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दुख-दर्द

आईपीएस एन. पद्मजा से कई पत्रकार हुए हैं परेशान

गोंडा के पत्रकारों ने बैठक कर मानवाधिकार आयोग के फैसले का स्वागत किया और एन. पद्मजा के कारनामों का खुलासा किया : दीपावली से ठीक पहले गोण्डा की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एन. पद्मजा द्वारा अमर उजाला के ब्यूरो कार्यालय पर छापा डलवाने की घटना को भड़ास4मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित करके गोंडा के पत्रकारों की हौसला अफजाई की थी। अब एक बार फिर वही पुलिस अधिकारी एक पत्रकार के मानवाधिकार हनन को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के घेरे में है। आयोग ने लखीमपुर खीरी के एक पत्रकार के बेजा उत्पीड़न पर करीब चार वर्षों की जांच पड़ताल के बाद दोषी पुलिस अधीक्षक पर पांच लाख रुपए का हर्जाना ठोंका है। इससे प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ने के लिए हमें बल मिला है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा लखीमपुर खीरी की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्रीमती एन. पद्मजा द्वारा बेवजह उत्पीड़न तथा दमन के शिकार बनाए गए पत्रकार सलीमुद्दीन उर्फ नीलू को छ: सप्ताह के अन्दर पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिए जाने पर गोण्डा के पत्रकारों ने हर्ष व्यक्त किया और इसे न्याय की जीत करार दिया।

<p align="justify"><font color="#000080">गोंडा के पत्रकारों ने बैठक कर मानवाधिकार आयोग के फैसले का स्वागत किया और एन. पद्मजा के कारनामों का खुलासा किया : </font>दीपावली से ठीक पहले गोण्डा की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एन. पद्मजा द्वारा अमर उजाला के ब्यूरो कार्यालय पर छापा डलवाने की घटना को भड़ास4मीडिया ने <a href="index.php?option=com_content&view=article&id=2886:amar-ujala&catid=44:dukh-dard&Itemid=70" target="_blank">प्रमुखता से प्रकाशित</a> करके गोंडा के पत्रकारों की हौसला अफजाई की थी। अब एक बार फिर वही पुलिस अधिकारी एक पत्रकार के मानवाधिकार हनन को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के घेरे में है। आयोग ने लखीमपुर खीरी के एक पत्रकार के बेजा उत्पीड़न पर करीब चार वर्षों की जांच पड़ताल के बाद दोषी पुलिस अधीक्षक पर <a href="index.php?option=com_content&view=article&id=4165:media-justice&catid=44:dukh-dard&Itemid=70" target="_blank">पांच लाख रुपए का हर्जाना</a> ठोंका है। इससे प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ने के लिए हमें बल मिला है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा लखीमपुर खीरी की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्रीमती एन. पद्मजा द्वारा बेवजह उत्पीड़न तथा दमन के शिकार बनाए गए पत्रकार सलीमुद्दीन उर्फ नीलू को छ: सप्ताह के अन्दर पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिए जाने पर गोण्डा के पत्रकारों ने हर्ष व्यक्त किया और इसे न्याय की जीत करार दिया।</p>

गोंडा के पत्रकारों ने बैठक कर मानवाधिकार आयोग के फैसले का स्वागत किया और एन. पद्मजा के कारनामों का खुलासा किया : दीपावली से ठीक पहले गोण्डा की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एन. पद्मजा द्वारा अमर उजाला के ब्यूरो कार्यालय पर छापा डलवाने की घटना को भड़ास4मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित करके गोंडा के पत्रकारों की हौसला अफजाई की थी। अब एक बार फिर वही पुलिस अधिकारी एक पत्रकार के मानवाधिकार हनन को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के घेरे में है। आयोग ने लखीमपुर खीरी के एक पत्रकार के बेजा उत्पीड़न पर करीब चार वर्षों की जांच पड़ताल के बाद दोषी पुलिस अधीक्षक पर पांच लाख रुपए का हर्जाना ठोंका है। इससे प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ने के लिए हमें बल मिला है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा लखीमपुर खीरी की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्रीमती एन. पद्मजा द्वारा बेवजह उत्पीड़न तथा दमन के शिकार बनाए गए पत्रकार सलीमुद्दीन उर्फ नीलू को छ: सप्ताह के अन्दर पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिए जाने पर गोण्डा के पत्रकारों ने हर्ष व्यक्त किया और इसे न्याय की जीत करार दिया।

