भोपाल : शब्द की सत्ता से उठता भरोसा सबसे बड़ा खतरा है। इसे बचाने की जरूरत है। ये विचार माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में पं. माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित स्मृति व्याख्यान में अध्यक्षीय भाषण देते हुए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के मंत्री-संचालक कैलाशचंद्र पंत ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि माखनलाल जी एक साथ प्रखर वक्ता, कवि, पत्रकार और सेनानी रूपों में नजर आते हैं। उनका हर रूप आज भी प्रेरित करता है। वे सही मायनों में भारतीयता का जीवंत प्रतीक हैं और मानवीय दृष्टि से पूरी मानवता को संदेश देते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कवि-कथाकार ध्रुव शुक्ल ने कहा कि हमारा समय अभिव्यक्ति की मुश्किलों का समय है। आज के समय में किस बात से कौन मर्माहत हो जाए कहा नहीं जा सकता। देश में अजीब से हालात हैं। उन्होंने कहा कि वे बौद्धिक नहीं अंर्तमन की भाषा लिखते थे। वे सही मायनों में एक भारतीय आत्मा थे। उनकी हिंदी चेतना और भारतीय मन आज के समय की चुनौतियों का सामना करने में समर्थ है।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र शर्मा ने कहा कि माखनलाल जी मूल्यों की परंपरा स्थापित की और उसपर चलकर दिखाया। हिंदी के लिए उनका संघर्ष हमें प्रेरित करता है। वे समय के पार देखने वाले चिंतक और विचारक थे। भारतीय पत्रकारिता के सामने जो चुनौतियों हैं उसका भान उन्हें बहुत पहले हो गया था। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो। बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि आज का दिन संत रविदास, महात्मा गांधी और माखनलाल जी से जुड़ा है तीनों बहुत बड़े संचारक के रूप में सामने आते हैं। अपनी संचार प्रक्रिया से इन तीनों महापुरूषों ने समाज में चेतना पैदा की। मानवता की सेवा के लिए तीनों ने अपनी जिंदगी लगाई। उन्होंने कहा कि मीडिया को जनधर्मी बने बिना सार्थकता नहीं मिल सकती। पश्चिम का मीडिया आतंकी हमलों के बाद अपने को सुधारता दिखा है हमें भी उसे उदाहरण की तरह लेते हुए बदलाव लाने की जरूरत है।
कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी और आभार प्रर्दशन कुलसचिव प्रकाश साकल्ले ने किया। इस अवसर पर सर्वश्री विजयदत्त श्रीधर, रेक्टर जेआर झणाणे, डा.श्रीकांत सिंह, चैतन्य पुरूषोत्तम अग्रवाल, पुष्पेंद्रपाल सिंह, डा. पवित्र श्रीवास्तव, पत्रकार मधुकर द्विवेदी, रामभुवन सिंह कुशवाह, सरमन नगेले, युगेश शर्मा, सुरेश शर्मा, अनिल सौमित्र सहित अनेक साहित्यकार, पत्रकार एवं विद्यार्थी मौजूद थे।
आशेन्द्र सिंह
January 31, 2010 at 8:34 am
पत्रकारिता विवि मेरे पत्रकारिता जीवन कि पाठशाला रही है. इस तरह के आयोजनों के माध्यम से पत्रकारिता के मूल्यों को बचाए रखने की कोशिश निश्चित ही साधुवाद के योग्य है. साधुवाद
Mithilesh Kumar Choubey
February 4, 2010 at 4:59 pm
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल का नाम आते ही, अरेरा कालोनी की वो यादें ताजा हो जाती हैं, जो मेरे लिए कभी ना भुलाने वाला क्षण रहा है। एक छात्र के रूप में माखनलाल शब्द में ही मेरी गहरी आस्था रही है पर जहाँ तक बात माखनलाल जी के व्यक्तित्व का है तो मेरे पास उस कालजयी महानायक के लिये शब्द कम पड़ जाते हैं। वो ना सिर्फ मध्य प्रदेश के धरोहर रहे बल्कि उन्होंने अपनी कृति के रूप में देश को ऐसा धरोहर दिया जो युगों-युगों तक जीवित रहेगा।
Mithilesh Kumar Choubey
February 4, 2010 at 5:00 pm
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल का नाम आते ही, अरेरा कालोनी की वो यादें ताजा हो जाती हैं, जो मेरे लिए कभी ना भुलाने वाला क्षण रहा है। एक छात्र के रूप में माखनलाल शब्द में ही मेरी गहरी आस्था रही है पर जहाँ तक बात माखनलाल जी के व्यक्तित्व का है तो मेरे पास उस कालजयी महानायक के लिये शब्द कम पड़ जाते हैं। वो ना सिर्फ मध्य प्रदेश के धरोहर रहे बल्कि उन्होंने अपनी कृति के रूप में देश को ऐसा धरोहर दिया जो युगों-युगों तक जीवित रहेगा।
SapanYagyawalkya
February 27, 2010 at 10:49 pm
Makhanlal Chaturvedi Patrakarita Evam Sanchar Vishwavidhyalay ke nam par MP ke logon ki kalpna me ek aisa sansthan ubharta hai ,jo paise lekar computer pathyakramon ko manyata de deta hai.karyalay me patrakarita valon ko koi bhav hi nahi deta,aise ayojan dada ki aatma ko kuchh rahat pahuchate honge, Sapan Yagyawalkya Bareli (MP)