एक स्ट्रिंगर की चिट्ठी : भड़ास4मीडिया से स्ट्रिंगरों को न्याय दिलाने की अपील : यशवन्त जी, आप देश के महान पत्रकारों व मीडिया परिवार की खबरों को तो मसाला लगाकर परोसते हैं, आपने अपने पोर्टल के माध्यम से अभियान चलाकर बडे़ बडे़ लोगों को न्याय दिला डाला लेकिन कभी आपकी कलम टीवी चैनलों के स्ट्रिंगरों को न्याय दिलाने के लिये क्यो नहीं चलती? क्या आपको मीडिया के अजगरों से डर लगता है? आपने भी स्ट्रिंगर जैसे पद पर रहते हुए कभी तो काम किया होगा तो फिर देरी किस बात की? आप जैसे लोग ही स्ट्रिंगर को न्याय दिला सकते हैं। टीवी चैनलों को चलाने वाले स्ट्रिंगरों का कब तक शोषण करते रहेंगे? आपके पोर्टल पर प्रतिदिन किसी न किसी स्ट्रिंगर के खिलाफ दलाली-लूट की खबर छपती रहती है। क्या आपने ये जानने की कोशिश की कि स्ट्रिंगर को दलाल व लुटेरा बनाने वाला उसका ही चैनल होता है। बड़े न्यूज चैनल स्ट्रिंगर को कोई पहचान पत्र नहीं देते जिससे वह मुसीबत में पड़ने पर अपनी पहचान साबित कर सके।
ऐसे मौके पर चैनल यह कह कर हाथ खड़े कर देते हैं कि वह स्ट्रिंगर उनका नहीं है। उसको तो पहले ही निकाला जा चुका है। वे ऐसा इसलिए कह पाते हैं क्योंकि स्ट्रिंगर को चैनल कभी कोई पहचान पत्र नहीं देता जिसे सबूत के बतौर दिखाया जा सके। चैनल के हाथ, पैर, आंख, कान, नाक और जान बना हुआ स्ट्रिंगर आपके पोर्टल पर दलाल और लुटेरा बन जाता है। अब अगर स्ट्रिंगर दलाल और लुटेरा है तो उससे खबर लेने वाले बडे़ अजगर सबसे बडे़ दलाल और लुटेरे हैं जो स्ट्रिंगर के हक पर डाका डालते हैं और अपनी कुर्सी को मजबूत किये रहते हैं। यशवन्त जी, उन अजगरों को अपने पोर्टल के माध्यम से सदबुद्धि दीजिये और स्टिगरों को न्याय दिलाने के अभियान में सहयोग करिये। अगर आप इस अभियान में सफल रहे तो कभी आपको अपने पोर्टल पर किसी स्ट्रिंगर को दलाल और लुटेरा शब्द से नवाजना नहीं पड़ेगा। यशवन्त जी, मेरा नाम न दीजियेगा। कुछ गलत लिखा हो तो क्षमा कीजियेगा।
-एक स्ट्रिंगर
एक स्ट्रिंगर भाई
आपके पत्र को पढ़ा। पहले तो मैं यह बताना चाहता हूं कि भड़ास4मीडिया इरादतन स्ट्रिंगरों को कभी भी बदनाम करने की कोशिश नहीं करता। जब कोई घटना घटित हो जाती है तो हम उसकी सूचना और जानकारी पोर्टल पर प्रकाशित करती है। जहां तक भड़ास4मीडिया के स्टैंड का सवाल है तो हम लोग बिलकुल वही मानते हैं जो आपने कहा है कि स्ट्रिंगर को न्यूज चैनलों की रीढ़, आंख, नाक, कान और जुबान होते हैं। स्ट्रिंगर जितनी मेहनत करता है, जिस तरह से जान जोखिम में डालकर खबर निकालता है, वह और कोई पत्रकार नहीं करता। जिन छोटी जगहों पर स्ट्रिंगर काम करते हैं, वहां लोग तुरंत भला या बुरा मान लेते हैं और स्ट्रिंगर को धमकाने लगते हैं। भड़ास4मीडिया ने समय-समय पर स्ट्रिंगरों की आवाज को प्रमुखता से उठाने की कोशिश की है। लगता है, आप उन खबरों को नहीं पढ़ पाते। अगर उन्हें पढ़े होते तो आप ये आरोप नहीं लगाते। जो भी स्ट्रिंगर कहीं अच्छा काम कर रहा है, उसकी सूचना और उसके व्यक्तित्व के बारे में भी हम प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं। मैं नीचे कुछ लिंक दे रहा हूं, इन्हें आप पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि भड़ास4मीडिया ने स्ट्रिंगरों के हित में क्या-क्या लिखा है-
ये तो एक बानगी भर है, जो अभी मैं तुरंत सर्च करके खोज पाया हूं। मुझे याद है, पिछले साल देश भर में फैले कई चैनलों के स्ट्रिंगरों को कई महीनों से भुगतान नहीं मिला था। इनकी दुख-दर्द को जब भड़ास4मीडिया ने प्रकाशित करना शुरू किया तो कई चनलों ने अपने स्ट्रिंगरों को कुछ महीने का भुगतान कर दिया।
दोस्त, कोशिश तो यही है कि हम मीडिया के उन लोगों की आवाज उठाते रहें जो हमेशा दबे-कुचले रहते हैं, उत्पीड़न व शोषण के शिकार रहते हैं पर इसमें एक समस्या आड़े आती है किसी का भी खुलकर सामने न आ पाना। आपने भी अनुरोध किया है कि आपका नाम न प्रकाशित किया जाए। अगर आप जैसे लोग अपनी लड़ाई लड़ने खुद आगे नहीं आएंगे तो कोई यशवंत या कोई भड़ास4मीडिया या कोई और कब तक अपने कंधे पर आपको बंदूक रखने की इजाजत देता रहेगा। यह तो ठीक नहीं कि आपकी लड़ाई लड़ते हुए मैं शहीद हो जाऊं और आप सामने तक न आएं।
कुछ गलत कह दिया हो तो क्षमा करिएगा।
आभार के साथ
यशवंत