पिछले दिनों गोंडा में पत्रकारों की हुई एक बैठक में आयोग के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के जिलाध्यक्ष कैलाश वर्मा ने कहा कि आयोग के निर्णय से अपनी लेखनी का जनहित में इस्तेमाल करने वाले पत्रकारों को बल मिलेगा। वरिष्ठ पत्रकार तेज प्रताप सिंह ने कहा कि आयोग का यह निर्णय न केवल बेलगाम पुलिस अधिकारी वरन दूसरे अधिकारियों के लिए भी सबक है। इसके साथ ही गोण्डा के अन्य पत्रकारों केसी महन्त, एसपी मिश्र, आनन्द मोहन पाण्डेय, गोमती शरण प्रेमी, रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव, ओंकार पाठक, पीपी यादव, छेदी लाल अग्रवाल, यशोदा नन्दन त्रिपाठी, केएन पाण्डेय, हाजी सै. रजा हुसैन रिजवी, हरि नारायण शुक्ल, रमन मिश्रा, सत्य प्रकाश यादव, संजय तिवारी, प्रदीप तिवारी, अजीत सिंह लवी, राम मोहन पाण्डेय, धनंजय तिवारी, अरुन मिश्रा, नन्द लाल तिवारी, मनोज श्रीवास्तव, अंचल श्रीवास्तव, जी सी श्रीवास्तव, रवीन्द्र कुमार श्रीवास्तव, कल्बे वसी, सुरेश पाण्डेय, अकील सिद्दीकी, प्रवीन मिश्रा, जानकी शरण द्विवेदी, हाजी अब्दुल हफीज, अम्बिकेश्वर पाण्डेय, अनुराग सिंह, राजीव श्रीवास्तव, अमित श्रीवास्तव, ओपी पाण्डेय आदि ने भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश को लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ की जीत बताया है।

बैठक में पत्रकारों ने गोण्डा की निवर्तमान पुलिस अधीक्षक श्रीमती एन. पद्मजा की कार्यशैली की निंदा की। कहा गया कि वे अपने सभी तैनाती वाले जनपदों में विवादास्पद रहीं। गोण्डा में भी मीडिया से उनके सम्बंध खराब रहे। इसके चलते उनकी यहां भी शासन से लेकर विभिन्न आयोगों में शिकायत हुई। उच्चाधिकारियों को भेजी गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पुलिस अधीक्षक एन. पद्मजा की कार्य प्रणाली चौबीस घण्टे काम करने वाले एक सजग पुलिस अधिकारी की न होकर, आठ घण्टे काम करने वाले दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की है। वे शासन के निर्देशों के अनुरूप प्रत्येक कार्य दिवस में सामान्य रूप से 10 से 12 बजे तक बैठकर जनता की समस्याएं नहीं सुन पाती हैं, इस अवधि के बाद आने वाले दर्जनों फरियादी बिना अपनी बात कहे रोजाना वापस हो जाते हैं। कई फरियादी तो ऐसे होते हैं, जिनका नम्बर दो-तीन दिन तक लगातार दौड़ने के बाद भी नहीं आता है, क्योंकि नियत समय के बाद वे जनता से मिलना बन्द कर देती हैं और बाहर प्रतीक्षा कर रहे लोगों को अगले दिन पुन: आने अथवा एडिशनल एसपी से अपनी बात करने का निर्देश देकर वापस जाने को कह दिया जाता है।

रविवार तथा सार्वजनिक अवकाश के दिनों कार्यालय तो बन्द ही रहता है, किन्तु वे इन दिनों वे सामान्यतया किसी से अपने कैम्प कार्यालय/आवास पर नहीं मिलती हैं। उनके ऊपर आरोप था कि वे आम जनता से संवाद बनाए रखने में भी वे पूरी तरह विफल रही हैं। जनता द्वारा अपनी समस्या, शिकायत अथवा किसी सुझाव के लिए एसपी के सरकारी मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क करने का प्रयास किए जाने पर वे तीन चौथाई टेलीफोन कालों को रिसीव नहीं करती हैं, परिणामस्वरूप कोई भी व्यक्ति यदि उन्हें अति महत्वपूर्ण खुफिया सूचना भी देना चाहे तो नहीं दे सकता है। इतना ही नहीं, नियमित रूप से मीडिया को प्रेस बीफिंग किए जाने के लिए अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) बृजलाल के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद गोण्डा में एसपी का कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने एक बार भी पत्रकारों से औपचारिक मुलाकात करना मुनासिब नहीं समझा। यहां तक कि दीपावली के दिन मण्डल मुख्यालय पर दिन दहाड़े वर्दीधारी सिपाही की पीट-पीटकर हत्या करने वाले अभियुक्त की दस दिन बाद गिरफ्तारी करने पर भी उन्होंने प्रेस से वार्ता नहीं किया।

