मधु कोड़ा से ज्यादा पैसे लेकर कम पैसे के बिल-बाउचर देने का शक : पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान मधु कोड़ा के चुनाव क्षेत्र में उनके चुनावी विज्ञापन और एडवरटोरियल को जमकर छापने वाले अखबारों को आयकर विभाग ने नोटिस जारी किया हुआ है. आयकर विभाग के इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो से जुड़े सूत्रों के मुताबिक झारखण्ड के तीन बड़े अखबारों के प्रबंधन को सम्मन भेजकर तलब किया गया है। इन अखबारों के नाम हैं- दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान तथा प्रभात खबर. आयकर विभाग को शक है कि इन अखबारों ने बीते लोकसभा चुनाव में मधु कोड़ा द्वारा खुद के पक्ष में छपवाये गए एडविटोरियल तथा विज्ञापन का भुगतान ज्यादा लिया है, बदले में रसीद और इनवायस कम पैसे की दी है.
यह तो सभी को पता है कि मधु कोड़ा लोकसभा चुनाव में सिंहभूम (अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट) से निर्दलीय प्रत्याशी थे. कोड़ा ने यहां से कांग्रेसी प्रत्याशी बागुन सुम्बरुई को 90 हजार वोटों से हराया था. पूरे चुनाव के दौरान स्थानीय बड़े अखबारों में कोड़ा के विज्ञापन और एडवरटोरियल छपते रहे. सूत्रों का कहना है कि मधु कोड़ा के लोगों ने स्थानीय तीनों बड़े अखबारों से 15-15 लाख तथा छोटे अखबारों से उनकी हैसियत के मुताबिक चुनाव भर एडविटोरियल छापने का सौदा किया. हिन्दुस्तान तथा प्रभात खबर ने एडवरटोरियल के साथ मार्केटिंग इनीशिएटिव प्रकाशित किया जबकि दैनिक जागरण ने कुछ नहीं लिखा. उसने कोड़ा की तारीफ के पुल में छपने वाले पेड आलेखों को खबरों की तरह प्रकाशित किया. जागरण ने कानूनी दांवपेंच से बचने के लिए आर्टिकल का फांट थोड़ा बदल दिया.
आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि एक गलती सभी ने की है और वह है लिए गए पैसे के मुकाबले कम पैसे का बिल देना. ज्ञात हो कि ज्यादा पैसा लेकर कम पैसे का रसीद देना भी आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है. आयकर विभाग के इनवेस्टीगेशन ब्यूरो ने इस संबंध में सभी अखबारों के कर्ताधर्ताओं को पांच फरवरी को तलब किया था. उनसे कहा गया था कि वे अपने साथ विज्ञापन, एडविटोरियल की प्रति तथा बिल व मनी रसीद भी लेकर आवें. पर तय तारीख व समय पर किसी भी अखबार का प्रतिनिधि इनकम टैक्स आफिस नहीं पहुंचा.
दैनिक जागरण और प्रभात खबर ने आयकर विभाग से जवाब देने के लिए 15 दिनों का समय मांगा है. हिंदुस्तान का न तो कोई मैनेजर पहुंचा और न ही किसी ने उसकी ओर से समय की मांग की है. आयकर विभाग का कहना है कि अखबार के वरिष्ठ प्रबंधकों को सच का खुलासा करना चाहिए. दरअसल, मधु कोड़ा के भ्रष्टाचार की जांच प्रक्रिया में उनके लोकसभा चुनाव के दौरान खर्च किए गए पैसों की भी जांच की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक इस मामले की निगरानी हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ज्ञानसुधा मिश्रा खुद कर रही हैं. ऐसे में जांच एजेंसियों पर दबाव बनाकर मामले का रफा-दफा करने का अखबार मालिकों का प्रयास भी काम नहीं आ सकता है.
प्रभात खबर प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि यह आयकर विभाग का रुटीन नोटिस है जिसमें हर चुनाव के बाद अखबारों से पूछा जाता है कि उन्होंने कितने विज्ञापन छापे और कितने पैसे लिए. उनके मुताबिक- प्रभात खबर ने कोड़ा समेत सभी प्रत्याशियों से विज्ञापन और एडवरटोरियल प्रकाशित करने के बदले जो पैसे लिए, उतने ही पैसे की रसीद उन्हें दी गई. सारे दस्तावेज मौजूद है. जो भी चाहे आकर देख सकता है. दस्तावेजों को आयकर विभाग को सौंप दिया गया है.
rajesh patel
February 13, 2010 at 12:41 pm
yah khabar byline me bhi chhapi hai. wastav me mdia ke logo se bhi puchhtachh honi hi chahiye.
mushi
February 13, 2010 at 1:10 pm
corruption ke mamle me media sab se aage nikal gaya hai. hahan sirf aadarshon ki baat hoti hai. baton se sant dikhne wale haqiqat me shaitn ke bhi baap hain. media ke coorrupt log hi to aajkal madhu koda jaise neta ke salahkar bane hue hain. agar corruption ko rokna hai to sab se pahle media ke bade bade naam ke gharon par cbi ko raid karna chahiye.
KALAMWALA-GUNDA
February 13, 2010 at 2:46 pm
2008 ME RAJASTHAN ME BHI ISI TARHA SE RAJ.PATRIKA OR BHASKAR NE BHI KHUB MAAL BATORA THA. BJP K KAI MINISTRO K LEKH ISI ANDAZ ME CHHAPE GAYE THE. PAY NEWS K NAM SE SE 20 DINO KA KARIB 5 LAKH MEHNTANA VASOOLA GAYA THA.
Rishi Naagar
February 13, 2010 at 5:00 pm
Hamaam me nange in akhbaaron ko ab kisi aise baalak ki darkaar hai jo saaf saaf inke mooh per kah sakay ke aap to nange hain!!! Shame on these papers!!!
pawan singh
February 16, 2010 at 6:12 am
natija kuch nahi niklega
tino akhbad ka koi kuch nahi ukhad payega