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‘जबलपुर में नईदुनिया नहीं, राज एक्सप्रेस है नंबर दो’

भड़ास4मीडिया पर दिनांक 4 जनवरी को प्रकाशित ‘पत्रिका ने जबलपुर में हरिभूमि का स्लोगन चुराया‘ शीर्षक के साथ प्रकाशित जबलपुर के किसी साथी की चिट्ठी पढ़ी। पढ़कर थोड़ा कष्ट हुआ। कृपया पत्र लेखक महोदय से पूछिए कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हरिभूमि ने पत्रिका का स्लोगन चुराकर जबलपुर लांच किया हो? क्या यह पत्र लिखने से पहले उन्होंने यह विश्वास करने के लिए पर्याप्त तथ्य जुटा लिए थे कि हरिभूमि के जबलपुर लांच से पहले पत्रिका ने अपने किसी भी लांच में इस पंचलाइन का उपयोग नहीं किया था? मैं माननीय पत्र लेखक महोदय से ये भी पूछना चाहता हूं कि वे किस आधार पर कह रहे हैं कि जबलपुर में नईदुनिया दूसरा बड़ा अखबार है, राज एक्सप्रेस नहीं? मैं जानना चाहता हूं कि इस टिप्पणी का स्रोत क्या है?

भड़ास4मीडिया पर दिनांक 4 जनवरी को प्रकाशित ‘पत्रिका ने जबलपुर में हरिभूमि का स्लोगन चुराया‘ शीर्षक के साथ प्रकाशित जबलपुर के किसी साथी की चिट्ठी पढ़ी। पढ़कर थोड़ा कष्ट हुआ। कृपया पत्र लेखक महोदय से पूछिए कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हरिभूमि ने पत्रिका का स्लोगन चुराकर जबलपुर लांच किया हो? क्या यह पत्र लिखने से पहले उन्होंने यह विश्वास करने के लिए पर्याप्त तथ्य जुटा लिए थे कि हरिभूमि के जबलपुर लांच से पहले पत्रिका ने अपने किसी भी लांच में इस पंचलाइन का उपयोग नहीं किया था? मैं माननीय पत्र लेखक महोदय से ये भी पूछना चाहता हूं कि वे किस आधार पर कह रहे हैं कि जबलपुर में नईदुनिया दूसरा बड़ा अखबार है, राज एक्सप्रेस नहीं? मैं जानना चाहता हूं कि इस टिप्पणी का स्रोत क्या है?

चूंकि उनकी चिट्ठी के साथ उनका नाम व पता प्रकाशित नहीं किया गया है अत: मैं इसी मंच से उन्हें तर्कसम्मत जबाव प्रस्तुत कर रहा हूं। यदि वे अपना नाम, पहचान व पता बनाने का कष्ट करें तो मैं माननीय जबलपुर उच्च न्यायालय में उनसे मुलाकात करना चाहूंगा। किसी भी समाचार पत्र के सरकुलेशन को प्रमाणित करने के लिए भारत में केवल एक ही संस्थान अधिकृत है जिसका नाम है ऑडिट ब्यूरो ऑफ सरकुलेशन। इसके अलावा नेशनल रीडरशिप सर्वे या इण्डियन रीडरशिप सर्वे भी अखबार की पाठक संख्या को प्रमाणित करने का प्रयास करती हैं परंतु यह नतीजे भी गासिप से ज्यादा नहीं होते। एबीसी के अलावा कोई भी संस्थान ऐसा नहीं है जो किसी भी अखबार के सच्चे ग्राहकों की संख्या बताता हो। मैं पत्र लेखक महोदय को बताना चाहूंगा कि एबीसी किसी भी अखबार की केवल उतनी ही प्रतियों को स्वीकार करती है जो कि अधिकतम खुदरा मूल्य पर विक्रित होती हों एवं जिनका भुगतान प्राप्त हो गया हो। अर्थात विभिन्न गिफ्ट योजनाओं के माध्यम से या शहर के गणमान्य नागरिकों व विज्ञापनदाताओं को मुफ्त दी जाने वाली प्रतियों को भी एबीसी स्वीकार नहीं करता और न ही अपनी घोषणा में दर्ज करता है। अतः यह सुनिश्चित होता है कि एबीसी जितने भी अखबारों की सरकुलेशन घोषित करता है वास्तव में वह अखबार बाजार में उससे कहीं ज्यादा वितरित होता है।

