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पत्रकारिता या दलालीकारिता

चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया का जो स्वरूप अब देखने को मिलता है उससे लगता है अब ये पेशा सिर्फ उन लोगों के लिये है जो कम पढ़े लिखे हैं और उनको कोई अन्य काम नहीं मिलता. ऐसे लोगों का सोचना ये है कि किसी तरह से पत्रकार बन जाओ, फिर जेब गर्म ही गर्म. दिल्ली और नोएडा से प्रसारित होने वाले ज्यादातर न्यूज चैनल्स में सेलरी पर कार्य करने वाले रिपोर्टर्स को छोड़ कर जिले स्तर पर काम वाले जितने भी स्ट्रिंगर रखे जाते हैं, ज्यादातर की न तो कोई शैक्षिक योग्यता होती है और ना ही उन्हें पत्रकारिता का कोई अनुभव होता है.

<p style="text-align: justify;">चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया का जो स्वरूप अब देखने को मिलता है उससे लगता है अब ये पेशा सिर्फ उन लोगों के लिये है जो कम पढ़े लिखे हैं और उनको कोई अन्य काम नहीं मिलता. ऐसे लोगों का सोचना ये है कि किसी तरह से पत्रकार बन जाओ, फिर जेब गर्म ही गर्म. दिल्ली और नोएडा से प्रसारित होने वाले ज्यादातर न्यूज चैनल्स में सेलरी पर कार्य करने वाले रिपोर्टर्स को छोड़ कर जिले स्तर पर काम वाले जितने भी स्ट्रिंगर रखे जाते हैं, ज्यादातर की न तो कोई शैक्षिक योग्यता होती है और ना ही उन्हें पत्रकारिता का कोई अनुभव होता है.</p>

चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया का जो स्वरूप अब देखने को मिलता है उससे लगता है अब ये पेशा सिर्फ उन लोगों के लिये है जो कम पढ़े लिखे हैं और उनको कोई अन्य काम नहीं मिलता. ऐसे लोगों का सोचना ये है कि किसी तरह से पत्रकार बन जाओ, फिर जेब गर्म ही गर्म. दिल्ली और नोएडा से प्रसारित होने वाले ज्यादातर न्यूज चैनल्स में सेलरी पर कार्य करने वाले रिपोर्टर्स को छोड़ कर जिले स्तर पर काम वाले जितने भी स्ट्रिंगर रखे जाते हैं, ज्यादातर की न तो कोई शैक्षिक योग्यता होती है और ना ही उन्हें पत्रकारिता का कोई अनुभव होता है.

जिले स्तर पर कार्य करने वाले स्ट्रिंगरों द्वारा क्या-क्या होता है, ये किसी से छुपा हुआ नहीं है. जिस भी चैनल में जो स्ट्रिंगर होता है, वो अपने आप को चैनल हैड से कमतर नापने को तैयार नहीं है. वो कम से कम दो कैमरामैन अपने साथ रखता है. दलाली इनका मुख्य पेशा होता है. इसी से ये अपने कैमरामैन की सेलरी निकालते हैं. इसी से ही चलती है इनकी एशो-आराम की दुकान. खबर से इनका कोई लेना-देना नहीं हो़ता. खबर क्या होती है, इसकी इन्हें कोई जानकारी भी नहीं है. अखबार देख कर ये सभी खबर करते हैं.  स्क्रिप्ट लिखना तो इनके लिये बहुत दूर की बात होती है.

बिना पढ़े-लिखे इन लोगों को जब कोई काम नहीं मिलता तो इन्हें टीवी की पत्रकारिता नजर आती है. ये कहीं ना कहीं से जोड़ तोड़ करके नए लांच होने वाले न्यूज चैनलों के पत्रकार बन जाते हैं. कायदे से देखा जाए तो इनके हाथ लगने वाली चैनल आईडी कोई तमाशा करने वाली छड़ी नहीं होती. ये होता है वो हथियार जो जनता की आवाज को बुलंद करता है, समाज में पनप रही गंदगी को उजागर करता है. परंतु दलाल पत्रकारों के लिए ये जरिया है उन लोगों तक पहुंचने का जहां से ये वसूली कर सकें ताकि इनकी दलाली की दुकान पनपती-फलती-फूलती रहे.

ये लोग खबर लेने के नाम पर नेताओं और आधिकारियों के दरवाजे पर रोजाना दस्तक देते देखे जा सकते हैं. अधिकारी-नेता अपनी बचाने और अपनी कमी उजागर होने से रोकने के लिए इन पत्रकारों का सेवा पानी कर दिया करते हैं. इन पत्रकारों को अगर कोई ऐसा मामला हाथ लग जाये जिससे सामने वाले को गर्दन फसती नजर आ रही हो फिर तो इनको मानो कुबेर का खजाना मिल गया हो. उससे सौदेबाजी बड़े स्तर की होती है. अगर किसी मामले में ये खुद भी फंसते नजर आने लगे तो ये खबर दूसरे एंगिल से पेश करने में भी माहिर होते हैं. पत्रकारिता के इस बिगड़ते स्वरूप से जनता का विश्वास मीडिया से उठता जा रहा है. कई बार लगता है कि कहा जाए कि ये पत्रकारिता नहीं, दलालीकारिता है.

