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‘अबकी पहले से 100 गुना ज्यादा तेवर होगा’

Santosh Bhartiyaटीम का गठन शुरू, वीनू संदल व डा. मनीष कुमार की नियुक्ति

पहली पारी में कई कीर्तिमान गढ़ने वाले ‘चौथी दुनिया’ की दूसरी पारी की टीम में कौन-से चेहरे होंगे, इस रहस्य से पर्दा हटना शुरू हो गया है। पहली पारी के सफल कप्तान संतोष भारतीय ही दूसरी पारी के कप्तान और चीफ सेलेक्टर हैं। हिंदी पत्रकारिता के इस बदले और नए दौर में ‘चौथी दुनिया’ विशुद्ध खबरों, जनसरोकारों व ज्वलंत मुद्दों के आधार पर फिर कई प्रतिमान बनाए, इस उद्देश्य से टीम गठन में वे सतर्क हैं।

Santosh Bhartiya

Santosh Bhartiyaटीम का गठन शुरू, वीनू संदल व डा. मनीष कुमार की नियुक्ति

पहली पारी में कई कीर्तिमान गढ़ने वाले ‘चौथी दुनिया’ की दूसरी पारी की टीम में कौन-से चेहरे होंगे, इस रहस्य से पर्दा हटना शुरू हो गया है। पहली पारी के सफल कप्तान संतोष भारतीय ही दूसरी पारी के कप्तान और चीफ सेलेक्टर हैं। हिंदी पत्रकारिता के इस बदले और नए दौर में ‘चौथी दुनिया’ विशुद्ध खबरों, जनसरोकारों व ज्वलंत मुद्दों के आधार पर फिर कई प्रतिमान बनाए, इस उद्देश्य से टीम गठन में वे सतर्क हैं।

Santosh Bhartiyaमंदी से बेरोजगार हुए पत्रकारों की फौज, टीवी न्यूज चैनलों के उबे हुए पत्रकारों की भीड़, बाजार के आगे नतमस्तक प्रिंट माध्यमों में कुछ न कर पाने की पीड़ा से जूझ रहे पत्रकारों के समूह, रुपये के बल पर पत्रकारिता की डिग्री लेने वाले हजारों छात्रों के हुजूम, जान-पहचान व परिचय में आने वाले सैकड़ों वरिष्ठ-कनिष्ठ-समकालीन मीडियाकर्मियों के दल और मेल के जरिए देश के कोने-कोने से आए हजारों आवेदनों के अंबार के बीच से योग्य का चयन वाकई मुश्किल काम है। लेकिन संतोष भारतीय इस मुश्किल काम को इन दिनों बेहद शांति से अंजाम दे रहे हैं। भड़ास4मीडिया को दो नाम पता चले हैं, जिन्हें नई टीम में शामिल कर लिया गया है। ये हैं- Logo Chauthi Duniyaवीनू संदल और डा. मनीष कुमार।

मशहूर डिजायनर वीनू संदल एशियन एज, टीओआई जैसे कई देसी अंग्रेजी अखबारों के साथ-साथ विदेश के भी दर्जन भर अखबारों से जुड़ी हुई हैं। वे स्वागत मैग्जीन में भी हैं। इन्हें चौथी दुनिया में बतौर एडवाइजर नियुक्त किया गया है। डा. मनीष कुमार इंडिया टीवी व वीओआई में रहे हैं और अब प्रिंट की ओर इसलिए लौटे हैं क्योंकि इनके मुताबिक, ‘टीवी में आप जनपक्षधर पत्रकारिता नहीं कर सकते। प्रिंट में बहुत स्पेस है। टीवी में बाजार का दबाव (टीआरपी) आपको सोचने तक नहीं देता, प्रिंट में देश-समाज के मसलों पर कुछ पर पाने का वक्त होता है। सौभाग्य है मेरा जो प्रिंट में लौटने पर चौथी दुनिया जैसे ऐतिहासिक बैनर का साथ मिला।” चौथी दुनिया में मनीष का पद है- संपादक (समन्वय)।

