नागपुर में हिंदी के समाचार-विचार दैनिक ‘राष्ट्रप्रकाश‘ का लोकार्पण शनिवार को हो गया। नागपुर के वसंतराव देशपांडे सभागृह में आयोजित लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात पत्रकार व चिंतक कुलदीप नैयर ने की। उदघाटन एम.जे. अकबर ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में आशुतोष (प्रधान संपादक, आईबीएन-7), पुण्य प्रसून वाजपेयी (संपादक, जी न्यूज), आजाद समाचार चैनल के प्रधान संपादक अंबिकानंद सहाय और सिने कलाकार व राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा उपस्थित थे।
खबरों की दुनिया के दिग्गजों ने खबर-अखबार और देश-दुनिया पर गंभीर बहस ऐसी बहस छेड़ी, जो नागपुरवासियों के लिए यादगार बन गई। राष्ट्रप्रकाश के प्रधान संपादक एस एन विनोद ने आज के समय में नए कलेवर की अखबारियत की जरूरत बताई तो जी न्यूज के संपादक पुण्य प्रसून वाजपेयी ने पत्रकारिता के सरोकारों पर सवाल उठाया। आईबीएन-7 के प्रधान संपादक आशुतोष ने बदलाव की सार्थकता पर विचार प्रस्तुत किये। पत्रकारिता के स्तंभ एमजे अकबर ने हाशिये पर सिमटते सच की याद दिलाई। वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने आज के पत्रकारों से सही और गलत की सही पहचान करने में समर्थ रहने की अपील की। आजाद न्यूज चैनल के प्रधान संपादक अंबिकानंद सहाय ने मूल्यों पर टिके रहने का आग्रह किया। सिने कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा ने माहौल की गंभीरता को अपने चुटीले अंदाज से हल्का कर दिया। कुलदीप नैयर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में आजादी के बाद के दिनों की पत्रकारिता को याद किया। उन्होंने आज की नई पीढ़ी के पत्रकारों को याद दिलाया कि सही और गलत के बीच बड़ी बारीक-सी लकीर होती है और आप एक बार उसे पार कर जाएं तो सही गलत का अंतर ही मिट जाता है।
एम.जे. अकबर ने कहा कि खौफ और पत्रकारिता एक साथ नहीं चलती। ऐसा नहीं कि इस पेशे में गलती नहीं होती है, बस इसे कबूल करने की हिम्मत होनी चाहिए। गलती के साथ अगर गुरूर मिल जाए तो यह प्रवृत्ति पत्रकार की दुश्मन बन जाती है। हमारा काम लिखना नहीं, संचार है। अगर हमारा लिखा लोगों तक सही अर्थ में नहीं पहुंच रहा तो वह बेमायने है। मीडिया के अलग-अलग माध्यम एक दूसरे के समानांतर चलते हैं, न कि एक के आने से दूसरा खत्म हो जाता है। हमारे देश में खबरें हवा में चलती हैं। उन्होंने स्लमडॉग मिलेनियर फिल्म को ऑस्कर मिलने के संदर्भ में कहा कि भारत के लिए यह गर्व की बात है लेकिन यहां के साधन संपन्न लोग लॉस एजेंल्स जा कर ऑस्कर में भारत की गरीबी देखते हैं। मुंबई की धारावी उन्हें स्लॅमडॉग मिलेनियर फिल्म में ही नजर आती है, मुंबई में नहीं। स्लम के बच्चों को स्लम डॉग कहा, पर क्या केपिटलिस्ट डॉग ऑफ मलाबार हिल के नाम से यही फिल्म बन सकती है? गरीबी हमारे सामने है पर हमें नजर नहीं आती। पत्रकार का धर्म है कि वे इसे देखें।
पिछले 5 वर्षों में गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वाले लोगों की संख्या में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। सबसे अधिक भूखे लोगों की संख्या भारत में है। पत्रकारिता की बात ईमान की बात है। ‘राष्ट्रप्रकाश’ से उम्मीद है कि राष्ट्र के लिए प्रकाश की किरण बनेगा।
इसके पहले कार्यक्रम की प्रस्तावना करते हुए ‘राष्ट्रप्रकाश’ के प्रधान संपादक एस.एन. विनोद ने 20 वर्ष पूर्व लोकमत समाचार की शुरुआत को याद करते हुए कहा कि इस अवधि में पत्रकारिता जगत ने कितनी अंगड़ाइयां ली, इसका समय साक्षी है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के आने के बाद प्रिंट के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लगाए गए, लेकिन अखबार की दुनिया निरंतर विकास की ओर ही अग्रसर है। बस इलेक्ट्रानिक मीडिया से प्रतिस्पर्धा के दौर में विश्वसनीयता पर सवाल जरूर उठे। खबरों की भरमार में विचार कहीं पीछे छूटने लगे। टीवी से जुड़ी आज की पीढ़ी की ऊर्जा और सोच को सही दिशा देने के लिए विचार प्रक्रिया की जरूरत है। ऐसी परिस्थिति में एक ऐसे अखबार की आवश्यकता महसूस हुई जो खबर के साथ विचार प्रक्रिया को ठोस दिशा दे। साथ ही पाठकों की तमाम जिज्ञासाओं का समाधान भी करे।
‘राष्ट्रप्रकाश’ के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक प्रकाश पोहरे ने कहा कि आज खबर तो पाठकों तक पहुंच ही जाती हैं, पर खबर को तोड़-मरोड़ कर परोसा जाता है। अखबारों की दुनिया में एक नई क्रांति का आगाज खबरों की दुनिया के दिग्गजों के हाथ हो, जिन्हें आदर्श माना जाता है। राष्ट्रप्रकाश ऐसी खबरें पाठकों तक पहुंचाना चाहता है जो उन्हें सोचने-समझने और चिंतन मनन करने को मजबूर करे। जी न्यूज के संपादक पुण्य प्रसून वाजपेयी ने इस अवसर पर पत्रकारिता के सरोकारों की याद दिलाते हुए कहा कि यह सच है कि बदलाव हुए हैं पर यह देखना भी जरूरी है कि आज हम कहां खड़े हैं। उन्होंने कहा कि महराष्ट्र में 1988 के बाद 40 हजार किसानों ने आत्महत्या की है और 10 से 11 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार हुए। राज्य में दिखने वाली विकास की किरण अब धुंधली पड़ चुकी है। आज सवाल यह है कि विकास किसका हुआ है?
