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पत्रकारों से डरना, ये पुलिस से कम नहीं!

[caption id="attachment_16768" align="alignleft"]पुलिस वाले व्यवसायी के घर का सामान अपनी जीप में रखते हुए.पुलिस वाले व्यवसायी के घर का सामान अपनी जीप में रखते हुए.[/caption]बिहार के कटिहार से खबर है. यहां मीडिया के लोग भी पुलिस वालों की तरह किन्हीं दो लोगों में झगड़े का इंतजार करते रहते हैं. अगर झगड़ा हो गया तो समझिए मीडिया की दीवाली और दशहरा एक साथ हो जाती है. यानि मीडिया वाले दो लोगों के बीच के झगड़े को बखूबी कैश करना जानते हैं. कटिहार के पत्रकारों ने पिछले दिनों केबल बिजनेस से जुड़े दो बिजनेसमैनों के बीच के झगड़ को इस कदर भुनाया कि एक व्यवसायी तबाह और बर्बाद हो गया. दरअसल जिस व्यवसायी का साथ यहां के तथाकथित मीडियाकर्मियों ने दिया, उसने पैसे के बदौलत पहले तो मीडिया वालों को अपने पक्ष में कर लिया, फिर मीडियाकर्मियों के प्रभाव व पैसे के ही बल से कटिहार की पुलिस को मैनेज किया. 

पुलिस वाले व्यवसायी के घर का सामान अपनी जीप में रखते हुए.

पुलिस वाले व्यवसायी के घर का सामान अपनी जीप में रखते हुए.बिहार के कटिहार से खबर है. यहां मीडिया के लोग भी पुलिस वालों की तरह किन्हीं दो लोगों में झगड़े का इंतजार करते रहते हैं. अगर झगड़ा हो गया तो समझिए मीडिया की दीवाली और दशहरा एक साथ हो जाती है. यानि मीडिया वाले दो लोगों के बीच के झगड़े को बखूबी कैश करना जानते हैं. कटिहार के पत्रकारों ने पिछले दिनों केबल बिजनेस से जुड़े दो बिजनेसमैनों के बीच के झगड़ को इस कदर भुनाया कि एक व्यवसायी तबाह और बर्बाद हो गया. दरअसल जिस व्यवसायी का साथ यहां के तथाकथित मीडियाकर्मियों ने दिया, उसने पैसे के बदौलत पहले तो मीडिया वालों को अपने पक्ष में कर लिया, फिर मीडियाकर्मियों के प्रभाव व पैसे के ही बल से कटिहार की पुलिस को मैनेज किया. 

पुलिस उत्पीड़न से नाराज व्यवसायी के परिजन पुलिस को बुरा-भला कहते.नतीजा यह हुआ कि दूसरे व्यवसायी के घर के सामान बिना कोर्ट की अनुमति के पुलिस उठा कर थाने ले गयी. 10 दिनों बाद फिर पुलिस घर आई और व्यापारी के सामान को उठा कर थाने लायी. कुछ दिनों बाद तीसरी बार भी पुलिस आई और शेष बचे घर के सामन को उठा कर ले गई. सवाल यहां ये उठता है की एक एफआईआर पर कितनी बार पुलिस जप्ती कर सकती है? ये है पुलिस की गुंडागर्दी है और पुलिस की गुंडागर्दी को शह दिया कटिहार जिले के पत्रकारों ने. कटिहार की पुलिस को मैनेज करने का काम किया एक ऐसे टीवी जर्नलिस्ट ने जिस पर पिछले दिनों एक मेडिकल रिप्रजेन्टेटिव ने लैपटाप और पैसे छीनने का आरोप लगाकर छपरा के कोर्ट में मामला दर्ज कराया. ये टीवी जर्नलिस्ट महोदय एक भोजपुरी न्यूज और मनोरंजन चैनल के प्रतिनिधि हैं. अब अगर ऐसे लोगों के हाथ में पत्रकारिता की बागडोर रही तो आलम क्या होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है.

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0 Comments

  1. madhavi shree

    January 19, 2010 at 12:53 pm

    समाज में जब सही तरीके से जीने के रस्ते बंद होने लगते है तो लोग गलत की ओर दौड़ने लगते है . बेचारे पत्रकारों ने भी पैसे बनाना सीख लिया .

