पेंगुइन-यात्रा ने अभी हाल ही में साहिर लुधियानवी की श्रेष्ठ और लोकप्रिय रचनाओं का एक संकलन ‘जाग उठे ख्वाब कई’ नाम से प्रकाशित किया है. इस संचयन में साहिर लुधियानवी की चार पूर्व-प्रकाशित किताबों – ‘तल्खियां’, ‘परछाइयां'(एक लम्बी कविता), ‘आओ कि कोई ख्वाब बुनें’ और ‘गाता जाये बंजारा’ (फ़िल्मी गीतों का संग्रह) से रचनाओं का संचयन किया गया है. इसके अलावा कुछ और वैसे गीत भी शामिल किये गए हैं जो ‘गाता जाये बंजारा’ में शामिल नहीं हैं.
इन सभी रचनाओं का संचयन-सम्पादन मुरलीमनोहर प्रसाद सिंह, कान्तिमोहन ‘सोज़’ और रेखा अवस्थी ने किया है. साहिर के दीवान से ली गई रचनाओं का उर्दू से हिंदी में लिप्यंतरण एम. ए. खालिद ने किया है. संचयन की एक लम्बी शोधपरक भूमिका मुरलीमनोहर प्रसाद सिंह ने लिखी है जिसमें उन्होंने साहिर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से विचार किया है. इस किताब की प्रस्तावना मशहूर गीतकार और रचनाकार गुलज़ार ने लिखी है. 256 पृष्ठों की इस किताब में साहिर लुधियानवी की 184 रचनाएं शामिल हैं.
पुस्तक के अंत में साहिर की उन 113 फिल्मों की वर्षवार सूची भी शामिल है, जिनके लिए साहिर ने गीत लिखे. इस संकलन में रचनाओं का अनुक्रम पुस्तकों के प्रकाशन कालक्रम के हिसाब से रखा गया है. साथ ही यह भी ध्यान रखा गया है कि साहित्यिक रचनाएँ क्रमश: एक साथ हों और फ़िल्मी गीत एक साथ. इसीलिए ‘गाता जाये बंजारा’ की रचनाओं को बाद में रखा गया है, बावजूद इसके कि यह संकलन ‘आओ कि कोई ख्वाब बुनें’ से पहले छपा था.हालांकि इस पुस्तक में हिंदी लिप्यन्तरण मूलत: मुद्रित उर्दू सामग्री के आधार पर किया गया है, पर हिंदी-उर्दू क्षेत्र की बोलचाल के भाषाई रूप का भी ध्यान रखा गया है.
हिंदी-उर्दू के विद्वान संपादकों ने रचनाओं की प्रामाणिकता का विशेष ध्यान रखा है. हिंदी में साहिर लुधियानवी की रचनाओं का यह अब तक का सबसे बड़ा और प्रामाणिक संचयन है. मशहूर युवा फिल्म-निर्देशक अनुराग कश्यप ने जैसा कि ख़ास तौर पर इस पुस्तक के लिए साहिर के बारे में अपने विचार प्रकट किये हैं- ‘साहिर के गानों ने मुझे दिशा दी है. अपनी आवाज़ मैंने उनके गीतों में पाई थी’; हमें लगता है कि केवल अनुराग ने ही नहीं, हिंदी-उर्दू समाज की कई पीढ़ियों ने अपनी आवाज़ इस महान शायर-गीतकार की रचनाओं में पाई है. यकीनन यह किताब साहिर को उनके चाहने वालों और साहित्य-प्रेमियों के बीच मुकम्मल तौर पर पेश करेगी.’
Sanjay Srivastava, Shahjahanpur u.p.
February 6, 2010 at 12:37 pm
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Prabhaker Tripathi
February 8, 2010 at 5:50 am
aap khabar karte rahiye sir hum aapke saath hai ye to maya ke gunde hai upar se bahadur bante hai jabki andar se inse bada darpok koi nahi hai