एक पत्रकार साथी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. उन्होंने अपना नाम न पब्लिश करने का अनुरोध किया है.

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0 Comments

  1. ruby

    June 24, 2010 at 9:15 am

    ye bahut hi hasayaspad hai ki patrkarita me baar baar dalali ka prash uthta hai.yaha kaun dalal nai hai.kuch hai to unme adhiktar aise hai jinko beimani ka mauka nai mila. to fir kaisi imandarri ki bate.har shakh par ullu baithe hai anjame gulista kya hoga.

  2. KUMAR SAUVIR

    June 24, 2010 at 9:26 am

    aisa hargiz nahi hae. balki mae to kahoonga ki lekh se sabhi ko ek hi gande chashe se dekhne ki sochi-samjhi sajish hae.
    ha. ye kuchh sansthano par to laagoo ho sakta hae, lekin sabhi par nahi. lucknow me kuchh bureau chief aise hae jo khud hi ID bechte hae. aise me agar unke neeche wale uski bharpai bhi karte hae.
    lekin mae apne sansthaan ke baare me dawe ke saath kah sakta hu ki yahaa ek bhi stringer aisa nahi jis par ungli uthai ja sake. jin ke baare me shikayat mili aur jaanch me doshi pae gae unko fauran hata diya gaya.
    kuchh bhi ho, sare strigers par yeh aarop lagana anuchit hi nahi, unka apmaan karna aur unhe hatotsaahit karna bhi hae. mae iski ninda karta hu.
    Kumar Sauvir
    Bureau Chief
    Mahuaa News

  3. sushil Gangwar

    June 24, 2010 at 9:41 am

    फर्जी पत्रकार —————

    पत्रकारिता का मीठा जहर रगों में चला जाये तो अनपढ़ लोग भी पत्रकार बन जाते है । आप लोगो को याद होगा ,मैंने अपने गाँव के फर्जी रिपोर्टर छिदू मामा की कहानी सुनाई थी । पत्रकारिता में फर्जी पत्रकारों को फौज खड़ी हो चुकी है । ऐसे पत्रकारों पर लगाम कैसे लगे, यह तो भारत सरकार की समझ से बाहर है । हर जिले – तहसील में टीवी और प्रिंट पत्रकार बसूली करते घूम रहे है । हर टीवी चेंनल और अखबार अपने रिपोर्टर आल इंडिया स्तर पर बनाते है । यह दुकाने गली कूचो में खुलने लगी है । फर्जी पत्रकार अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर फर्जी रिपोर्टर एडिटर बनाकर मोटी कमाई कर रहे है। यह लोग फर्जी पत्रकारों को पैसा उघाने की तालीम देकर स्टिंग करवाने से नहीं चूकते है। पत्रकार अपनी न्यूज़ साईट खोल कर स्टिंग करने का धंधा डेल्ही N . C. R में पैसा कमाने लिए कर रहे है । इनकी पदाई आठवी तक है परन्तु भेष बदलने में माहिर है । इनके बात करने का ढंग बेहद कुशल -शातिर होता है । यह अपने आपको किसी बड़े पत्रकार से कम नहीं समझते है। कभी कभी मंत्री का नाम लेकर लोगो को चूना लगाने से बाज नहीं आते है । ऐसे पत्रकार साल एक दो बार तिहाड़ जेल की यात्रा कर लेते है । आपको फर्जी पत्रकारों से बचकर रहना होगा ।
    http://www.sakshatkar.com
    http://www.sakshatkar-tv.blogspot.com

