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रिलायंस रिफंड करेगा दो हजार चार सौ दस करोड़ रुपये

आरकेबी‘आरकेबी शो’ की एक और कामयाबी : महाराष्ट्रा इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन (एमईआरसी) ने रिलायंस इनर्जी को मुंबई के उपभोक्ताओं से एक साल में ड्यूटी-टैक्स के रूप में वसूले गए दो हजार चार सौ दस करोड़ रुपये रिफंड करने, बिजली उत्पादन, काम-काज और आर्थिक मसलों की जांच कराने के आदेश दिए हैं। सौ पेज की इस रिपोर्ट में एमईआरसी ने आदेश दिया है कि इन्वेस्टिगेटिव अथार्टी गठित कर उससे रिलायंस इनर्जी के पूरे एकाउंट की छानबीन कराई जाए। यह भी इन्वेस्टिगेशन के दायरे में होगा कि मुंबई के उपभोक्ताओं के लिए रिलायंस इनर्जी ने जितने विद्युत उत्पादन और सप्लाई का जिम्मा लिया था, उस कैपिटल एक्सपेंडिचर की स्थितियां क्या हैं? तीसरा मुख्य निर्देश यह जारी किया गया है कि उपभोक्ताओं के यहां लगे रिलायंस इनर्जी के मीटरों की छानबीन की जाए। शिकायतें हैं कि लाइट कटौती के समय भी मीटर तेजी से भागते हैं। इसका अब तक कोई ठोस समाधान इसलिए नहीं हो सका है कि अपने मीटरों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की बजाय रिलायंस खुद ही चेक कर कह देता है कि उसके मीटर ठीक काम कर रहे हैं। जबकि सच्चाई हैरतअंगेज है। मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों का हर उपभोक्ता मासिक पांच से छह हजार रुपये तक विद्युत बिलों का भुगतान कर रहा है। यदि मीटर तेज नहीं भाग रहे तो सिर्फ एक-दो पंखा-टीवी चलाने वाले उपभोक्ताओं को इतने भारी-भरकम बिल क्यों अदा करने पड़ रहे हैं? अब इसकी भी जांच बहुत जरूरी हो गई है। रिलायंस के विद्युत मीटरों की एफिसिएंसी निश्चित ही संदिग्ध हो चली है।

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आरकेबी‘आरकेबी शो’ की एक और कामयाबी : महाराष्ट्रा इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन (एमईआरसी) ने रिलायंस इनर्जी को मुंबई के उपभोक्ताओं से एक साल में ड्यूटी-टैक्स के रूप में वसूले गए दो हजार चार सौ दस करोड़ रुपये रिफंड करने, बिजली उत्पादन, काम-काज और आर्थिक मसलों की जांच कराने के आदेश दिए हैं। सौ पेज की इस रिपोर्ट में एमईआरसी ने आदेश दिया है कि इन्वेस्टिगेटिव अथार्टी गठित कर उससे रिलायंस इनर्जी के पूरे एकाउंट की छानबीन कराई जाए। यह भी इन्वेस्टिगेशन के दायरे में होगा कि मुंबई के उपभोक्ताओं के लिए रिलायंस इनर्जी ने जितने विद्युत उत्पादन और सप्लाई का जिम्मा लिया था, उस कैपिटल एक्सपेंडिचर की स्थितियां क्या हैं? तीसरा मुख्य निर्देश यह जारी किया गया है कि उपभोक्ताओं के यहां लगे रिलायंस इनर्जी के मीटरों की छानबीन की जाए। शिकायतें हैं कि लाइट कटौती के समय भी मीटर तेजी से भागते हैं। इसका अब तक कोई ठोस समाधान इसलिए नहीं हो सका है कि अपने मीटरों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की बजाय रिलायंस खुद ही चेक कर कह देता है कि उसके मीटर ठीक काम कर रहे हैं। जबकि सच्चाई हैरतअंगेज है। मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों का हर उपभोक्ता मासिक पांच से छह हजार रुपये तक विद्युत बिलों का भुगतान कर रहा है। यदि मीटर तेज नहीं भाग रहे तो सिर्फ एक-दो पंखा-टीवी चलाने वाले उपभोक्ताओं को इतने भारी-भरकम बिल क्यों अदा करने पड़ रहे हैं? अब इसकी भी जांच बहुत जरूरी हो गई है। रिलायंस के विद्युत मीटरों की एफिसिएंसी निश्चित ही संदिग्ध हो चली है।

