मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने लिया बदला : माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने भोपाल के ‘जगत पाठक पत्रकारिता महाविद्यालय’ की मान्यता सत्र के बीच में समाप्त कर दी है। श्रीमती विजया पाठक ने अपने पति एवं मप्र के जाने-माने पत्रकार जगत पाठक की स्मृति में यह कॉलेज खोला था। इस कॉलेज से पत्रकारिता की डिग्री लेकर कई पत्रकार मप्र एवं देश भर में विभिन्न संस्थाओं को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कॉलेज की मान्यता खत्म किए जाने के पीछे वजह कॉलेज की संचालक एवं ‘जगत विजन’ मासिक पत्रिका की संपादक विजया पाठक एवं मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष सुरेश पचौरी के बीच हुआ विवाद बताया जाता है।
विजया पाठक ने कुछ माह पहले सुरेश पचौरी के खिलाफ अपनी पत्रिका में लगभग पन्द्रह पेज की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उन्होंने पचौरी पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को संरक्षण देने संबंधी एक पुराने एवं अप्रासंगिक मामले को भी तूल दिया था। इन खबरों से आहत पचौरी ने प्रदेश कांग्रेस के सभी प्रवक्ताओं को एक ही झटके में हटाने का निर्णय लिया था। उन्हें अपनी ही पार्टी के एक प्रवक्ता पर इन खबरों को छपवाने का शक था। पचौरी के इशारे पर उनके कई समर्थकों ने श्रीमती पाठक को अदालती नोटिस भी भेजे। इसी श्रृखंला में श्रीमती पाठक के कॉलेज की एक शिकायत भारत के उप-राष्ट्रपति से की गई। उपराष्ट्रपति ने कालेज में छात्रों को सुविधाओं संबंधी जांच के आदेश दिए। इस मामले में श्रीमती पाठक का कॉलेज नॉर्म्स पर खरा नहीं उतर सका।
दिल्ली के निर्देश पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने सत्र के बीच में ही जगत पाठक पत्रकारिता महाविद्यालय की मान्यता समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए। कॉलेज में अध्ययनरत छात्रों को परीक्षा में शामिल करने की सुविधा दी गई है। इस संबंध में श्रीमती पाठक का कहना है कि – खबर छापने से पहले ही उन्हें परिणाम का अंदाज था, लेकिन जो कुछ हुआ, उसमें हम लोगों का ही भला है। कॉलेज का भवन बनाने के काम को कई दिनों से टाल रही थी, लेकिन अब जल्दी ही नया भवन बनाकर कॉलेज की नए सिरे से अनुमति ली जाएगी। कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि उन्होंने विजया पाठक के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जहां तक कालेज की मान्यता का सवाल है, इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। मिश्रा का कहना है कि ‘जगत विजन’ पत्रिका ने किसी के कहने पर मनगंढत खबरें प्रकाशित की थीं।
sapan yagyawalkya
January 21, 2010 at 8:12 am
yadi netaon ke ishare par media sanshthanon ki manyata samaopt hoti hai to yah achchha nahi kaha ja sakta.
manhar choudhary
February 24, 2010 at 7:02 am
mai bhi vijaya pathak ko janata hu jo hua accha hi hua jagat pathak ji ka naam par dukandari dhik nahi hai .
harishankar singh
March 16, 2010 at 8:17 pm
vijaya ji un sahasi mahilayon me se ek hai jo har paristhiyo me ladna janti hai ab log kuch bhi kahe bhopal shehar main agar koi likhne ki takat rahkhta hai to vijaya ji unke saath aisa hona patrakarita pe ek dhakka hai aur hamesha ki tarah is sehar ke sabhi patrakar chuddi pehankar dekhte rahe