सीओ और पत्रकार भिड़ंत प्रकरण : जांच में शासन ने सीओ को दोषी पाया : कठोर चेतावनी के साथ लखनऊ से बाहर तबादले का आदेश : जनसंदेश न्यूज चैनल के मुख्य सलाहकार और मान्यता प्राप्त पत्रकार सिमिति के महासचिव हेमंत तिवारी व लखनऊ के सरोजनी नगर इलाके के सर्किल आफिसर (सीओ) राजेश सिंह के बीच 7 अगस्त की रात जो भिड़ंत हुई, उसे लेकर चार दिनों से लखनऊ में मीडिया व पुलिस-प्रशासन में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। फिलहाल इस मामले की जांच के बाद प्रदेश शासन ने आरोपी पुलिस उपाधीक्षक राजेश सिंह को दोषी मानते हुए लखनऊ से बाहर तबादला करने की अनुमति चुनाव आयोग से मांगी है। साथ ही उन्हें कठोर चेतावनी भी दी गई है। लखनऊ जिले की एक विधानसभा सीट पर उप चुनाव होने के कारण लखनऊ में किसी भी तबादले के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेना जरूरी है।
7 अगस्त की रात कानपुर रोड पर स्थित ज्ञानी ढाबे और बटलर पैलेस में जो कुछ हुआ, उसे मीडिया और पुलिस के लोग अपने-अपने तरीके से बता-फैला रहे हैं। एक पक्ष हेमंत तिवारी को खलनायक के रूप में पेश कर रहा है तो दूसरा पक्ष हेमंत को निर्दोष बताते हुए डिप्टी एसपी राजेश सिंह को दोषी करार दे रहा है। इस मुद्दे पर लखनऊ के दो बड़े अखबारों- दैनिक हिंदुस्तान और टाइम्स आफ इंडिया ने खबरें भी प्रकाशित की हैं। टाइम्स आफ इंडिया के आज के अंक में प्रकाशित खबर हेमंत तिवारी के खिलाफ जाती है। इसमें कहा गया है कि झगड़े की शुरुआत हेमंत तिवारी ने की और उन्होंने एसओ की वर्दी फाड़ी। इस पूरे मुद्दे पर भड़ास4मीडिया ने हेमंत तिवारी से बात की तो उन्होंने घटना की विस्तार से जानकारी दी।
हेमंत तिवारी ने जो कुछ बयान किया, वह इस प्रकार है-
”7 अगस्त की रात मैं और राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ के प्रमुख संवाददाता देवकीनंदन मिश्रा खाना खाने ज्ञानी ढाबे पर गए। गाड़ी मेरी खड़ी ही हुई थी एक दूसरी गाड़ी ने साइड से टक्कर मार दी। टक्कर से मेरी कार का दरवाजा अंदर धंस गया। टक्कर मारने वाली गाड़ी मौके से निकल गई। इसी दौरान हम लोगों में बात हुई कि अगर दिल्ली या मुंबई में इस तरह की टक्कर होती तो फोन करने पर पुलिस ट्रांसपोर्ट विभाग से मिनट भर के अंदर टक्कर मारने वाली गाड़ी का पता लगा लेती। यह व्यवस्था यूपी में है कि नहीं, जानने के लिए देवकीनंदन ने एडीजी कानून-व्यवस्था बृजलाल को फोन किया। उन्होंने जानना चाहा कि मामला क्या है तो उन्हें बताया गया कि एक गाड़ी टक्कर मार कर चली गई है। बृजलाल ने पांच मिनट रुकने को कहा। सात-आठ मिनट के भीतर एसओ और कई सिपाही आ गए। एसओ ने पूछताछ की, सब कुछ देखा और नंबर पता करने में जुट गया। हम लोग खाना खाने जाने लगे तो इलाके के सीओ का फोन आया थानेदार के मोबाइल पर। एसओ ने हम लोगों से कहा कि सीओ साहब से बात कर लीजिए। देवकीनंदन ने सीओ को फोन किया तो वह गुर्राने-गरजने लगा। तुम-तुम कहकर बात करने लगा। उनसे कहा गया कि गैस्टेड आफिसर को इस अंदाज में बात करना शोभा नहीं देता। सीओ का कहना था कि ऐसी क्या आफत आ गई थी कि तुम लोगों को बृजलाल को फोन करना पड़ा। सीओ ने कई उल्टी-सीधी बातें कहीं। बातचीत से लग रहा था कि सीओ शराब पिये हुए है। यह सब होने के बाद हम लोगों ने बृजलाल को फोन मिलाया और पूरी घटना की जानकारी दी। हम लोगों ने एसओ की भी बात बृजलाल से कराई।”
”इतना कुछ होने के बाद खाना खाने की इच्छा नहीं रही और हम लोग घर के लिए निकल पड़े। देवकीनंदन के फोन पर फिर सीओ का फोन आता है और गलत भाषा में बात करने लगा। उनसे देवकीनंदन ने कहा कि आपकी स्थिति ठीक नहीं है, आप गलत भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। सीओ ने मेरा घर देवकीनंद से पूछा तो उन्हें बता दिया गया कि मेरा घर बटलर पैलेस में है। इसके बाद फिर सीओ का फोन आया तो देवकीनंदन ने मोबाइल मुझे पकड़ा दिया। सीओ लगा मुझे गाली देने। मैंने सीओ से बातचीत की शुरुआत नमस्कार से की लेकिन वह उल्टा-सीधा बोलता रहा। थोड़ी देर बाद सीओ बटलर पैलेस पर आ पहुंचा और लगा बवाल करने। मेरा नाम लेकर गालियां देने लगा। वहां मीडिया के लोग मौजूद थे। उसने यूनाइटेड भारत के एक रिपोर्टर से बदतमीजी की। उसने हवा में फायरिंग भी की। बड़े अधिकारियों को जब सूचना दी गई कि एक सीओ शराब पीकर गालियां दे रहा है, फायरिंग कर रहा है और बवाल काट रहा है तो दूसरे बड़े अधिकारी आए और सीओ को ले गए।”