पत्रलेखक को बताना चाहूंगा कि उनके प्रिय पेपर नईदुनिया ने जनवरी 09 से जून 09 की समयावधि के लिए एबीसी में अप्लाई ही नहीं किया। दरअसल वह इतना डरा हुआ था कि वह नहीं चाहता था कि सच दुनिया के सामने आए। इस अवधि में उनकी प्रसार संख्या तेजी से नीचे गिरी थी। केवल जबलपुर में ही नहीं, बल्कि लगभग सभी जगह। दिल्ली में तो इसे लेकर खूब बवाल भी हुआ। मजेदार बात तो यह है कि नईदुनिया अपने घर इन्दौर में भी धड़ाम से आ गिरा। अतः उसने वहां भी एबीसी के लिए अप्लाई नहीं किया, जबकि राज एक्सप्रेस का सरकुलेशन एबीसी द्वारा प्रमाणित की गई। न केवल जबलपुर में बल्कि भोपाल, इन्दौर, जबलपुर एवं ग्वालियर, चारो एडीशनों में। हमने जून 09 से दिसंबर 09 की अवधि के लिए भी अप्लाई कर दिया है।

एबीसी के अलावा कोई भी व्यक्ति या संस्थान किसी भी अखबार के सरकुलेशन को प्रमाणित करने के लिए अधिकृत नहीं है, और न ही सरकुलेशन को प्रमाणित करने वाले संस्थान एबीसी के निर्णयों पर कोई टिप्पणी करने की स्वतंत्रता किसी को प्राप्त है। ठीक उसी प्रकार जैसे कि न्यायालय के निर्णयों पर समीक्षा करने का कोई अधिकार किसी को नहीं होता, बस अपील की जा सकती है, वह भी न्यायालय में।

उपदेश अवस्थी

उप-महाप्रबंधक

राज एक्सप्रेस

भोपाल

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0 Comments

  1. balendra pandey

    January 14, 2010 at 12:21 pm

    wah…wah upadesh bhai kya khub jawab diya hai aapane..

  2. priya Singh

    January 15, 2010 at 7:47 am

    sir, namaskar, Updesh sir ne to kamaal kar diya. Ssch yahe hai k A.B.C. k Alaawa ye adhikar kise ko nahe hai k kon paper kitney paaney mai hai. rahe bat Nai Duniya ke to jin mahodaya ne Nai Duniya ko No.2 Bataya hai kya wo sajjan U.P mai bata saktey hai k kon saa paper No1/2 hai. pls ap jo bhe hai to U.P. mai jo picheley 3/4 baras se yudaa chidaa huaa hai usko BHE SULJHA DI JIYE. kam se kam u.p. k logo ko to pata chal jayega k kon No.1 hai. Yashwant sir pls. aap he bata dai k U.P. mai kon No.1 hai. Aap ne to Sabhe papers k Circulation k figers bataneka Theeka le rakhaa hai. Saayad Ap Bhe Indian Papers k Mathaadeesh hai. Sir Updesh Awasthee ji ne Sahe likhaa hai. Priya Singh , Haridwar,Uttkd.

  3. UPDESH AWASTHEE

    January 18, 2010 at 1:20 pm

    balendra pandey and priya Singh
    THANKU SO MUCH FOR YOUR COMMENT
    UPDESH AWASTHEE

  4. vishwanath singh

    January 21, 2010 at 10:47 am

    sir,
    namaskar,
    Aapka jawab bilkul sahi raha.
    vishwanath singh, gorakhpur, dainik jagran.

  5. UPDESH AWASTHEE

    January 25, 2010 at 10:33 pm

    THANKU VISHVNATH JI

  6. sandeep singh

    January 30, 2010 at 9:16 am

    Dear Updesh,
    As you commented very well regarding the benchmark of any paper Circulation is ABC certificated . as you have deabted very hard for Raj Express having got ABC Jan-Jun 09 of around 47,665 against Nai Duniya.
    For your kind information and knowledge of people the no 2 paper in Jabalpur is Haribhoomi with ABC certificate Jan-Jun-09 is 82,095.
    Thanks Updesh keep posting
    Sandeep Singh,
    Mumbai

  7. UPDESH AWASTHEE

    February 1, 2010 at 1:14 pm

    Sandeep Singh ji
    pl read my letters. i m not claim that who is no 2. my words meen is naiduniya is not on no 2. & anyone are not to confrm that who is no. 1 or 2. abc is only one org. who cirtifide our circuletion.
    aap head line per mat jaiyee. es web k sampadak bhee to ek patrkar hee hain. wo mirch msala hee lgate hain.
    thanku sandeep

    updesh awasthee

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