एक भोली उम्मीद जगाती पत्रिका : पाठकों की कमी के निरंतर आलाप के बावजूद हिंदी में साहित्यिक पत्रिकाओं की अच्छी खासी तादाद है। फिर एक और पत्रिका क्यों? नई पत्रिका निकालने वाला कोई भी संपादक सबसे पहले इसी सवाल से रूबरू होता है।
‘रचनाक्रम’ के संपादकों के सामने भी यह सवाल आया। इसका जवाब भी ओम भारती ने अपने संपादकीय में दिया है। उन्होंने बताया- ‘पहल पत्रिका की बोलती अनुपस्थिति में जब इतनी सारी नियत-अनियतकालीन पत्रिकाएं अपने तईं इस मोर्चे पर जूझ रही हैं, तो एक और पत्रिका को ले आना सहज सुमति की बात तो है नहीं। तदापि निराला जी के ‘बालक मन ’ के साथ रचना-क्रम के जीवन का यह प्रथम चरण रखने में हमने उन्हीं की ‘अभी पड़ा है आगे सारा यौवन’ जैसी पंक्ति से हौसला बटोर लेने की जुरअत कर ही ली है।’
पत्रिका में एक सुस्पष्ट संपादकीय दृष्टि है। पूर्वक्रम में पांच महान कवियों शमशेर, फैज, अज्ञेय, केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन को उनकी जन्मशती के बहाने याद किया गया है। पत्रिका में विज्ञान और मनुष्य के विकास पर नामवर सिंह का एक विचारोत्तेजक व्याख्यान है। नामवर सिंह, रवींद्र कालिया, विनोद कुमार शुक्ल, चंद्रकांत देवताले, विष्णु खरे, कुमार अंबुज, लीलाधर मंडलोई से लेकर एकांत श्रीवास्तव, रामजी यादव तक अनेक पीढियों के रचनाकारों की रचनाओं ने अंक को संग्रहणीय बना दिया है।
सौ करोड़ से भी ज्यादा आबादी वाले देश में कुछ सौ या कुछ हजार प्रतियों में छपने वाली पत्रिकाओं से कितनी उम्मीद की जा सकती है? इस सवल का जवाब भी ओम भारती के संपादकीय में है, ‘एक क्रूर व्यवस्था में हम प्रतिरोधात्मक लेखनी उठा सकें, सजग रचनाकर्म बचा रहे, रचनाक्रम चलता रहे और पाठकों की पढऩे की भूख बची रहे, इतनी भोली इच्छा का स्वागत तो हम कर ही सकते हैं।’
पत्रिका : रचनाक्रम
अतिथि संपादक : ओम भारती
संपादक : अशोक मिश्र
संपर्क : पॉकेट डी-1/104, डीडीए फ्लैट्स कोंडली, नई दिल्ली- 96
चण्डीदत्त शुक्ल
June 20, 2010 at 11:29 am
बंधुवर,
अरुण आदित्य, अशोक मिश्र और ओम भारती…साहित्य-विचार और पत्रकारिता की दुनिया के तीन विश्वसनीय हस्ताक्षर…। अरुण आदित्य जी ने पत्रिका से परिचित कराया–उनका आभार. वैसे भी, आदित्य यानी सूर्य का नाम भी तो इसी अक्षर–अ—से शुरू होता है..यानी उजाला देना। अशोक मिश्र की लघुकथाएं बड़ा अर्थ लेकर सामने आती रही हैं. और ओम भारती के बारे में तो कहना ही क्या…! भड़ास4मीडिया का धन्यवाद भी, इस ख़बर को हम तक पहुंचाने के लिए। घर के बगल में इतनी अच्छी पत्रिका…वाह क्या बात है! अशोक जी को बधाई….
rahul aditya rai
June 20, 2010 at 11:55 am
arun adityaji badhai ek achhi patrika se parichit karane ke liye.ashok misra or om bhartiji ko bhi badhai.ummid patrika dilon me jagah bnayegi.
rahul aditya rai, gwalior
kamta prasad
June 20, 2010 at 1:30 pm
प्रात: स्मरणीय, सरयूपारी ब्राह्मण, उच्चकोटि के ज्ञान-प्रसारक और उद्भट विद्वान परम आदरणीय माननीय श्री अशोक मिश्र जी को नाचीज का प्रणाम और कोटिश: बधाई।
पहल के अभाव की यह पत्रिका भरपाई करेगी ऐसी उम्मीद है।
विनय कुमार झा
June 20, 2010 at 5:12 pm
एक नए साहित्यिक पत्रिका से रूबरू कराने के लिए अरुण आदित्य जी को बहुत बहुत धन्यवाद . आशा है कि अशोक मिश्र जी के नेतृत्त्व में यह पत्रिका साहित्यिक जगत में एक स्थान बनाएगी .
shalini
June 21, 2010 at 8:29 am
Pls send their contact details so that I can call us for a copy & subscribe it
radheshyamtewari
June 21, 2010 at 12:10 pm
aap ne jin namon ko chapa usi se is patrika ke vhawishya ka sanket mil gaya.sorry. sahitya ke in jalkumbhiyon ko pahale hi ank se Bhar liya. uska jal kitna saaf hoga/?
ashok mishra
June 22, 2010 at 5:46 am
Ashok mishra ka contect no hai 9958226554
ashok mishra
June 22, 2010 at 5:48 am
Ashok mishra ka mobile no 9958226554
editorrachnakram
June 23, 2010 at 5:48 am
Rachna kram Editor ka contect no hai 9958226554
prakash chandalia
July 3, 2010 at 10:50 am
Ashok ji,
kripaya apna email id dekar anugrihit karen.
prakash
kolkata