एकजुट हुए बस्तर के पत्रकार : ‘संवेदनशील क्षेत्र में मीडिया’ विषय पर पत्रकारों की संभागीय कार्यशाला आज 11 अक्टूबर को नया बस स्टैंड रोड स्थित डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी सभागार (टाऊन हॉल), जगदलपुर में आयोजित हुई। इस कार्यशाला में बस्तर संभाग के जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर जिले के पत्रकार शामिल हुए। 4 घंटे तक चली बैठक के अंत में एक प्रस्ताव पारित किया गया। बाद में केंद्रीय गृहमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन तैयार किया गया। इस दौरान ग्रामीण अंचल के पत्रकारों ने अपने कर्तव्य निर्वहन में आ रही दिक्कतों का विस्तार से जिक्र किया।
बस्तर संवेदनशील क्षेत्र है। यहां व्याप्त नक्सली समस्या के मद्देनजर खबरें अंतर्राज्यीय, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी महत्वपूर्ण होती हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यहां के मीडियाकर्मी अपने दायित्व का निर्वहन करते रहे हैं। आने वाले समय में बस्तर की परिस्थितियां पुन: बदलेंगी, ऐसे आसार दिख रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा नक्सलवाद को राष्ट्रीय समस्या मानने के बाद छत्तीसगढ़ में एंटी नक्सल ऑपरेशन को लेकर रणनीति बनाई जा रही है। ऐसी कठिन परिस्थितियों में मीडिया अपनी सजग भूमिका का निर्वहन कर सके, इस बाबत् कार्यशाला में एकत्रित पत्रकारों ने विचार-मंथन किया।
संवेदनशील बस्तर की वर्तमान कठिन परिस्थितियों में नक्सली खबरों के प्रकाशन एवं प्रसारण को लेकर पुलिस द्वारा पत्रकारों पर जो अनावश्यक दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है, यह सरासर गलत है। बस्तर संभाग के पत्रकारों ने पुलिस के इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा की। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है तथा इसे समाज का आइना भी कहा जाता है। बस्तर, राज्य का अविकसित आदिवासी अंचल है, यहां के सर्वांगीण विकास में मीडिया की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। बस्तर का मीडिया आदिकाल से स्वतंत्र व निष्पक्ष भूमिका निभाता रहा है। अब तक हुए बस्तर के विकास में मीडिया की सार्थक भूमिका भी रही है और आगे भी मीडिया अपनी इसी भूमिका का निर्वहन करता रहेगा। संवेदनशील मसलों पर राष्ट्रहित व जनहित को ध्यान में रखकर मीडिया अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने को संकल्पित है।
कार्यशाला में मौजूद पत्रकारों ने तय किया कि खबरों के प्रसारण व प्रकाशन पर बाहरी दबाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है। सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम, महामहिम राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन और राज्य सरकार के मुखिया डा. रमन सिंह को पत्र भेजकर यह मांग की जाएगी कि पत्रकारों के खिलाफ किसी भी शिकायत की जांच के लिए पुलिस एवं पत्रकारों की समन्वय समिति का गठन किया जाए, जिसमें बस्तर के वरिष्ठ पत्रकारों को भी शामिल किया जाए। समन्वय समिति में शामिल पुलिस अफसर आईपीएस स्तर का ही होना चाहिए।
पत्रकारों द्वारा कार्यशाला के बाद जो ज्ञापन तैयार किया गया, वह इस प्रकार है…
प्रति,
1. माननीय श्री पी. चिदंबरम, गृहमंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली
2. माननीय श्री ईएसएल नरसिम्हन, महामहिम राज्यपाल, छत्तीसगढ़
3. माननीय डा. रमन सिंह, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन
विषय- संवेदनशील बस्तर संभाग के मीडिया कर्मियों की सुरक्षा के संबंध में।
महोदय,
उपरोक्त विषयांतर्गत विदित हो कि बस्तर की मीडिया दायित्वों का सजगता से निर्वहन करती आई है। लेकिन कालांतर में नक्सली समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। पुलिस और नक्सलियों के बीच लगातार संघर्ष जारी है। जनता के साथ-साथ मीडिया भी अब दोनों के बीच पिस रही है। तमाम कठिनाइयों और जोखिम के बावजूद बस्तर संभाग की मीडिया ने अब तक निष्पक्षता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है।
लेकिन पिछले कुछ समय से क्षेत्र में चल रहे पुलिस के एंटी नक्सली ऑपरेशन ने मीडिया की परेशानी बढ़ा दी है। पुलिस गोपनीयता का हवाला देकर समय पर सच्चाई बताती नहीं है। सूत्रों से मिली जानकारी के प्रकाशन और प्रसारण के बाद पुलिस और नक्सली दोनों एक-दूसरे के दावों को खारिज कर खुद के बयान को सही बताते हैं। आलम यह है कि इसी होड़ में पुलिस अब मीडिया पर अनावश्यक दबाव बना रही है, जो कि भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है। ऐसे में बस्तर संभाग में समाचार संकलन करने वाले मीडिया कर्मियों की सुरक्षा का सवाल सामने आया है। क्योंकि अभी हाल ही में बस्तर पुलिस अधीक्षक और दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक ने समाचारों को लेकर मीडिया कर्मियों को अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नोटिस दी और दबाव बनाने की कोशिश की। पुलिस के इस कृत्य से कानूनसम्मत खबरों के प्रकाशन और प्रसारण की आजादी पर गहरा आघात पहुंचा है।
पुलिस द्वारा अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मीडिया पर दबाव बनाने के इस कृत्य की बस्तर संभाग के पांचों जिले दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर और जगदलपुर के समस्त मीडिया कर्मियों ने संभागीय बैठक में घोर निंदा और कड़ा प्रतिरोध किया है। बस्तर का मीडिया जगत विकास और शांति के प्रयासों के लिए हमेशा ही सकारात्मक भूमिका निभाता रहा है और आगे भी अपने दायित्वों के प्रति सजग रहेगा। लेकिन पुलिस द्वारा अकारण मीडिया कर्मियों पर दबाव बनाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना आवश्यक है।
बस्तर की मीडिया आपसे अपेक्षा करती है कि पूरे मसले पर हस्तक्षेप कर बस्तर की सजग और सकारात्मक मीडिया की स्वतंत्रता पर हो रहे कुठाराघात को रोकें।
सहयोग की आकांक्षा के साथ धन्यवाद,
बस्तर जिला पत्रकार संघ