क्राइम रिपोर्टर्स और पुलिस में बेहतर समन्वय जरूरी : समाज हित में पुलिस और क्राइम रिपोटर्स के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए। अगर रिपोर्टर्स को घटनाओं की तथ्यात्मक जानकारी समय पर मिले और रिपोर्टर्स भी घटना के बाद पुलिस की दायित्वगत विवशताओं को समझते हुए सामंजस्य से अपने काम को अंजाम दें तो इससे तथ्यात्मक-सही खबरें जनता तक पहुंच सकेंगी। यह निष्कर्ष भोपाल में राज्य के जनसंपर्क संचालनालय द्वारा क्राइम रिपोर्टिंग विषय पर आयोजित एक कार्यशाला में सामने आया।
इस कार्यशाला में क्राइम बीट के पत्रकारों-पुलिस अधिकारियों ने भाग लिए। इस परस्पर संवाद में जनसंपर्क आयुक्त मनोज श्रीवास्तव, भोपाल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक डा. शैलेन्द्र श्रीवास्तव, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आदर्श कटियार, पुलिस अधीक्षक योगेश चौधरी तथा अपर संचालक जनसंपर्क आर.एम.पी.सिंह खास तौर पर उपस्थित थे। आयुक्त जनसंपर्क मनोज श्रीवास्तव का कहना था कि क्राइम रिपोर्ट बहुत बड़े जनमत को प्रभावित करती है। आज के समय में क्राइम रिपोर्टर की अपनी समस्याएं है। रिपोटर्स को घटना स्थल से अलग रखा जाता है, अतज् उन्हें सूत्रों पर निर्भर रहना पड़ता है। पुलिस और मीडिया एक दूसरे के पूरक हैं और उन्हें अपनी इसी भूमिका को अधिक मजबूत बनाने की जरूरत हैं।
क्राइम रिपोर्टर शम्सुर्रहमान ने रिपोर्टिंग में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों पर प्रकाश डाला और कहा कि भोपाल पुलिस और रिपोर्टर के बीच उपयुक्त संवाद की कमी एक बड़ी समस्या है। बड़ी घटना की स्थिति में पुलिस को मीडिया के लिए छोटी सी ब्रीफिंग रख देनी चाहिए। क्राइम रिपोटर्स अपने सामाजिक दायित्व के प्रति पूरी तरह सजग हैं। लेçकन पुलिस नियन्त्रण कक्ष में प्रशिक्षित जनसंपर्क अधिकारी की जरूरत है।
वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिरोठिया ने कहा कि पुलिस और पत्रकारों के बीच बेहतर और सुस्पष्ट संवाद होना चाहिए। दोनों का उद्देश्य जनकल्याण है। वरिष्ठ पत्रकार मृगेन्द्र सिंह ने चिन्ता जताई कि टेक्नालॉजी के विकास से व्यक्तिगत सम्बंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। इससे उपयुक्त संवाद में भी कमी आयी है। पत्रकारों को घटना स्थल पर जाकर ही रिपोर्टिंग करनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार प्रशान्त जैन ने कहा कि क्राइम रिपोर्टर्स को सही जानकारी निकालने में बहुत कठिनाई होती है। हालांकि अपराध होने पर पुलिस की प्राथमिकता अपराधी को पकड़ने और स्थिति को नियन्त्रित करने की होती है, लेकिन कुछ समय निकाल कर मीडिया को ब्रीफ करना हर लिहाज से उचित होगा। जानकारी का प्रवाह सुगम होना चाहिए।
पुलिस महानिरीक्षक डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने कार्यशाला के आयोजन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर पुलिसकर्मियों से जानकारी प्राप्त करने में पत्रकारों को दिक्कतें होती हैं। साथ ही पुलिस की अपनी परेशानियां हैं। कार्यशाला का आयोजन दोनों में बेहतर समन्वय के उद्देश्य से किया गया है। डॉ.श्रीवास्तव तथा श्री कटियार ने पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर दिये और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। उप संचालक जनसंपर्क ध्रुव शुक्ला ने कार्यशाला का संचालन किया।
Abhilash Tiwari
January 22, 2010 at 8:16 am
It’s true that police has already a lots of problem but it’s a fact that police must co-operate with crime reporters.
dharmendra kumar sharma
January 22, 2010 at 1:02 pm
अब इस तरह से अपराध पर अंकुश लगाने की कवायद शुरू हुई है ?
purushottam kumar singh
January 26, 2010 at 4:47 am
kai baar crime reporter police ko target karne ya breaking dene ke chakar main wrong track par chal parten hain,halaki ye news chanels main hi jyada hota,police ke taraf se briefing ki baat janha tak hai to mujhe lagta hai bihar ke ex adg [hdq] ab dg home guard Mr Nilmani ki tarah crime reporters ko brief karne wale officer ki jarurat her state ko hai,taki khaboron main confusan na rahe