आरकेबी शो के एंकर राजीव कुंवर बजाज उर्फ आरकेबी ने भड़ास4मीडिया को बताया कि मुंबई में इस समय तीन कंपनियां रिलायंस इनर्जी, बेस्ट और टाटा पॉवर विद्यत क्षेत्र संभाले हुए हैं। इनमें रिलायंस के पास सबसे ज्यादा 28 लाख उपभोक्ता हैं, जबकि बेस्ट के पास 9 लाख और टाटा पॉवर के पास सबसे कम सिर्फ 27 हजार हैं। इनमें सबसे ज्यादा असंतोष रिलायंस की विद्युत सेवाओं को लेकर है। लेमन टीवी के प्लेटफार्म शुरू हुए इस अभियान के दूसरे चरण को भी एक बड़ी कामयाबी ये मिली है कि एमईआरसी ने लोगों को रिफंड करने की मांग को भी स्वीकार कर लिया है। पिछले साल महाराष्ट्र सरकार ने भारी भरकम ड्यूटी-टैक्स कलेक्ट किया था। वसूली गई वह कुल राशि एक साल में दो हजार चार सौ दस करोड़ रुपये रही है। एमईआरसी इसे उपभोक्ताओं में बांट देना मंजूर कर लिया है। एमईआरसी का तर्क यह है कि ड्यूटी-टैक्स के वे हजारों करोड़ रुपये विद्युत उत्पाद बढ़ाने आदि के लिए लिए गए थे, जबकि ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया है।

आरकेबी ने बताया कि ये फरमान मुंबई ही नहीं, दिल्ली के उपभोक्ताओं के लिए भी लागू होगा। मुंबई और दिल्ली के मीटर एक जैसे हैं। वहां के उपभोक्ताओं को भी इसी तरह लूटा जा रहा है। वहां भी तेज भागते मीटरों की छानबीन होनी चाहिए। यदि दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन (डीईआरसी) ने भी उत्पादन के लिए कुछ नहीं किया तो दिल्ली के लोगों को भी ड्यूटी-टैक्स का पैसा लौटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली बार आरकेबी शो के जरिए इतने बड़े क्रांतिकारी बदलाव की नौबत आई है। यह भी संभव हुआ है एमईआरसी नए चेयरमैन राजा के ताजा आदेश से। लेमन टीवी का ये मूवमेंट पिछले 46 दिनों से आरकेबी शो के जरिए लगातार जारी है। ये तब तक चलेगा, जब तक मुंबई की तरह दिल्ली के विद्युत उपभोक्ताओं को भी न्याय नहीं मिल जाता। मुंबई की पॉवर कंपनियों (रिलायंस, टाटा, बेस्ट) और एमईआरसी की मनमानियों के खिलाफ पहली लड़ाई जीतने के बाद लेमन टीवी ने अपने आगामी संघर्ष का दायरा बढ़ा लिया है। महामुंबई के लिए थ्री-आर कैंपेन का मोरचा पहले से ही खुला हुआ है। थ्री-आर कैंपेन, यानी री-कॉल, रोलबैक, रिफंड। उससे पहले लेमन टीवी की कामयाबियों में एक और अध्याय उस समय जुड़ गया था, जब एमईआरसी ने रिलायंस इनर्जी इनफ्रास्ट्रक्चर का एकाधिकार तोड़ते हुए टाटा पॉवर की सेवाएं भी उपभोक्ताओं को मुहैया कराने का ऐलान कर दिया था। एमईआरसी ने अपने आदेश में टाटा पॉवर को हिदायत दी थी कि एक अगस्त 09 से मुंबई के जो भी उपभोक्ता आपकी विद्युत सेवा लेना चाहें, उन्हें तत्काल उपलब्ध कराएं।

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