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अखबारों को आदेश- भुगतान अब कर दो वरना होगी वसूली

अपर श्रमायुक्त का आदेश

बनारस में पत्रकारों और गैर-पत्रकारों को उनका हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन और काशी पत्रकार संघ को एक बड़ी सफलता मिली है। बनारस के अखबारों और यूनियन व संघ द्वारा दाखिल आपत्तियों, सूचियों व तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद श्रम विभाग के वाराणसी परिक्षेत्र के अपर श्रमायुक्त डीके कंचन ने 18 दिसंबर को तीन पन्नों का आदेश जारी किया है। शुरुआती दो पेजों में अखबारों और संघ व यूनियन की तरफ से दाखिल कागजात, तथ्यों व सूचियों का जिक्र है। आखिरी तीसरे पन्ने के आदेश में कहा गया है-

अपर श्रमायुक्त का आदेश

अपर श्रमायुक्त का आदेश

बनारस में पत्रकारों और गैर-पत्रकारों को उनका हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन और काशी पत्रकार संघ को एक बड़ी सफलता मिली है। बनारस के अखबारों और यूनियन व संघ द्वारा दाखिल आपत्तियों, सूचियों व तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद श्रम विभाग के वाराणसी परिक्षेत्र के अपर श्रमायुक्त डीके कंचन ने 18 दिसंबर को तीन पन्नों का आदेश जारी किया है। शुरुआती दो पेजों में अखबारों और संघ व यूनियन की तरफ से दाखिल कागजात, तथ्यों व सूचियों का जिक्र है। आखिरी तीसरे पन्ने के आदेश में कहा गया है-

”सभी पक्षों द्वारा प्रस्तुत कागजातों, सूची, विवरण को देखा गया एवं सभी पक्षों को सुना गया। कर्मचारी यूनियन की ओर से प्रस्तुत प्रतिष्ठानवार कर्मचारियों की सूची एवं अंतरिम राहत संबंधी विवरण पर सभी सेवायोजकों द्वारा प्रायः यही आपत्ति की गई कि कर्मचारियों की सूची गलत, भ्रामक और वास्तविकता के विपरीत है। सेवायोजकों और कर्मचारी यूनियन द्वारा प्रस्तुत कथनों के अनुसार मेसर्स अमर उजाला एवं मेसर्स हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा अंतरिम राहत का भुगतान किया जा रहा है, किंतु सभी कर्मचारियों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। इसी प्रकार मेसर्स दैनिक जागरण द्वारा प्रस्तुत कथनों एवं कर्मचारी यूनियन के कथनों के अनुसार अधिसूचना का पूर्ण प्रतिपालन नहीं किया जा रहा है। गांडीव समाचार पत्र प्रतिष्ठान द्वारा अधिसूचना का बिलकुल ही प्रतिपालन नहीं किया जा रहा है। अतः समाचार पत्र प्रतिष्ठानों के सेवायोजकों / प्रबंधकों को आदेशित किया जाता है कि वे अधिसूचना दिनांक 08-01-2008 से आच्छादित संपूर्ण कर्मचारियों को उनके मूल मजदूरी के तीस प्रतिशत की दर से अंतरिम राहत का भुगतान (वेतन पर्ची में स्पष्ट उल्लेख करते हुए) सुनिश्चित करें एवं साथ ही दिनांक 08-01-2008 से देय अवशेष का भुगतान इस आदेश की प्राप्ति के 15 दिन के अंदर करते हुए इस कार्यालय को अभिलेखों सहित अवगत कराएं अन्यथा सुसंगत नियमों के अधीन वसूली की कार्यवाही संपन्न की जाएगी।”

ज्ञात हो कि श्रम और रोजगार मंत्रालय, नई दिल्ली की अधिसूचना दिनांक 24 अक्टूबर 2008 के अनुसार पत्रकारों और गैर पत्रकारों के मूल मजदूरी में तीस प्रतिशत की दर से अनुमन्य अंतरिम राहत समाचार पत्र प्रतिष्ठानों के सेवायोजकों द्वारा लागू न किए जाने के कारण समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन, वाराणसी और काशी पत्रकार संघ, वाराणसी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने तीन महीने के अंदर नियमानुसार प्रकरण का निस्तारण करने का आदेश श्रम विभाग को दिया। श्रम विभाग ने अखबार के सेवायोजकों / प्रबंधकों और यूनियन व संघ के पदाधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकों के बाद अखबारों के मालिकों-मैनेजरों को निर्देश दिया था कि जिन-जिन को अंतरिम राहत से संबंधित भुगतान किया गया है उनकी सूची पेश की जाए। बनारस के अखबारों ने जब सूची पेश की तो यूनियन और संघ ने सूची में कई तरह की विसंगतियों की तरफ श्रम विभाग का ध्यान आकृष्ट किया। इस पर विभाग ने यूनियन और संघ को कहा कि वे अपनी तरफ से कर्मचारियों की सूची पेश करें। यूनियन और संघ ने जब सूची पेश की तो उस पर अखबारों ने कई तरह की आपत्तियां कीं। अब दोनों पक्षों को सुनने के बाद श्रम विभाग की तरफ से आदेश जारी किया गया है।

अपर श्रमायुक्त के आदेश पर समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन, वाराणसी के महासचिव एडवोकेट अजय मुखर्जी और काशी पत्रकार संघ, वाराणसी के अध्यक्ष योगेश गुप्ता ने खुशी जाहिर की है। इन दोनों ने कहा है कि अगर अखबारों ने इस आदेश के बाद भी अपने कर्मियों को भुगतान नहीं किया तो फिर से लड़ाई शुरू की जाएगी। 

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