  2. Vikas Ojha

    January 19, 2010 at 12:59 pm

    Ji Haa Sir Mai Bhi Katihar Ki Ptrakarita Se Jura Hu aur Ye Tamam Bate ,,, Sach Hi Nahi Balki Katihar Ke Patrakarita Ka Ashali Chehara Hai …. aur jo Chehara is Chehare Se Mail Nahi Khata Wo Gumnaami Ki andheri Galiyo Me Meri Tara Gum Ho Jata Hai Ya Gum Kar Diye Jate Hai ….

    Dhanaybad Sir ,,, Ki Aapne Katihar Ki Media Ka Ashali Chehara Dikhate aaj Rahe Hai …

  3. Kaushal Singh

    January 19, 2010 at 1:23 pm

    सर मै छपरा की पत्रकारिता से जुरा हु … हमारे छपरा के ही एक डोक्टर साहेब है उन्ही के बेटे का लेपटोप और कुछ पैसे छीने थे कटिहार के राजीव रंजन जी … जो भोजपुरी न्यूज़ महुवा के कटिहार के पत्रकार है … आपने जी खबर दिखाया है , उसे देख उसे आश्चय होगा जो इस घटने को नहीं जानते थे .. मै जनता हु इसलिए मुझे आश्चय नहीं है , की ये लोग ऐसा कर सकते है क्योकि ऐसे लोगो का पत्रकारिता में आने का मकशाद कुछ और ही होता होगा ,,,

  4. kundan

    January 19, 2010 at 1:39 pm

    chahe vikas ho ya koi patrakarita ke liye thik nahi mai bhi katihar me patrakarita kiya hoo jaha garibi jaisi samasyae hai plz udhar dhayan diya jaye

  5. faiz

    January 19, 2010 at 1:40 pm

    doston patkaron ka bhi pet hai , chahe yeh legal tarilke se bhra jaye ya phir ilegal tarike se…

  6. OMHARI TRIVEDI

    January 19, 2010 at 2:53 pm

    YASHWANT JI ye to bihar ke katihar ki ho gaye ETAWAH KE UN HATYARE PATREKARO KE khaber KYO NAHI CHAP RAHE jo haato main AVEDHE HATIYAR lekar ghome rahe hai — ETAWAH

  7. manoj

    January 19, 2010 at 7:55 pm

    jee haa ese police walo ko goli maar deni chahiye

  8. amit tyagi

    January 20, 2010 at 6:13 am

    yashwant bhai, mere jijajee katihar railway station par grp incharge the kuchh din pahle. ek baaar main unse milne gaya tha to unhone kaha ki kaise patrakar hain aap log jo times of india group mein kaam karte huye bhee salary ki mala jpte rahte hain. yahan to hindustan aur dainik jagran ke patrakar aakar grp police station se 2000/ rupye har mahine le jate hain. sochiye pure shahar mein inke kitne thikane honge. maine poochha ki badle mein ye aapko kya suwidha dete hain. he said ki katihaar railway station par chori ho ya chhena jhapti, ya kabhee badi ghatna ho jaye, paper mein iski khabar nahin aati, bas aur kya? maine aaz tak kabhee iska jikra nahin kiya, par aaz raha nahin gaya!

  9. vijay mishra

    January 20, 2010 at 7:59 am

    waise aap jisa bhojapuri aur manorajan chinal ki baat kar rahe hai wo pahale se hi mafiyawo ke kabje me hai to isake patrakar dwara istarah kiya jana koyi badi baat nahi wai bhi isaka karay chetra istarah ki blackmeling aur ache patarakaro ko kam na karane ko lekar badanam raha hai

  10. avinash kumar jha

    January 20, 2010 at 12:38 pm

    upper vyakt kiye gaye vicharo se lagta hai ki ek POL KHOL MEDIA KI jaisa karykram banaya jana chhihiye.waise ye aaj ki patrakarita ki karvi sachai hai….lakin sirf patrkaro ko dosh dena ektarfa karywahi hoga …isme paper chalane walo se bhi jano ki kis prakar ke logo ko appoint kiya ja raha hai….aur malik bhi is prakar ki harkat karte rahte hai…..bt yeh ghatna sarmnak hai.