Arvnid Kumar Singh and Shammi Sharinलांचिंग का सिलसिला कहां तक पहुंचा, यह जानने के लिए भड़ास4मीडिया की टीम जब कनाट प्लेस स्थित चौथी दुनिया के आफिस पहुंची तो वहां प्रधान संपादक संतोष भारतीय अपनी पुरानी टीम के दो साथियों के साथ नई पारी के लिहाज से चर्चा कर रहे थे। सामने टेबल पर चौथी दुनिया के 16 पन्नों वाले पुराने और अब पीले पड़ चुके पन्ने खुले हुए थे। भारती जी ने अपनी पुरानी टीम के दोनों साथियों से परिचय कराया, ‘ये हैं अरविंद कुमार सिंह और ये शम्मी सरीन। ये दोनों तब युवा पत्रकार थे, अब विभिन्न संस्थानों में वरिष्ठ पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं।’ इसके बाद संतोष मुड़े और हम लोगों से बोले- ‘इनसे आप खुद जानिए चौथी दुनिया में लिखने-पढ़ने और काम करने की किस तरह आजादी मिली हुई थी।’ 

शम्मी सरीन बोले- ‘तब मुझे बतौर रिपोर्टर लिखने की जितनी आजादी थी, उतनी आज शीर्ष पद पर जाने के बाद भी नहीं है।’ अरविंद कुमार सिंह ने दफ्तर में होने वाले होमवर्क और संस्थान द्वारा मिलने वाले सपोर्ट सहित कई यादों को साझा किया। इन दोनों वरिष्ठ पत्रकारों के अनुभवों से रूबरू होने के बाद संतोष जी से संक्षिप्त सवाल-जवाब हुआ-

-दूसरी पारी में भी आप ही कप्तान? कोई खास वजह?

–यह तो संस्थान की मर्जी है, संस्थान जाने।

-चौथी दुनिया की पहली पारी में नए लोगों को मौका दिया गया था, इस बार क्या होगा?

पिछली बार लगभग 90 फीसदी नए लोग थे। वो अब स्थापित हो चुके हैं। हम सोचते हैं कि इस बार भी नए लोगों को मौका मिलना चाहिए। हमें नई सोच और उत्साही लोगों की जरूरत है जो कमान संभाल सकें। जिनमें नया करने की अकांक्षा हो, जो अखबार को अपने 24 घंटे दे सकें, जो हिंदी में सर्वश्रेष्ठ हों और अंग्रेजी पर भी पकड़ हो। हर एक को पूरा मौका होगा कि वो खुद को साबित कर सके। हां, (मुस्कराते हुए) जो लोग शाम को 6 बजे के बाद रायसीना रोड का रास्ता तलाशते हैं, उनकी संभावना यहां कम है।

Santosh Bhartiya-पहले वाले दौर में पत्रकारिता के सामने कठिनाइयां और चुनौतियां अलग थी, इस दौर में अलग हैं, कैसे निपटेंगे?

-पहले फिर भी आसान था। आज कठिनाइयां और चुनौतियां ज्यादा बढ़ गई हैं। आज लोग सुविधाभोगी हो गए हैं। हम कई चीजों को वर्क कल्चर में लाएंगे। यह तब तक नहीं हो सकता है जब तक मालिक नहीं चाहे मगर हमें गर्व है कि चौथी दुनिया के मालिक कमल मोरारका जी श्रेष्ठ पत्रकारीय मानदंडों के आधार पर अखबार निकालने को हमेशा से तवज्जो देते रहे हैं।

-आज बड़े-बड़े मीडिया ग्रुपों द्वारा पत्रकारों को बिजनेस टारगेट दिया जा रहा है। इसके चलते वह आम आदमी के सरोकार, देश और समाज की चिंता से दूर होता जा रहा है। आप इससे कैसे निपटेंगे?

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-जिनमें रीढ़ की हड्डी होती है, बिजनेस उनके आस-पास घूमता है। दिक्कत बिना रीढ़ की हड्डी वालों को होती है और उन्हें ही टारगेट दिया जाता है।

-भर्ती प्रक्रिया क्या होगी?

-जो हमें अप्लाई कर रहे हैं, हम उन्हें चिठ्ठी भेज रहे हैं। उन्हें उसका जवाब देना है। उसे देखकर हम फैसला करेंगे कि किसे बुलाना है। हां, जो भी हमारे यहां अप्लाई कर रहा है उसे किसी न किसी रूप में चौथी दुनिया से जोड़े रखा जाएगा।

-मुख्य आफिस कहां होगा?

-यहीं, कनाट प्लेस में, चौधरी बिल्डिंग में तीसरी मंजिल पर।

-कोई मूल मंत्र जिसे चौथी दुनिया के लोगों को दिया गया है?

-चौथी दुनिया के मालिक कमल मोरारका जी का कहना है कि चौथी दुनिया का जो तेवर पहले था, उससे 100 गुना ज्यादा इस संस्करण में होगा। हम इसी मूलमंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

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