जनपद में हत्या, डकैती जैसी तमाम गम्भीर घटनाओं के घटित होने पर सामान्यतया जिला पुलिस प्रमुख मौका मुआइना करता है, किन्तु एन पद्मजा हत्या जैसी गम्भीर घटनाओं में भी मौका मुआयना करना मुनासिब नहीं समझतीं थीं। जुओं के अड्डों से अवैध वसूली करने के चक्कर में अकेले मौके पर गए बावर्दी सिपाही विनय शर्मा की दिनदहाड़े मण्डल मुख्यालय पर दीपावली के दिन पीट-पीटकर हत्या कर दिए जाने पर अपने सरकारी आवास पर मौजूद रहने के बावजूद न तो उन्होंने मौका मुआयना किया और न ही अस्पताल में भर्ती सिपाही को देखने गईं। इसके विपरीत उन्होंने अपने आवास पर धूमधाम से दीपावली मनाई। उनके आवास से मात्र 100 मीटर की दूरी पर जिस समय मृत सिपाही का पोस्टमार्टम हो रहा था, उस समय उनके सरकारी आवास पर गोले दागे जा रहे थे। उनके आवास को रंग बिरंगे झालरों से सजाया गया था, जबकि पूरे पुलिस लाइन समेत मृत सिपाही के आवास पर मरघट जैसा सन्नाटा था। शिकायती पत्र के अनुसार, जनपद मुख्यालय पर मौजूद रहते हुए भी वे शासन की मंशा के अनुरूप प्रत्येक तहसील दिवस कार्यक्रमों में भाग नहीं लेती थीं।

ऐसे में आयोग का फैसला देर से ही सही, किन्तु पूरी तरह से दुरुस्त है और पत्रकारों को राहत देने वाला है।

उप्र श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, गोंडा के महामंत्री जानकी शरण द्विवेदी की रिपोर्ट

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0 Comments

  1. vikas

    February 17, 2010 at 12:54 pm

    n padmja kekhilaf tofir likh kar giraftari honi chahiye taki ips ko pata chaleki kanoonkya hai aur patrkaro ka utpidan kane ke liye unhe naukri nahidi gayi hai.:P

  2. Mahabir Seth

    February 17, 2010 at 4:25 pm

    पत्रकारों का उत्पीडन कतई बर्दाशत नहीं है. सभी जगह के अधिकारी दबाव बनाना चाहते हैं, लेकिन सफल नहीं होते हैं .

  3. राहुल

    February 17, 2010 at 6:18 pm

    पद्मजा जैसे लोगो को अरब देशो मे भेज दिया जाना चाहिए, वहा उन्हे असल अह्सास होगा कि मानवियता किसे कहते है…

  4. vinay srivastava

    February 18, 2010 at 5:24 am

    manavadhikar ayog ka nirnay qabil-e tareef hai.isse aise magroor adhikariyon ka manobal zaroor tootega.ayog ko sadhuvad.
    vinay srivastava

  5. aqeel siddiqui

    February 18, 2010 at 4:10 pm

    jo patrkaro se takraega, padmaja jaisa choor choor ho jayega manaw dhikar ayog ko mere aur mere sabhi ptrakar mitron ki taraf se sadhanywad

  6. aqeel siddiqui

    February 18, 2010 at 4:12 pm

    jo patrakaro se takrayga n padmaja jaisa choor choor ho jayega. manawa dhikar ayog ka faisla kabile tarif hai aur mere sabhii patrkar bhaiyon aur mere taraf se manawa dikar ayog ko dhanyawad

  7. Puneet Nigam

    February 19, 2010 at 1:50 pm

    इतने सारे लोग कह रहे हैं तो जरूर सच्‍चाई होगी पर मेरा पदमजा जी के साथ का अनुभव कुछ अलग है । 2000 की बात है, तब एक मामले में उन्‍होंने आउट आफ द वे जा कर मेरी इतनी मदद की थी कि मैं सारी जिन्‍दगी उनका अहसानमंद रहूंगा। अगर वे न होती तो आज मैं निर्दोष होने के बाद भी जेल में बन्‍द होता । सिर्फ ये जान कर कि मैं सच्‍चा हूं जो अपनी नौकरी की परवाह किये बगैर मेरी मदद कर सकती हैं वो अगर आज ऐसी ह्रदयहीन हो गयी हैं तो जरूर इसके पीछे कोई बडी वजह होगी ।

    पुनीत निगम
    सम्‍पादक – खास बात मासिक एवं खबरदार शहरी साप्‍ताहिक
    कानपुर नगर । फोन नं0 – 9839067621

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