  4. sushil Gangwar

    June 24, 2010 at 9:42 am

    फर्जी पत्रकार
    पत्रकारिता का मीठा जहर रगों में चला जाये तो अनपढ़ लोग भी पत्रकार बन जाते है । आप लोगो को याद होगा ,मैंने अपने गाँव के फर्जी रिपोर्टर छिदू मामा की कहानी सुनाई थी । पत्रकारिता में फर्जी पत्रकारों को फौज खड़ी हो चुकी है । ऐसे पत्रकारों पर लगाम कैसे लगे, यह तो भारत सरकार की समझ से बाहर है । हर जिले – तहसील में टीवी और प्रिंट पत्रकार बसूली करते घूम रहे है । हर टीवी चेंनल और अखबार अपने रिपोर्टर आल इंडिया स्तर पर बनाते है । यह दुकाने गली कूचो में खुलने लगी है । फर्जी पत्रकार अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर फर्जी रिपोर्टर एडिटर बनाकर मोटी कमाई कर रहे है। यह लोग फर्जी पत्रकारों को पैसा उघाने की तालीम देकर स्टिंग करवाने से नहीं चूकते है। पत्रकार अपनी न्यूज़ साईट खोल कर स्टिंग करने का धंधा डेल्ही N . C. R में पैसा कमाने लिए कर रहे है । इनकी पदाई आठवी तक है परन्तु भेष बदलने में माहिर है । इनके बात करने का ढंग बेहद कुशल -शातिर होता है । यह अपने आपको किसी बड़े पत्रकार से कम नहीं समझते है। कभी कभी मंत्री का नाम लेकर लोगो को चूना लगाने से बाज नहीं आते है । ऐसे पत्रकार साल एक दो बार तिहाड़ जेल की यात्रा कर लेते है । आपको फर्जी पत्रकारों से बचकर रहना होगा ।
    http://www.sakshakar.com
    http://www.sakshatkar-tv.blogspot.com

  5. Pankaj Dixit

    June 24, 2010 at 9:43 am

    बड़ी बड़ी बक… करना बड़ा आसान है निभाना उतना ही कठिन| जिस किसी ने भी ये लेख लिखा है यशवंत जी पूरे स्ट्रिंगर समाज को गाली दे गया और आप है कि उसे बिना नाम पते के सुर्खियाँ बना गए| ये सताया हुआ पत्रकार है या तमतमाया हुआ| भीड़ में खोया हुआ होगा या फिर अपनी पहचान बनाने में असफल| बरना पूरी बिरादरी को गाली नहीं देता|
    अगर स्ट्रिंगर की दलाली पर इतना ही दुःख है तो उपाय बताओ बच्चा. कैमरा मेन रखने के पैसे अपने बाप से भिजवाओ तब जाने असल चेहरा तुम्हारा| मुझे तुम्हारे लेख पर कतई दुःख नहीं है तुम्हारी सोच सिर्फ यही तक सीमित है| मालूम है हिंदुस्तान का नाम छोटी के १३ देशो में आया है भ्रष्टाचार के मामले में| और इसमें पत्रकार कहीं नहीं है| तुम्हे क्या मालूम होगा इंटरनेट खोल कर कभी ये सब पड़ा लिखा होता तो जानते| भड़ास पढ़ लिया और करने नक़ल चले| इंटरनेट पर पोर्न साईट देखने से फुर्सत होगी तब न खबरे पढ़ोगे|
    लगता है किसी अख़बार के खबरनवीसे हो जो टीवी पर खिसिया रहे हो वर्ना घर में ही मुर्दे न उखाड़ते किसी गाँव में जाकर किसी कलावती पर हकीक़त लिखते|
    मुह छुपा कर मत लिखो…….. लिखना है तो खुल कर आओ और किसी को निशाना बना कर लिखो… वर्ना कलम छोड़ दो|

  6. mrigendra kumar

    June 24, 2010 at 9:43 am

    ji hayn ye hamare patrakaron ki scchai hai…. mere manihari(katihar) ki bat kare toh patrakarita dalili aur afsaron ki camchai ka hi nam hai …. patrakar log vi loot-pat ka ek netwark bana rakhe hayn… bus sam dhalte hi in logo ka sarab ke dukan(manihari bus stand) me roj mitting hoti hai …. ye log patrakarita me kam aur setting me jayeda rahate hayn … enko sirf pc chahiye ….. chaye aam log bhad me jaye …. dainik jagran ke patrakar Pritam ojha ke ghar pe ek garib nepali night gard rahata hai …. kuch jalsaj logon ne use murkh bana kar netwaking se kamai bata kar 50000/- rupiye thagi kar liye … parantu ptrakar mohaday ne unlogon ke khilaf kuch aawaj nhi uthai …. ulte jalsajon se kuch pc lekar chup baithe hayn … bechare garib nepali ka ro-ro kar bura hai hai …. jaye to kahan jaye …. use 50000/- rupiye nepal ki apni jamin bech kar layi thi …. kaisi ye parakarita hai…
    aisa nhi lagta ki patrakaron ne chand rupiyon keliye apni naitikta ko v tak mein rakh di hai?