”हम लोगों ने सीओ का मे़डिकल कराने की मांग की। पूरे घटनाक्रम के बारे में हम लोगों ने बृजलाल को जानकारी दे दी। अफसरों का कहना है कि सीओ का मेडिकल कराया गया लेकिन कुछ नहीं निकला। जबकि पब्लिक ने देखा की सीओ लड़खड़ाते हुए गालियां दे रहा था। अगले दिन घटना के बारे में खबर छपी और हम लोगों ने डीजीपी से सीओ की शिकायत की। डीजीपी ने जांच के लिए आईजी रेंज को लिखा। आईजी ने जांच करने के बाद डीआईजी-एसएसपी से भी रिपोर्ट ली। इसके बाद डीजीपी के पास जांच रिपोर्ट भेज दी गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर डीजीपी ने सीओ का ट्रांसफर दूसरे जिले में करने के साथ ही सीओ को कठोर चेतावनी लिखित में दी गई है। उसी रात की बात है कि हम लोगों को फंसाने के लिए सीओ ने पूरा ड्रामा किया। सीओ ने अपनी ओर से मीडिया के लोगों को फोन कर कह दिया कि मैंने एसओ को मारा-पीटा और वर्दी फाड़ी। इस बाबत सीओ ने मेरे खिलाफ एनसीआर लिखवा दी। यह एनसीआर जांच में झूठी पाई गई है।”
हेमंत तिवारी को जब भड़ास4मीडिया ने बताया कि आज टाइम्स आफ इंडिया, लखनऊ में जो खबर प्रकाशित हुई है, उसमें उन्हें दोषी बताया जा रहा है तो हेमंत ने कहा कि कई पत्रकार निजी खुन्नस के कारण उन्हें फंसाने व परेशान करने में जुटे हैं। वे टाइम्स आफ इंडिया प्रबंधन से शिकायत करेंगे और अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे संवैधानिक दायरे में रहते हुए आगे किसी भी हद तक जाकर अपनी लड़ाई लडेंगे। हेमंत ने कहा कि टाइम्स आफ इंडिया की रिपोर्ट से वे बेहद आहत हैं। हमारे बिरादरी के ही कुछ लोग हर चीज में राजनीति करने लगते हैं। पत्रकार बिरादरी पर कभी भी कोई संकट आया तो वे खुलकर संघर्ष करने के लिए साथ में खड़े हुए लेकिन जब उनका मसला आता है तो कई पत्रकार साथी तथ्यहीन अफवाहों के आधार पर उन्हीं को फंसाने व दोषी साबित करने में लग जाते हैं। टाइम्स आफ इंडिया में जो भी बातें छपी हैं, वे खुद कई जगह अपने को कांट्राडिक्ट करती हैं। इस खबर को जो लिखने वाले सज्जन हैं, उनके बारे में बता दूं, वे मुझसे निजी खुन्न्स रखते हैं, इसी वजह से उन्होंने अनाप-शनाप बातें लिखीं।
हेमंत तिवारी ने दावा किया कि अगर खबर लिखने वाले पत्रकार ने जिन तथ्यों का उल्लेख मेरे खिलाफ किया है, उसे साबित कर दे तो मैं पत्रकारिता छोड़ दूंगा। हेमंत ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे कोर्ट में जाकर साबित करेंगे कि किस तरह गलत तथ्यों को पेश कर उनकी छवि खराब करने की साजिश टाइम्स आफ इंडिया और उसके रिपोर्टर द्वारा रची गई है। एसओ की वर्दी फाड़ने और पीटने की जिस घटना को फैलाया जा रहा है, वह नितांत मनगढ़ंत है। कोई कैसे आठ सिपाहियों के साथ खड़े एसओ की वर्दी सबके सामने फाड़ सकता है और पीट सकता है। अगर किसी ने भी ऐसा किया होता तो न सिर्फ पुलिस वाले उसे पीटते बल्कि तुरंत उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो गया होता। मेरे खिलाफ जिस एनसीआर को दर्ज किया गया है, वह खत्म होने वाली है क्योंकि उसके सारे तथ्य झूठे पाए गए हैं। जो अपराध मैंने किया ही नहीं, उसमें मुझे फंसाया जा रहा है। नशे में झूम रहा सीओ खुलेआम बटलर पैलेस में गोलियां चलाता है, गालियां देता है, उसे बचाने की कोशिश में लगे हैं कुछ पत्रकार लोग। जिस वक्त सीओ बटलर पैलेस में हंगामा कर रहा था, उस वक्त दैनिक जागरण, लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार विष्णु मोहन ने बृजलाल को फोन कर नशे में झू रहे सीओ की करतूत के बारे में बताया था। मेरा मानना है कि उस सीओ का तबादला किया जाना ही काफी नहीं है बल्कि उसे सेवा से बर्खास्त कर देना चाहिए।
इस प्रकरण को लेकर टाइम्स आफ इंडिया, लखनऊ और दैनिक हिंदुस्तान, लखनऊ में जो खबरें प्रकाशित हुई हैं, उसे पढ़ने के लिए क्लिक करें-