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दुख-दर्द

कुंभ में दिल्ली के टीवी जर्नलिस्ट को एसआई ने पीटा

हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेला 2010 में मंगलवार शाम के वक्त हरकी पैड़ी पर बसंत पंचमी स्नान की तैयारियों की कवरेज के लिए गए दिल्ली के एक पत्रकार की वहां ड्यूटी दे रहे एक एसआई ने जमकर धुनाई कर दी। इस घटना के बाद पत्रकारों में रोष उत्पन्न हो गया जिसके चलते एसएसपी संजय गुंज्याल को पहुंचना पड़ा।

<p align="justify">हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेला 2010 में मंगलवार शाम के वक्त हरकी पैड़ी पर बसंत पंचमी स्नान की तैयारियों की कवरेज के लिए गए दिल्ली के एक पत्रकार की वहां ड्यूटी दे रहे एक एसआई ने जमकर धुनाई कर दी। इस घटना के बाद पत्रकारों में रोष उत्पन्न हो गया जिसके चलते एसएसपी संजय गुंज्याल को पहुंचना पड़ा।</p>

हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेला 2010 में मंगलवार शाम के वक्त हरकी पैड़ी पर बसंत पंचमी स्नान की तैयारियों की कवरेज के लिए गए दिल्ली के एक पत्रकार की वहां ड्यूटी दे रहे एक एसआई ने जमकर धुनाई कर दी। इस घटना के बाद पत्रकारों में रोष उत्पन्न हो गया जिसके चलते एसएसपी संजय गुंज्याल को पहुंचना पड़ा।

जानकारी के अनुसार मंगलवार की शाम करीब पांच बजे डीडी-१ के पत्रकार अनुज यादव हरकी पैडी पर अपने टीवी चैनल के लिए कवरेज कर रहे थे। तभी वहां तैनात एसआई ने कवरेज करने पर जमकर धुनाई कर डाली। घटना की सूचना जब पत्रकारों को लगी तो उनमें आक्रोश उत्पन्न हो गया। पत्रकारों के आक्रोश के कारण एसएसपी संजय गुंज्याल ने मीडिया सेन्टर पहुंचकर पत्रकारों की व्यथा को सुना। श्री गुंज्याल ने मेला डीआईजी से वार्ता के बाद पत्रकारों के लिए हरकी पैडी पर कवरेज की इजाजत दी।

डीआईजी का कहना है कि गलती पत्रकार की है जो उसने प्रतिबंध के बाद भी हरकी पैडी पर कवरेज की। बताते चलें कि हरकी पैडी पर कवरेज के लिए प्रतिबंध स्नान पर्वों के लिए लगाया गया है। जिस समय पत्रकार को पीटा गया उस समय न तो हरकी पैडी पर भीड़ थी और न ही कोई स्नान पर्व। कुल मिलाकर अतिथि पत्रकार से जिस प्रकार का व्यवहार किया गया वह नितांत अशोभनीय है। स्थानीय पत्रकारों ने इसकी तीव्र आलोचना करते हुए यह बात डीजीपी के समक्ष उठाने की बात कही है।

बताते चलें कि अब से छह वर्ष पूर्व अर्द्ध कुंभ के दौरान भी मीडिया की कवरेज को लेकर भारी घमासान हुआ था। स्टार न्यूज, बीएजी, सहित कई अन्य मीडिया से जुड़े पत्रकारों को पुलिस की लाठियों का सामना करना पड़ा तथा। पुलिस पूरी तरह बेकाबू हो चुकी थी तथा पुलिस के बड़े अफसरों के निर्देशों को ताक पर रखकर लाठीचार्ज किया गया था। इसी सन्दर्भ में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने हुसैन आयोग का गठन किया था जिसमें प्रशासन की खामी उजागर हुई थी तथा पुलिस के लिए जरूरी दिशा-निर्देश तय किये गये थे। परन्तु पुलिस के व्यवहार से नहीं लगता कि इसमें कोई सुधार आया है।

हरिद्वार से स्वतंत्र शिवा की रिपोर्ट

 

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0 Comments

  1. nagendra kumar singh

    January 20, 2010 at 12:02 pm

    prasashan apani marji se hi har jagah kam karate hai
    bo.. sarkar ke y a la adhikari ke samane dikhana chahate hai ki hum kaam thik se kar rahe hai
    baki bhar me jaye adhikari y sarkar khush to haum khush

  2. ms nawaz

    January 20, 2010 at 1:47 pm

    Don’t worry guys. it is the part of our duty. you should go ahead become a good journalist.

  3. SHIV

    January 20, 2010 at 2:09 pm

    if the SI wud have beaten anybody else other than the journalist, then there wud be lots of ho-hala from media. magar abhi to patrakar pita tha na… isiliye koi action nahi hua…. patrakar kabhi kuch apne liye kar paye hain aj tak… hum dusro k liye ladte hain magar khud k liye kuch nahi kar sakte.

  4. archana

    January 20, 2010 at 2:30 pm

    Bilkul sahi kehan aapne patrakar kabhi kuch apne liye kar paye hain aj tak… hum dusro k liye ladte hain magar khud k liye kuch nahi kar sakte. …Magar chup v to nahi reh sakte ise kahin hamari kamjori na samjha jaye…

  5. p.kumar

    January 21, 2010 at 4:58 pm

    ye ghatna dilli ke patrkar ke sath hui is liye itna ho halla ho gaya agar kishi chote sahar ya fir kishi stringer ke sath hoti to sayad dilli mai baithe log dhyan bhi n dete aur apne hi bande ko doshi tahrate……..lekin jo kuch hridwar mai hua wo police ke liye sarmnak ghatna hai………………….is ka sabhi media ko ek sath ho kar virodh karna cahiye……

  6. satya prakash azad

    January 22, 2010 at 2:23 am

    press club wagairah kis din ke liye bane hai, kewal daroobaji ke liye. agar aapka sangthan majboot nahi hoga to aapke saath aisa hi hoga. kisi dusre sangthan me naukri ki chinta nahi rahti, yahan to patrakar apni naukari bachane me lage rahte hain, sangharsh kahan karenge, aur unke employer unka khoon choosne me.

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