वरिष्ठ पत्रकार एस.एन. विनोद का मनना है कि मीडिया पर अंकुश लगाने की जवाबदारी समाज पर है। इस समय मीडिया अविश्वसनीयता के गहरे संकट में है। अगर इसका हल नहीं खोजा गया तो लोकतंत्र का चौथ स्तंभ ही हिल जाएगा। रविवार की शाम विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन का वार्षिक अधिवेशन वरिष्ठ पत्रकार और ‘दैनिक 1857’ के प्रधान संपादक एस.एन. विनोद की प्रखर पत्रकारिता के सम्मान का गवाह बना। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए स्व. रामगोपाल माहेश्वरी पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पत्रकारिता पुरस्कार स्व. रामगोपाल माहेश्वरी को समर्पित करते हुए एस.एन. विनोद ने कहा कि विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना रामगोपाल माहेश्वरी की कल्पना का संसार है। इस कल्पना को साकार करने वाले विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री विनोद माहेश्वरी बधाई के पात्र हैं। मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया अपनी विश्वसनीय खोती जा रही है। हम पत्रकारों की बिरादरी के लोग ही कुठाराघात कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने कभी कहा था कि देश की दुर्दशा के लिए राजनीतिज्ञ जवाबदार हैं। लेकिन मेरा मानना है कि पत्रकार भी कम जबावदार नहीं हैं। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर कई शहरों में पत्रकारिता के अनुभव के बीच मैंने इस पेशे में पनप चुकी नग्नता को काफी नजदीक से देखा है। अगर हम ही भ्रष्ट हैं तो भ्रष्टाचार कैसे दूर कर पाएंगे। जो भी पेशे के आकर्षण, लोभ और व्यवसाय की दृष्टि से पत्रकारिता को अपनाना चाहते हैं, इसमें न ही आएं तो बेहतर होगा क्योंकि लोकतंत्र को मजबूत करने में मीडिया की भूमिका ‘वाच डॉग’ की होनी चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय संबोधन में विदर्भ साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और वैद्यनाथ के प्रमुख पं. सुरेश शर्मा ने कहा कि एस.एन. विनोद का पत्रकार जीवन आज भी लगातार जारी है। वे निर्भीक पत्रकारिता की मिसाल हैं। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि संभागीय आयुक्त संजीव कुमार ने कहा कि एस.एन. विनोद को सम्मानित करके वे स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहे हैं।
chandan goswami
January 20, 2010 at 11:31 am
sir congrulations