  11. vijay singh thakur

    January 20, 2010 at 1:37 pm

    waise ye galat to hai lekin aj ke daur me jab kisi ko 6-7 mahine se pagaar na mile to bhala wo iske alawa aur kya kar sakata hai………..ye hai aj ki patrkarita ka ayina……………………………

  12. Deeapk Bagadia

    January 22, 2010 at 5:38 pm

    Main bhi katihar se juda hua hoona aur nikat hi ek gaon ka rehne wala hun….Neeraj Jha dwara di gayi suchna ke bare main jab maine katihar main pata lagaya…to yeh suchana puri tarah galat aur adharheen nikli……firstly main yeh bata doon ki..neeraj jha dwara likhi gayi suchana aur usspar apne vichaar dene wale vikas ojha, katihar ke nihayat BADNAAM patrkar hai aur dono gehre saathi hai….
    neeraj jha apne aap ko live india news channel ka registered patrkar batata hai… aur vikas ojha cneb channel ka…vikas ojha pehle aaj tak ke liye kaam karta tha aur uss channle ke naam par humesha lootpat kiya karta tha….katihar ke manihari thane main iss par kayi mamle bhi darz hai….inhi buri aadaton ke karan aajtak se yeh nikal diya gaya….dono patrkaron ke bare main pura shahar janta hai ki dono din bhar sharab ke nashe main rehte hai….issi suchna main vichar rakne wali madhvi shree issi vikas ojha ki patnai hai aur usi cable network main kaam karti hai…jisko katihar ke prashasan ne band karva diya…band karane ka karan tha- na to iss cable network ke paas cable chalane ka license tha aur na hi yeh bihar sarkar ko ek bhi paisa tax deta tha….balki yeh pay channels ki bhi chori karta tha…dono patrkar issi cable network ke saath mil kar logon ko black mail karte hai… iss baat ki pushti katihar court ne apne 21 jan ko diye gaye decision main kar di hai…
    jab mahua tv ke patrkar rajeen ranjan ke bare main humne pata lagaya ….to pata chala ki…wah ek mehnati aur lagansheel patrkar hai…bus iss patrkar ka gunha itna hai ki…yeh inn dono patrkaron ke saath mil kar …na to logon ko blackmail karta hai aur naa hi inhe black mail karne deta hai…yun kahe ki…..rajiv ranjan- “neeraj jha, vikar ojha aur madhvi shrre” namak girhon ke raste ka paathar hai…
    ab aap darshak yah sunishit karey ki…inn teeno dwara galat suchana de kar… aur alag alag naam se …vicharak ban kar ..media world ko miss guide karne ke ewaj main media world inke saath kya suluk karey….