सवाल विचारों का नहीं सामाजिक सरोकार का है। आम लोगों में एक बार फिर से भरोसा कायम करने का है। आज मुठ्टी भर लोगों को ही भारत मान लिया गया है और उन्हें ही शाइनिंग इंडिया, यंग इंडिया कहा जा रहा है। मुश्किल की घड़ी में पत्रकारिता पर भी सवाल उठ रहे हैं, और सच हाशिये पर सिमटता जा रहा है।
आईबीएन-7 के प्रधान संपादक आशुतोष ने आज के दौर में व्यवसाय और पत्रकारिता में सामंजस्य की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि आज राजनीति से लेकर पत्रकारिता या समाज की स्थिति को बुरी नहीं बल्कि संक्रमण का एक दौर मानना चाहिए। पिछले कुछ समय में देश में बदलाव तेजी से हुए हैं। विकास के पहले संक्रमण और प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। बदलाव को समझना जरूरी है।
आजाद न्यूज चैनल के प्रधान संपादक अंबिकानंद सहाय ने कहा कि लक्ष्मी धन की नहीं, लक्ष्य की माता है और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता से ही सफलता मिलती है। ‘शॉटगन’ शत्रुघ्न सिन्हा ने नागपुर में फिल्म ‘दोस्त’ की शूटिंग के दौरान हुई रोचक घटना सुनाकर वैचारिकता में डूबे श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम के आरंभ में सभी अतिथियों का परंपरागत ढंग से पुष्पगुच्छ और स्मृतिचिन्ह देकर स्वागत किया गया। इसके बाद दीप प्रज्ज्वलित किए गए। कार्यक्रम का संचालन एस.पी. सिंह ने किया और आभार प्रकट किया राष्ट्रप्रकाश के संपादक (समन्वय) सुदर्शन चक्रधर ने। नागपुर की गायिका सुरभि ढोमणे की प्रस्तुति ‘वंदे मातरम्’ सराही गई। समारोह में उपस्थित लोगों को ‘राष्ट्रप्रकाश’ के अंक के साथ ‘की-चेन’ भेंटस्वरूप दी गई। लोकार्पण समारोह में नगर की विभिन्न क्षेत्रों की कई हस्तियां उपस्थित थीं। प्रमुख रूप से हितवाद के संपादक विजय फणशीकर, लोकमत के सलाहकार संपादक मेघनाद बोधनकर, हितवाद के राजेंद्र पुरोहित, अनूप पब्लिसिटी के नवल राठी, लोकमत के संचालक (परिचालन) अशोकबाबू जैन, दैनिक भास्कर के संपादक प्रकाश दुबे, वेकोलि के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक दिनेशचंद्र गर्ग, लोकमत के शहर संपादक बाल कुलकर्णी, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप मैत्र, एड. विनोद तिवारी, मनीष बिडवई, अनूप मरार, किरण धवड़, अनूप मरार, विक्रम पनकुले, उमाकांत अग्निहोत्री, डा. शांतिदास लुंगे, डॉ. वाघे सहित विभिन्न मान्यवर उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल पर आने वाले अतिथियों का स्वागत देशोन्नती के तकनीकी संचालक ऋषिकेश पोहरे, उमेश सापधारे, राजेश राजोरे, राजेंद्र कोरडे, प्रभाकर कोंडबत्तुनवार, शशिकुमार भगत, वेणुगोपाल, सुदर्शन चक्रधर, अरविंद शर्मा, विजेश दुबे, विकास झाड़े, राजेश्वर मिश्र, राजेंद्र देसाई, मिलिंद पाटनकर, वर्षा वैद्य, स्वाति हुद्दार, अनिल त्रिगुणायत, अश्विनी म्हारोलकर आदि ने किया.