मीडिया को गुलाम बनाने वाले प्रस्तावित काले कानून को रद्द करने की मांग को लेकर पत्रकारों ने आज देश भर में काला दिवस मनाया और विभिन्न तरीकों से विरोध का इजहार किया। दिल्ली में जंतर-मंतर पर सैकड़ों मीडियाकर्मी एकत्र हुए। सबने काली पट्टियां बांधी, धरना दिया, विचार रखे और नारेबाजी के साथ प्रस्तावित काले कानून की प्रतियां फूंकीं। हिंदी मीडिया की खबरों के नंबर वन पोर्टल भड़ास4मीडिया.कॉम ने विस्फोट.कॉम व तीसरा स्वाधीनता आंदोलन के साथ मिलकर ‘ब्लैक डे’ का आह्वान किया था।
जंतर-मंतर पर दोपहर बारह बजे से मीडियाकर्मी जुटने लगे। इनमें वरिष्ठ पत्रकारों से लेकर पत्रकारिता के छात्र भी शामिल हैं। सबने काली पट्टियां बांधी। विरोध पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान आयोजित सभा को वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार, अरविंद कुमार सिंह (चौथी दुनिया), गोपाल राय (तीसरा स्वाधीनता आंदोलन), संजय तिवारी (विस्फोट डॉट कॉम), चंदन प्रताप सिंह (टोटल टीवी), विकास मिश्रा (न्यूज24), प्रदीप महाजन (इंडियन न्यूजलाइन सर्विस), धीरेंद्र सिंह (हिंदुस्तान समाचार), गोविंद पासवान (आईएएनएस), बालाजी मिश्र (सुदर्शन टीवी), आशुतोष द्विवेदी (दैनिक हिंदुस्तान), मयंक सक्सेना (जी न्यूज), शोएब (ईटीवी), राकेश उपाध्याय (पांचजन्य), संजय मिश्र (द कंप्लीट विजन), रंजीत कुमार (यूनाइटेड भारत), अनुज मिश्रा (हर खबर), शिवकुमार (डेहरी एक्सप्रेस), रविशंकर (आज समाज), राकेश कुमार (पीसू इंडिया) अभय नंदन त्रिपाठी (छात्र), स्नेहा (छात्रा), दिव्या (छात्रा), विशाल (छात्र), मुरार कंडारी (छात्र), मोहित (छात्र), सचिन (छात्र) ने संबोधित किया। संचालन यशवंत सिंह (भड़ास4मीडिया) ने किया। कार्यक्रम के समाप्त होते-होते वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय भी पहुंचे और इस आंदोलन को अपना समर्थन देने का ऐलान किया। सभा में वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह का कहना था कि प्रेस का स्वतंत्र होना पत्रकारों के लिए ही नहीं बल्कि आम जनता के लिए भी जरूरी है। पत्रकारों ने मिलकर जब भी कोई लड़ाई लड़ी है तो उसे जीता है और इस लड़ाई को भी हम लोग जीतेंगे। अरविंद ने मीडियाकर्मियों से आत्म अनुशासन बनाए रखने का अनुरोध करते हुए कि मीडिया को भी आत्ममंथन करने की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का कहना था कि सरकार को लग रहा है कि मीडिया उसके लिए विरोध पैदा कर रही है, इसी वजह से वह ‘कंटेंट कोड’ के जरिये मीडिया का गला घोंट देना चाहती है। विकास मिश्रा ने सरकारी कंटेंट कोड के लागू होने से पैदा होने वाली भयावह स्थितियों का चित्रण करते हुए हर पत्रकार से इसके विरोध के लिए आगे आने का आह्वान किया। चंदन प्रताप सिंह के अऩुसार राजनेताओं को कुर्सी के लिए तमाम जतन करने होते हैं और यह भी उसी कोशिश का हिस्सा है। लेकिन मीडियाकर्मी अपने मूलभूत अधिकार के साथ कभी समझौता नहीं करते और इस बार भी नहीं करेंगे। गोपाल राय का कहना था कि आजादी की लड़ाई में जब कोई राजनीतिक संगठन नहीं हुआ करते थे तब पत्रकार ही देश को राह दिखाया करते थे और इन्हीं की बदौलत वैचारिक क्रांति पैदा हुई थी। अब एक बार फिर काले कानून के माध्यम से आजादी के इस खंभे को भी बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। संजय तिवारी ने कहा कि चीन की तर्ज पर भारत की सरकार भी अपनी मीडिया को रेगुलेट करना चाहती है। कानून बनाया जाता है व्यवस्था चलाने के लिए। दिशा-निर्देश के लिए कानून नहीं बनते। संजय ने मीडिया और सरकार के रिश्ते की बारीकियों को विस्तार से समझाया। उन्होंने पत्रकारों से अपनी लेखनी के जरिए व्यवस्था पर लगातार दबाव बनाए रखने की अपील की। यशवंत सिंह ने प्रधानमंत्री के बयान को नाकाफी बताया और प्रस्तावित काले कानून को पूरी तरह रद्द करने की मांग की।
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