  13. Remesh Kumar

    January 24, 2010 at 3:16 pm

    वक्तव्य 12 से लगता है की आप महुवा टीवी के काफी समर्थक है , तो भाई साहेब ये बताइए की ग्रुप में केवल दो ही लोग है क्या ?? मेरी जानकारी के मुताबिक , कटिहार में 365 दिन टीवी के पत्रकार- गोपाल जी , न्यूज़ 24 के पत्रकार–तरुण जी (लोकल न्यूज़ वाले ) , महुवा के पत्रकार– राजीव जी , आज तक के पत्रकार– बिपुल जी , आप लोगो का एक ही ग्रुप है ? जहा जाते है साथ ही जाते है ? तो एक बात बताइए DSC कटिहार पर एक हत्या का मामला दर्ज था आप लोगो ने क्यों नहीं उस न्यूज़ को दिखाया ? मै बताता हु क्यों नहीं दिखाया ?? आप सभी मेनेग हो चुके थे , और आप इन्हें मेहनती और इमानदार पत्रकार कहते है …. आप किस मामले की बात कर रहे है पत्रकार महोदय ?? विकास ओझा पे लगे आरोप जो आप लोगो की गहरी पैठ से लगाये गए थे ताकि वो ये फिल्ड ही छोर दे , और आप लोग अपने किसी आदमी को उनकी जगह लगा पाए ताकि आप लोगो की लूट मेनेग न्यूज़ कार्यक्रम चलता रहे , क्यों की वो आपके साथ कभी नहीं थे …और आपके लिए कंटक थे , आप किस केवल आपरेटर की बात कर रहे है ? ललित अग्रवाल की .??? .जिनका आप लोगो ने साथ दिया …… ये क्यों भूल गए मेरे भाई की उसपे सेल टेक्स का 67 लाख रुपये बकाया है और आप लोगो की ही पैठ से प्रशासन को वो पैसे वसूलने में दिक्कत होती … जब जब प्रशासन उस पैसे को वशुलने की कोसिस करती है तो आप लोग बरे-बरे चैनल का logo लेकर पहुच जाते है अधिकारियो के पास ….फिर अधिकारी खामोश हो जाते है …हा ……BSNL में भी एक मामला है उस केवल आपरेटर का जिसका साथ आपलोगों ने दिया था की नैकर के नाम पर फोन लगा कर साढ़े चार लाख रुपये का बिल गिरा कर …. ठेगा दिखा दिया BSNL को … रहने दीजिये भाई साहब ये सब को पता है कौन क्या है ??? आप लोगो की तमाम बाते मै मान जाता लेकिन आप बताइए की ये कैसी पुलिस की करवाई की एक को तबाह और बर्बात कर दी और आप लोगो ने जिनका साथ दिया वो अभी तक सरकार के 67 लाख रुपये पचा कर बैठा है और उसे कुछ नहीं हुवा ??? इतना ही नहीं ये विकास ओझा जिनकी जिक्र आप कर रहे है वो इस केवल आपरेटर द्वारा चलाये जा रहे एक लोकल न्यूज़ चैनल को बंद करने की एक चिट्ठी भी कटिहार के जिला अधिकारी को सरकार द्वारा इनके ही शिकायत के बाद भेजा गया था …. जिसे वावजूद इनका चैनल जिसका नाम खबरों की खबर है बंद नहीं हुवा ….. ये प्रभाव आप लोगो का ही ना है …क्यों नहीं बंद करवाया आप लोगो ने और क्यों नहीं दुशरे केवल आपरेटर पर करवाई करवाई आप लोगो ने ….सरकार के पैसे वशुलने में ??? पहला केवल आपरेटर के पास सब कुछ था फिर भी आप लोगो ने एक वेव्साई को फायदा पंहुचाने का मोटा ठेका जो ले रखा है उसके तहत आप लोगो ने एक वेव्साई को बर्बाद कर दिया ……. . अब तो साफ़ हो गया ना पत्रकार महोदय …. की आप कितने साफ़ सुथरे है ???
    अब आप बताइए ? की छपरा कोर्ट में दर्ज लेपटोप छीन मामले में महुवा के पत्रकार राजीव रंजन को अभियुक्त बनाया गया है की नहीं …. जिसका केस नंबर CA 3584 – 2009 है ,कटिहार की 99 % मीडिया के लोग लूट मेनेग न्यूज़ कार्यक्रम चलते आ रहे है , और जब आप लोग ,,, इन लोगो के बारे में इतना कुछ जानते है तो सोचिये की मै भी बहुत कुछ जनता हु इन चारो के बारे में,,, अगर खोल दिया तो वैसे ही कटिहार की मीडिया भारत के तमाम लोगो की नज़र में बदनाम है जो बची खुची इज्जत है वो भी नीलाम हो जाएगी ,,,, रहने दीजिये !!!! , रहने दीजिये !!!! , रहने दीजिये !!!!

    पहले जाकर उस केवल आपरेटर का अवैध न्यूज़ चैनल बंद कराइए , फिर सरकार के 67 लाख रुपये उस केवल आपरेटर से सरकार के खजाने में डलवाइए … और BSNL का साढ़े चार लाख रुपये जमा करवाइए फिर कहियेगा की आपने किसी अच्छे लोग का साथ दिया था और आप कटिहार के लूट मेनेग न्यूज़ कार्यक्रम के सदस्य नहीं थे ये भी कहियेगा …… अभी कुछ और ही मतलब निकलता है
    … समझे …………………
    365 दिन टीवी के पत्रकार- गोपाल जी , न्यूज़ 24 के पत्रकार–तरुण जी (लोकल न्यूज़ खबरों की खबर वाले ) , महुवा के पत्रकार– राजीव जी , आज तक के पत्रकार– बिपुल जी (लोकल न्यूज़ खबरों की खबर वाले ) रहने दीजिये !!!! , और भी बहुत कुछ है लेकिन रहने दीजिये !!!! , रहने दीजिये !!!! , रहने दीजिये !!!! कुछ आगे के लिए ……

