दैनिक भास्कर एवं महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा के संयुक्त तत्वावधान में नागपुर में राजेन्द्र माथुर स्मृति में ‘आगामी कल की खबर’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोले रामबहादुर राय : वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘प्रथम प्रवक्ता’ पत्रिका के संपादक राम बहादुर राय ने प्रिंट मीडिया में 26 प्रतिशत विदेशी पूंजी के निवेश के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार द्वारा 25 जून 2002 को मुहर लगाने को देश के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष प्रेस के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया की 7 बड़ी कंपनियां देश की पूंजी एवं प्रेस को अपने कब्जे में करना चाहती हैं। हमें इस खतरे को समझना चाहिए। उन्होंने देश में अखबारों के भविष्य को उज्ज्वल बताते हुए कहा कि अभी भी हमारी 30 करोड़ जनसंख्या निरक्षर है। यह निरक्षर आबादी जब साक्षर बनेगी तो अखबार ही पढेगी। उन्होंने कहा कि अगले 40-50 सालों तक प्रिंट मीडिया के अस्तित्व के लिए देश में कोई खतरा नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश की 115 करोड़ की आबादी में 83 करोड़ों लोगों की प्रतिदिन की आमदनी अब भी 20 रुपये है। अर्जुन सेन गुप्ता की रिपोर्ट से यह सच्चाई सामने आई है। प्रेस को जनता से जुड़ी ऐसी खबरों को सामने लाना चाहिए। श्री राय ने कहा कि आज हमें अधूरा सच नहीं, बल्कि पूरा सच बताने वाले अखबारों की जरूरत है। उन्होंने बताया कि राजेन्द्र माथुर कहा करते थे कि पत्रकार का अंतिम मकसद केवल खबर नहीं होनी चाहिए उसमें संवेदनशीलता एवं मूल्यबोध होना भी जरूरी है।
रामबहादुर राय दैनिक भास्कर, नागपुर एवं महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राजेन्द्र माथुर स्मृति व्याख्यान के अंतर्गत शुक्रवार शाम नागपुर के उत्तर अंबाझरी मार्ग स्थित श्रीमंत बाबूराव धनवटे सभागृह में ‘आगामी कल की खबर’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग के तय मानकों का पालन नहीं किया। लोकतंत्र के हित में आयोग को इस विषय को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।
लोकसभा चुनाव की चर्चा करते हुए रामबहादुर राय ने कहा कि चुनाव आयोग यदि उम्मीदवारों के लिए तय की गई चुनावी खर्च सीमा को आधार बनाते हुए लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा किए गए कुल चुनावी खर्चे की जांच करे, तो नई लोकसभा के सैकड़ों ऐसे सांसद मिलेंगे जिन्होंने लोकसभा चुनाव में आयोग द्वारा तय की गई अधिकतम चुनावी खर्च से काफी अधिक रुपए प्रचार में खर्च किए एवं चुनाव आयोग को अपने चुनावी खर्च का झूठा ब्योरा सौंपा। तय सीमा से अधिक खर्च का मामला साबित होते ही चुनाव आयोग इन सभी सांसदों को अयोग्य करार दे सकता है। सांसदों द्वारा संपत्ति का झूठा हलफनामा तथा तय सीमा से अधिक चुनावी खर्च के संबंध में देश के कई जागरूक पत्रकारों एवं समाजसेवियों ने भारतीय प्रेस काउंसिल एवं चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज करा रखी है।
इसके पूर्व प्रो. असित सिन्हा ने पुष्पगुच्छ भेंट कर रामबहादुर राय का सत्कार किया। दैनिक भास्कर के संपादक प्रकाश दुबे ने कार्यक्रम की प्रस्ताविका रखी। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. वनमाला ने पत्रकारिता में सच्चाई, पारदर्शिता एवं विकासमूलक दृष्टिकोण की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि महिलाओं तक अब भी अखबारों की पर्याप्त पैठ नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले की पत्रकारिता का एक मिशन होती थी पर आज उसका स्वरूप बदल रहा है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रतिनाथ मिश्रा के 75 वर्ष पूरा होने पर शाल-श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर प्रसिद्ध पर्यावरणविद् गिरीश गांधी ने उनका सत्कार किया।
कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र परिहार ने किया। आभार प्रदर्शन गिरीश गांधी ने किया।
कार्यक्रम में डॉ. गोविंद उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार उमेश चौबे, वरिष्ठ पत्रकार जोसफ राव, ब्रिगेडियर रूप जैस, डॉ. सागर खादीवाला, डॉ. प्रमोद शर्मा, हरीश अड्यालकर, एसपी सिंह, प्रकाश गोविंदवार, डॉ. ओमप्रकाश मिश्रा समेत बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।
नरेंद्र देव और अवधूत भगवान राम को अपने से बड़ा मानते थे चंद्रशेखर
रामबहादुर राय देश के उन कुछ चुनिंदा पत्रकारों में से हैं, जिन्होंने अपनी तीन दशक की पत्रकारिता में सिद्धांत, सच एवं सरोकारों से कभी समझौता नहीं किया। शुक्रवार को दैनिक भास्कर कार्यालय में भास्कर के संपादकीय विभाग के सदस्यों के साथ अनौपचारिक चर्चा में उन्होंने अपने तथा अपने से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों से संबंधित कई बातें बताई। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर केवल आचार्य नरेंद्र देव व वाराणसी के संत अवधूत भगवान राम को अपने से बड़ा मानते थे। उन्होंने बताया कि चंद्रशेखर तैयार होने में काफी समय लगाते थे। आमतौर पर चंद्रशेखर को तैयार होने में ढाई-तीन घंटे का समय लग जाता था।
श्री राय ने आज के दौर में खोजी पत्रकारिता की आवश्यकता बताते हुए कहा कि विदेशों में इस पर काफी जोर रहता है। उन्होंने अमेरिका के शिकागो शहर की एक घटना का हवाला देते हुए बताया कि कस प्रकार एक अमेरिकी पत्रकार ने वहां की निजी एंबुलेंसों की खराब हालत की सच्चाई लोगों के सामने लाई थी। उन्होंने बताया कि सक्रिय पत्रकारिता में आने के बाद भी उन्हें कई बार लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा गया मगर हर बार उन्होंने विनम्रता से इंकार कर दिया। चुनाव लड़ने का ज्यादा दबाव बढ़ने पर झोला उठाकर कुछ महीने के लिए हरिद्वार निकल पड़े। जनसत्ता में प्रमाष जोशी और नवभारत टाइम्स में राजेंद्र माथुर जैसे दिग्गज संपादकों के साथ काम कर चुके रामबहादुर राय ने अपने छात्र राजनीतिक जीवन से लेकर पत्रकारिता जगत से जुड़े कई रोचक प्रसंग भास्कर के संपादकीय सहयोगियों के साथ बांटा।