छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पत्रकारिता का चारागाह बने छत्तीसगढ़ में अब ‘आज तक’ के बाद ‘बीबीसी’ अतिथि सत्कार का लुत्फ उठा रहा है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सर्किट हाऊस में पिछले कई सालों से एक कमरा आज तक के ब्यूरो को मिला हुआ है. अब बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के ब्यूरो सलमान रावी सर्किट हाऊस के कमरा नंबर 607 में जम गए हैं. अपने परिवार के साथ इस कमरे में डेरा डाले सलमान रावी अधिकारियों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं.
असल में रमन सिंह के पिता विघ्नहरण सिंह के निधन के बाद से राज्य में वीवीआईपी लोगों का आना-जाना लगा हुआ है. उनकी तेरहवीं में देश के नामी दिग्गज आ रहे हैं लेकिन उन दिग्गजों के लिये रहने की जगह का टोटा हो रहा है. प्रोटोकॉल अधिकारी अपने सचिवों तक दौड़ लगा रहे हैं और सचिव मुख्यमंत्री तक. अब बेचारे रमन सिंह मीडिया के खास मेहमानों को कुछ कह नहीं पा रहे हैं.
ravishankar vedoriya
June 15, 2010 at 10:53 am
raman singh ji media wale koi mehmaan nahi hote jinse aap kah nahi pa rahe sacrithouse sarkar ke kaam kaaj ke liye aaye logo ke liye hote hai na ki ristedari nibhane ke liye
ashok josh
June 15, 2010 at 11:06 am
Nothing new in this. This is an old BBC tradition from Ram Dutt Tripathi to Mahesh Panday and many more of the BBC men have been in the past and some still living on govt handouts, in govt houses and enjoy govt funded rail and air journies. Why curse BBC alone, many newspaper and TV journalists are on the govt and corporate payroll.
sanjeev kumar singh
July 2, 2010 at 7:04 pm
BBC तो बड़ी-बड़ी बातें करता है. अब क्या BBC भी यही सब करने लगगाय ?
Vijay
July 31, 2010 at 2:28 pm
आप के लेख से प्रतीत होता है कि सलमान रावी मुफ्त में सर्किट हाउस में रह रहे थे. मैंने हकीकत जाने कि कोशिस कि और पता लगाया कि उन्होंने वहां रहने के पैसे दिए हैं. सर्किट हाउस के रिकोर्ड के हिसाब से सलमान नें बिल संख्या १५४३ के माध्यम से ३५०० रूपए का भुगतान किया है. इसके अलावा ५००५ रूपए उन्होंने खाने के दिए हैं. रूम संख्या ६०७ सिर्फ ११-६-१० से १८-६-१० तक बुक था मगर सर्किट हाउस वालों का कहना है कि सलमान नें १७ को ही रूम खाली कर दिया था. यह भी पता चला है कि सलमान रावी का रायपुर ट्रान्सफर हो गया है और वह अपने परिवार के साथ शिफ्ट कर चुके हैं. अगर वह पैसे दे कर रह रहे थे तो इसमें हर्ज ही क्या है. कृपया भरम ना फैलाएं.