राजधानी के हिन्दी भवन में हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका ‘पाखी‘ के प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर एक साहित्य समारोह का आयोजन हुआ। यह समारोह तीन चरणों में था। प्रथम चरण में ‘जेसी जोशी स्मृति साहित्य सम्मान’ से सात साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। इसके तहत ‘शब्द साधक शिखर सम्मान’ ‘राग दरबारी’ जैसी कालजयी कृति के रचनाकार श्रीलाल शुक्ल को प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और 51 हजार रुपये का चेक भेंट कर सम्मानित किया गया। श्रीलाल शुक्ल की अस्वस्थता की वजह से यह सम्मान उनके पुत्र आशुतोष शुक्ल ने ‘पाखी’ के संपादक अपूर्व जोशी की मां श्रीमती जया जोशी से ग्रहण किया।
भगवानदास मोरवाल को ‘शब्द साधक जूरी सम्मान’ उनके उपन्यास ‘रेत’ के लिए मिला। एसआर हरनोट को ‘शब्द साधक जनप्रिय सम्मान’ (जीनकाठी और अन्य कहानियां), अपूर्वानंद को ‘शब्द साधक जनप्रिय सम्मान’ (साहित्य का एकांत), शैलेय को ‘शब्द साधक जनप्रिय सम्मान’ और युवा कवि रमेश कुमार वर्णवाल को उनकी कविता ‘एक पुरातत्वविद् की डायरी से’ के लिए ‘शब्द साधना युवा सम्मान’ से नवाजा गया। पुरस्कार समारोह के पहले ‘पाखी’ के सितंबर अंक का लोकार्पण नामवर सिंह ने किया जो कथाकार संजीव पर केन्द्रित था।
विश्वनाथ त्रिपाठी ने ‘पाखी’ की वेबसाइट www.pakhi.in को लॉन्च किया। मुम्बई से आईं कथाकार डॉ. सूर्यबाला ने श्रीलाल शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। समारोह के दूसरे चरण में ‘साहित्य और पत्रकारिता में गांव’ संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसके मुख्य अतिथि राजेन्द्र यादव थे। अन्य प्रमुख वक्तव्य मैनेजर पाण्डेय, विद्यासागर नौटियाल, कंवल भारती और पुण्य प्रसून वाजपेयी के थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन ‘पाखी’ के कार्यकारी संपादक प्रेम भारद्वाज ने किया। समारोह के तीसरे चरण में सुप्रसिद्ध गजल गायक हुसैन बंधुओं मोहम्मद और अहमद हुसैन ने माहौल को संगीतमय बनाते हुए समां बांधा।