  14. Anup Kumar

    January 29, 2010 at 2:35 am

    मुझे ये कहते हुए काफी शर्म आ रही है की यहां की पत्रकारिता की हालत बहुत ही खराब है। कटिहार में पत्रकारों का मन न्यूज का काम करने से ज्यादा पैसे के लेन-देन में लगता है। यहां ‘खबरों की खबर’ नाम से एक लोकल न्यूज़ चैनल कटिहार के डीएम की मेहरबानी पर चलता है। इसका काम बस यही है कि पत्रकारिता के नाम पर लोगो को परेशान करना और उनसे पैसे लेना।

    इन लोगों का दबदबा बहुत ज्यादा है। यहीं के एक स्थानीय पत्रकार ने राज्य सूचना आयोग में इस चैनल के अवैध प्रसारण को बंद करने की गुहार लगाई थी। आयोग से इसे बंद करने का आदेश भी कटिहार के डीएम को मिला फिर भी आज 4 माह बीत जाने के बाद भी चैनल धड़ल्ले से चल रहा है। इस चैनल के लोगों और कटिहार की मीडिया के ज्यादातर लोगों का मतलब खबर को ईमानदारी से चलाना नहीं बल्कि खबरों को जरिया बनाकर पैसे लेना होता है।

    जो पत्रकार इनके साथ इस धंधे में नहीं रहता वो या तो किसी चैनल में काम करने के काबिल नहीं माना जाता या फिर उसके काम में तरह-तरह की अड़चन पैदा की जाती है। एक घटना का जिक्र करना चाहूंगा। कटिहार के जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार एक कनीय अभियंता की हत्या के आरोपी हैं। उन पर बिहार के मुख्यमंत्री के आदेश पर कटिहार के सहायक थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। केस नंबर 372/09 है। इसकी खबर कटिहार की मीडिया ने प्रसारित नहीं किया। वजह, जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार से मोटी रकम इन लोगों ने हासिल कर लिया था।

    कटिहार की पुलिस में गहरी पैठ रखने वाले जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार की गिरफ़्तारी तक नहीं हुई। दो छोटे-छोटे बच्चे के साथ रोती बिलखती कनीय अभियंता शशि भूषण प्रशाद की पत्नी कुमारी संगीता सिन्हा ने कटिहार के हर मीडिया वाले के सामने इंसाफ की गुहार लगाई पर जिले की मीडिया को किसी भावना या कर्तव्य से कोई लेना-देना नहीं। इनका ईमान सिर्फ पैसा है। पैसे जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार ने दे ही दिया है तो खबर काहे की चलानी है। इन्होंने तो खबर अपने ऊपर वालों को भी नहीं बताया। लेकिन मैंने इसी खबर को अपने उपर बताया और मुझे खबर भेजने को कहा गया। लेकिन जब मैं जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार के पास बाइट लेने गया तो उन्होंने कोई भी बाइट देने से इनकार कर दिया। कटिहार के मेरे मीडिया के भाई लोग मुझे गाली देने लगे और कहा कि तुम्हें जान से हाथ धोना है तो इस खबर को करो।

    मैं कटिहार का नहीं हूं इसलिए यहां के स्थानीय पत्रकार मुझे कुछ ज्यादा ही डराते धमकाते हैं। पर मेरी चिंता कनीय अभियंता शशि भूषण प्रसाद की पत्नी और उनके बच्चे हैं जो इंसाफ के लिए भटक रहे हैं पर उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस मामले में अगर कोई मदद कर-करा पाए तो हम सब उम्मीद कर सकते हैं कि बहुत सारी खराब स्थितियों-परिस्थितियों के बावजूद पीड़ितों को अंततः न्याय मिल जाता है।

  15. gopal

    February 2, 2010 at 9:22 am

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  16. Mrigendra kumar

    February 5, 2010 at 9:56 am

    Really i agree to your artical…

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