कारगिल विजय के शहीदों को सम्मान देना भूला दूरदर्शन : भारत के सभी टीवी चैनलों में जितनी पूंजी लगी है उससे ज्यादा बजट दूरदर्शन का है। इसके अलावा दूरदर्शन अपनी डीटीएच सेवाओं से भी अच्छी खासी कमाई करता है। इसके बावजूद दूरदर्शन का असर और पहुंच नहीं बन पा रही, इससे सरकार परेशान है। खास तौर पर कारगिल में विजय दिवस की दसवीं साल गिरह पर जब लगभग सभी टीवी चैनलों ने लाइव कवरेज किया, दूरदर्शन उस समय खेल और कारों की दौड़ के कार्यक्रम दिखा रहा था। ऐसा तब है जब लद्दाख में दूरदर्शन के दो रिले सेंटर हैं और उसे बाहर से व्यवस्था करने की जरूरत नहीं थी। इसके बावजूद दूरदर्शन ने देश के सम्मान का इतना बड़ा मौका हाथ से गवां दिया। इससे सरकार की भारी किरकिरी हुई है।
दूरदर्शन को चलाने वाली प्रसार भारती में घपलों की पहले भी शिकायतें मिलती रही है। खास तौर पर प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीएस लाली के खिलाफ शिकायतें होती रही है। प्रसार भारती के चेयरमैन रहे अरुण भटनागर ने तो खुलेआम लाली पर आरोप लगाया है कि वे बोर्ड के फैसलों को टालते रहते हैं और अपनी मनमर्जी चलाते हैं। मामला दिल्ली उच्च न्यायालय तक गया और अब उच्च न्यायालय ने प्रसार भारती के कामकाज की केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा जांच करवाने के आदेश दे दिए हैं। इस जांच में करोड़ों रुपए के आर्थिक फैसले भी शामिल हैं। इसके अलावा प्रसार भारती ने दूरदर्शन की डीटीएच और खास तौर पर शिक्षा संबंधी चैनलों से भी जबरन तगड़ा पैसा वसूलने और उन्हें अपनी डिश पर प्राथमिकता नहीं देने का जो काम किया है उन फैसलों की भी विस्तार से जांच होगी। बीएस लाली इस बारे में कोई भी सफाई देने के लिए तैयार नहीं है।
दूरदर्शन अभी फिर विवाद में फंस गया जब कारगिल विजय के दस साल बरस पूरे होने पर देश शहीदों को सलाम कर रहा था, और द्रास से इसका लाइव प्रसारण देश के लगभग सभी प्रमुख खबरिया चैनलों पर हो रहा था, वहीं हमारा नेशनल ब्रॉडकास्टर यानि दूरदर्शन, फार्मूला वन रेस जैसे कार्यक्रम दिखा रहा था। दूरदरर्शन के इस रवैये पर एसवन न्यूज चैनल के न्यूज डायरेक्टर राजीव शर्मा कहते हैं- ‘क्या दूरदर्शन 10 जनपथ से निर्देश लेकर कार्यक्रमों का प्रसारण करता है? यूपीए और कांग्रेस के साधारण से कार्यक्रमों का दूरदर्शन पर लाइव टेलिकास्ट हो जाता है, लेकिन देश शहीदों के कार्यक्रम का लाइव नहीं हो पाया। कारगिल विजय पर हो रहे कार्यक्रम के लाइव टेलिकास्ट से यूपीए-कांग्रेस या 10 जनपथ को शर्म आ रही थी? हिंदुस्तानी फौज और उसके जांबाज क्या विपक्षी दलों के कार्यकर्ता हैं? यूपीए-कांग्रेस या 10 जनपथ की नजर में कारगिल के शहीद सैनिक वामपंथी कामरेड थे या फिर आरएसएस के स्वयंसेवक, जिनको श्रद्धांजलि देने से यूपीए-कांग्रेस या 10 जनपथ के आदर्शों पर आंच आ जाती। जो नेशनल ब्रॉडकास्टर किसी खास व्यक्ति या खास पार्टी के इशारों पर कार्यक्रमों का प्रसारण तय करता हो ऐसे नेशनल ब्रॉडकॉस्टर पर धिक्कार है! धिक्कार है !! धिक्कार है !!!’