे। हम नाराज किसी से होते हैं और जला देते हैं ट्रेन और बसों के डिब्बे। हमें यह बोध नहीं होता कि हम अपनी संपत्ति जला रहे हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया आज ग्लोबल विलेज के रूप में दिखने लगी है। हमारा देश भी इस दौड़ में शामिल है। विकास के इस दौर में हमारा राष्ट्रीय व सामाजिक बोध भी कायम रहता तो इसकी गति में चार चांद लग जाते।

इसीलिए हमने बिहार और झारखंड के सभी प्रमंडल मुख्यालयों पर ‘राष्ट्रीय बोध समारोह’ आयोजित करने का निर्णय किया है।

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इसके तहत होगा

  • शहीदों और उनके परिजनों के प्रति सम्मान।

  • स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान।

  • लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान (लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जिन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी)।

  • विकास सेनानियों का सम्मान (विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा सम्मानित तथा अधिकतम आयकर व बिक्रीकर अदा करने वाले)।

  • सार्वजनिक संकल्प कार्यक्रम (जल, ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण तथा नागरिक दायित्व बोध के लिए)

विशेष आकर्षण

  • फिल्म अभिनेता व गायक मनोज तिवारी का एक दर्जन फिल्मी साथी कलाकारों के साथ कार्यक्रमों का प्रदर्शन।

  • मनोज तिवारी की टीम द्वारा चयनित प्रमण्डल के पांच चैंपियन कलाकारों की प्रस्तुति

कार्यक्रम का समय 

  • संध्या छह बजे से देर रात्रि तक।

तीन चरण में होने वाले इस राष्ट्रीय बोध समारोह के लिए हमें चाहिए आपका अमूल्य स्नेह, सहयोग और सुझाव, जिसे आप आशीर्वचन के रूप में भी भेज सकते हैं, [email protected] पर।

कार्यक्रमों का विवरण

  • बापूधाम मोतीहारी 30 मई 2010

  • मुजफ्फरपुर  04 जून 2010

  • छपरा 12 जून 2010

  • दरभंगा 13 जून 2010

  • पूर्णिया  19 जून 2010

  • सहरसा 20 जून 2010

  • भागलपुर 26 जून 2010

  • मुंगेर 27 जून 2010

  • गया 03 जुलाई 2010

  • डाल्टेनगंज 04 जुलाई 2010

  • धनबाद 10 जुलाई 2010

  • देवघर 11 जुलाई 2010

  • जमशेदपुर 17 जुलाई 2010

  • रांची 18 जुलाई 2010

  • पटना 24 जुलाई 2010

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0 Comments

  1. vivek gupta

    April 17, 2010 at 4:58 pm

    अच्छी सोच है, चैनल के नजरीए से……….

    अब देखना यह होगा कि लोगों के बिच कितना चर्चीत हो पाता है…………

  2. Gaurav Gupta

    April 17, 2010 at 7:17 pm

    Dhirendra ji ….
    Aapki soch ko salaam… Aapne ek aisa subject me jaan dene ka paryash kiya hai… jise har hindustani ko sochna chaieye…likin aajki bhagam baag jindagi me har koi sirf apne baare me sochta hai….lekin kai tv aur news channel aaj army me saheed logo ki kahani dikhate hai aur prograam on air k baad woh un saheed parivaaro ko aise bhool jate hai ki sayad unka dard bhi kuch hai… to such me desh bhakti ki bhavna ho to yeh ek aagaaj hoga….aur meri subhkaamnaye aapke sath hai ….
    jai javaan
    jia hind

    Gaurav Gupta(Journalist)
    [email protected]

  3. SUNIL

    April 18, 2010 at 10:53 am

    Aachhi Soch hai….

  4. राहुल कुमार

    April 19, 2010 at 9:50 am

    शहीदों की मजार पर लगेंगे हर बरस मेले,
    वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।

    शुरुआत अगर इतनी अच्छी होगी, तो वह दिन दूर नहीं की ये चैनल भी नेशनल मीडिया में अपनी खास पहचान जरूर बना लेगा।

  5. राजेश यादव, सन्मार्ग, भुवनेश्वर

    April 19, 2010 at 11:00 am

    सोच तो अच्छी है। चैनल के नजरिए से……….

    अब देखना यह होगा कि लोगों के बीच कितना चर्चित हो पाता है अगर ऐसा हुआ तो चैनल बिहार, झारखंड के लोगों के दिलों पर राज करेगा। ये बहुत अच्छी सोच है। [b][/b]

  6. vivek

    April 19, 2010 at 11:46 am

    bahut accha prayaas hai….Dhanyavaad !

