केंद्रीय मंत्रियों एसएम कृष्णा और शशि थरुर के महंगे आलीशान होटलों में रहने के मुद्दे को मीडिया द्वारा प्रकाश में लाने के बाद हुई किरकिरी से बौखलाई सरकार अब कुछ पत्रकारों को सबक सिखाने के मूड में आ गई दिखती है। बहाना बनाया है चीन के मसले पर गलत रिपोर्टिंग को। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर पर भरोसा करें तो गृह मंत्रालय के अधिकारी एक राष्ट्रीय अखबार के दो रिपोर्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर चुके हैं। इन रिपोर्टरों के नाम हैं निर्मल्या बैनर्जी (कोलकाता) और प्रबीन कलीता (गुवाहाटी)। ये टाइम्स आफ इंडिया से जुड़े हुए हैं। इन दोनों के खिलाफ गृह मंत्रालय एफआईआर दर्ज कराने जा रहा है। इन रिपोर्टरों के हवाले से टाइम्स आफ इंडिया में 15 सितंबर को फ्रंट पेज स्टोरी प्रकाशित हुई थी।
इसमें कहा गया कि उत्तरी सिक्किम में चीनी सेना की फायरिंग में इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस (आईटीबीपी) के दो जवान घायल हो गए। हालांकि इस रिपोर्ट में बाद में यह भी बताया गया था कि आईटीबीपी के दिल्ली स्थित अधिकारी इस तरह की किसी घटना से इनकार कर रहे हैं। सरकार ने शीर्ष स्तर की बैठक के बाद चीनी फायरिंग की घटना होने से जब इनकार किया तो टीओआई ने एक खंडन भी प्रकाशित किया, जो इस प्रकार है- “Responding to a ToI report, ‘2 ITBP jawans injured in China border firing’, the ITBP had clarified that no such incident of firing has taken place on the India-China border and no member of the ITBP had been injured.”
पर इस खंडन से भी सरकार का गुस्सा कम नहीं हुआ। 20 सितंबर को ‘द हिंदू’ में नई दिल्ली से प्रकाशित एक खबर में गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी को बिना नाम दिए उद्धृत किया गया है। अधिकारी ने कहा है कि चीन मसले पर गलत रिपोर्टिंग को हम लोगों ने गंभीरता से लिया है। हम लोग रिपोर्टरों के खिलाफ क्रिमिनल केस करने जा रहे हैं। इस संबंध में जल्द ही एफआईआर दर्ज करा दिया जाएगा। इस अधिकारी का कहना है कि टीओआई के स्टोरी में इंटेलीजेंस के जिस उच्च पदस्थ सूत्र का हवाला दिया गया है, उसे कोर्ट के सामने पेश होना चाहिए। उन्हें कोर्ट को बताना पड़ेगा कि उनकी खबर का सूत्र कौन है।
पूरे मामले पर ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक को क्लिक कर सकते हैं- Censorship in the name of ‘national interest’?