  7. aditya singh

    April 20, 2010 at 2:42 am

    achi soch hai, soch aur jajbe ko mera salam, lekin samsya ye hai ki aaj waade har koi karta hai, lekin samsya ka samadhan nahi hota hai

  8. jaiprakash mishra

    April 20, 2010 at 6:51 am

    dhiren ji pranam
    aapko aise v fire brand kaha jata raha hai. aapse aisi hi umid thi. kam se kam isi bahane media profession ke jamane me mission ho jayega. ho sakta hai ki bihar phir swarnim bihar ho jaye.

    jayprakash
    kolkata

  9. sushil

    April 20, 2010 at 7:35 am

    समाज का हित करते हुए समाज से जुड़ने का प्रयास। व्यापार और दायित्व का बेहतरीन संगम। अगर कार्यक्रम का यही स्वरूप बरकरार रहा, जो उपर लिखा है, तो चैनल को लोगों के दिलों में जगह बनाने में देर नहीं लगेगी।
    सुशील

  10. आशुतोष कुमार सिंह

    April 20, 2010 at 7:42 am

    धीरेन्द्र जी को मेरा नमस्कार,
    बिहार की धरती, जो हमेशा से दुनिया को ज्ञान देती रही है, पिछले कुछ समय से भटकाव के दौर से गुजर रही है. भटकाव का मुख्य वजह यह रहा है कि बिहार में जेपी के बाद कोई दूसरा वैसा मार्गदर्शक नहीं सामने आया जो बिहार के युवा शक्ति को उसके कर्तव्यों के बारे में बताएं एवं उसका मार्गदर्शन करें. इस आलोक में आपने खबर लाइव न्यूज चैनल के जरिए, बिहार की भूमि को एक बार फिर से हरा-भरा बनाने का संकल्प लिया है, वह सराहनीय है. आपके इस पुनित यज्ञ में हम जैसे युवा एक आहुती देने के लिये हमेशा तैयार हैं. सच में अब समय आ गया है कि बदल रहे बिहार को और तेजी से सार्थक दिशा में बदलने के लिये जो जहां हैं वहां से अपना योगदान दे.
    आशुतोष कुमार सिंह
    [email protected]

  11. राहुल मिश्रा, सब एडिटर, भुवनेश्वर, सन्मार्ग

    April 20, 2010 at 12:59 pm

    भूले हुए शहीदों के परिवारों को फिर से देश के लिए मर मिटने के जज्बे का सम्मान कर उनके हौंसले को बुलंद करने की यह कवायद एक नये शुभारंभ के लिए बहुत ही अच्छा कदम है।

  12. raj singn

    April 20, 2010 at 1:54 pm

    best of luck

  13. ishwar chandra pandey

    April 21, 2010 at 5:06 am

    धीरेन्द्र सर
    प्रणाम
    आपकी सोच को दाद देनी होगी। हिन्दी और भोजपुरी चैनल तो बहुत सारे आये लेकिन किसी का ध्यान उस ओर नही गया। जहां आपकी गयी है। आपने उन पहलुओ पर ध्यान केन्द्रीत किया जो वर्षो से उपेक्षित था। हमे आशा है आपकी सोच रंग लायेगी और आप एक बार फिर आप इलेक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने एक मिशाल कायम करेगें
    ईश्वर चन्द्र पाण्डेय
    एस वन चैनल नोएडा।

  14. skrajiv

    April 21, 2010 at 1:08 pm

    mujhe lagta hai aane wale dinown mein agar is channel mein is tarah ke content rahe to khabar live ko log channel ki bhir mein alag najar se jarur dekhenge lekin isme acche reporter ko jarur lein taki channel ka future bright ho.

  15. anand

    April 22, 2010 at 5:51 am

    सर आपके चैनल के सोच को मेरा सलाम. आप लोगों जो बीड़ा उठाया है, उस मकसद में आप शिखर तक जाये. बस यही मेरी भगवान से प्रार्थना है.
    वास्तव में क्या हम उन शूर वीरों को उचित आदर दे पा रहे है , जिन्होंने खुद को सिर्फ इसलिए न्योछावर कर दिया की हमारा वतन महफूज रहे. क्या सिर्फ़ उन्हें याद करना या उनके प्रतिमा पर फूल चढ़ाना ही हमारा मकसद रह गया है. क्या शहीद सिर्फ फूल, समारोह और प्रतिमा के भूखे थे. इस बात पर भी आपको सोचना पड़ेगा.
    अगर आप किसी शहीद के बारे में सोच रहे है तो बस सिर्फ एक बार उसके प्रतिमा के समक्ष दो मिनट खड़े होकर सिर्फ सोचिये. सवाल आपके अस्तित्व का है… सवाल आपके विकास का है… सवाल आपके सवाल का है… आखिर सवाल आपका है.

    एक सोच शहीदों के लिए

    हम है रोते … तुम भी रोते
    कलिया रोती… फूल भी रोते …
    लतिकाए भी … तरु भी रोते …
    इन्हे देख आकाश भी रोता ।
    झड़ जाते पतझड़ में जो पत्ते …
    क्या उनका कोई अरमान न था ।
    तोडे जाते फूल जो हाथो से …
    क्या उनका कोई अरमान न था ।
    मिट गये जो हँसते-हँसते …
    क्या उनका कोई अरमान न था ।
    शहीदों की मर्म कथाएँ इतिहास संभाले चलता है …
    अब बात -बात पर बारूदे फटती …
    तलवारों की खनक है होती …
    खून की ये लाली कहती है …
    यह जीवंत प्रतिमा मै देख रहा …
    सोए इनके अरमान है कितने ।

  16. amreshdubey

    April 23, 2010 at 8:37 am

    naye prayas ke liye badhai.
    amreshdubey
    Sub editor, Dainik bhaskar, panipat

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