  7. ved prakash shukla

    June 24, 2010 at 10:09 am

    shri maan ji chama chahta hu magar bharat desh me ”har kisi ka pao gutno tak sana hai ” yah baat puri tarah se satya hai aaj media ka astitv sirf chand sikko tak simit hai varna itna bura hall na hota desh ka ……….. patrakarita vidhyarthi

  8. ved prakash shukla

    June 24, 2010 at 10:25 am

    janab dalal he dalal bache hai desh me. patrkar to desh ajad hote he chal base .sharm aati hai desh ki ye halat dekh kar.ram jane kya hoga aage charo taraf sirf bhrastachar hai . mediya ne bhi apna tavar badal liya ……………. patrakarita vidhyarthi makhanlal

  9. atul saxena , gwalior

    June 24, 2010 at 2:39 pm

    janab aap jo bhi he lagta he aapme himmat ki kami he varna yu muh nahi chupate aur apna naam likhte. kisi par keechad uchalna bahut aasan hota he , janab yadi aap jila staer ke ek bhi patrakar ke sampark me aaye hote to pata chalta ki use kin paristithiyo me khak channi padti he aur aap he ki use hi gaali de rahe he, ha yah sahi he ki sabhi harishchandra ki aulad nahi he magar sabhi dalal bhi to nahi he , me poochna chahta hu aapko poori patrakaar kaum ko gali dene ka adhikar kisne de diya jo chale bak-bak karne, yashvantji pl naam sirf unhi logo ke chupaye jana chahiye jinhe article ke baad koi niji khtra ho , aise bakvas patra mat lijiye varna bhadas ki vishvasniyta par sawal khade hone lagange, kyonki ek bahut bada varg ab bhadas ko padne vala jisme buddhijivi shamil he pl dhyan dijiye.

  10. Abhishek singh

    June 24, 2010 at 7:36 pm

    पञकार कॊ या किसी कॊ भी गाली देना बहुत आसान हॊता है। लेकिन कॊई ये क्यॊ नहीं देखता कि करॊडॊं में खेलने वाले मीडिया मालिक जॊ पञकारॊं से पूरी ईमानदारी की अपेक्षा करते है वॊ उन्हें क्या दे रहे है। एक खबर कॊ कवर करने जाने वाले स्ट्रींगर का सौ दॊ सौ रुपया पेट्रॊल में खर्च हॊ जाता है और उसे मिलता क्या है दॊ सौ रुपए। कॊई उससे कैसे ईमानदारी की अपेक्षा कर सकता है। महानुभान ने लेख में लिखा है कि इन पत्रकारों को अगर कोई ऐसा मामला हाथ लग जाये जिससे सामने वाले को गर्दन फसती नजर आ रही हो फिर तो इनको मानो कुबेर का खजाना मिल गया हो. उससे सौदेबाजी बड़े स्तर की होती है. भाई साहब मॊटा मामला आने पर पञकार कॊ छॊडॊ कौन है जॊ सौदेबाजी नहीं करता। क्या मीडिया मुगल बने बैठे मालिक सौदेबाजी नहीं करते। बिचारे पञकार ने पांच दस हजार या पचास हजार ले लिये तॊ लगे उपदेश देने और ईमानदारी सिखाने। मालिक करॊडॊ की हेराफेरी करे तॊ वे समाज हित में काम कर रहे है। बंद कीजिये पञकार और स्ट्रींगरॊं कॊ गाली देना। बैठे ठाले मूड बन गया तॊ लिख दिया लेख। और गाली देनी है तॊ बडे पञकारॊं कॊ क्यूं नहीं जॊ लाइजनिंग में अरबॊ की हेराफेरी का हिस्सा बनते है लेकिन उनके तॊ चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेने में फक्र महसूस हॊता है ना।

  11. रमेश

    June 26, 2010 at 1:06 pm

    पञकारिता, दलालीकारिता क्‍या है ये ?
    सभी तो दलाल हैं यहां, कौन मालिक है? अभी हम ब्‍लाग में बहस लिख रहे हैं, इंटरनेट प्रोवाईडर दलाल है यहां, इंटरनेट व्‍यवसाय के लिये लायसेंस लेने में भी बीच में कई दलाल है, विविध प्रलोभन देने के लिये भी कई दलाल हैं नेट पर, नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर ब्‍लाग प्रकाशित करने वाला/वाली यह व्‍यक्तित्‍व भी किसी का दलाल ही है, यह समझ लेवेंगे तो दुबारा दलाल दलाल नहीं लिखेंगे

  12. mazhar husain

    June 30, 2010 at 10:49 am

    anshu जुआरी जी
    आपके विचार पढ़ कर शर्म आती है शायद आपको पता नहीं की जिलो में काम करने वाला स्ट्रींगर किस तरह से खबरों को मेहनत के साथ करता है और जब वह खबरों को करके लता है तो उसकी खबरों को प्रोफाइल के नाम पर कूड़ेदान में दाल दिया जाता है जहा तक वसूली की बात आपने लिखा है तो कुछ लोग तप ऐसे है ही लेकिन क्या सिर्फ जिलो में बैठे लोग ही करते है बल्कि लखनऊ और दिल्ली जैसे महानगरो राजधानियों में बैठे लोग तो और ही बेईमान होते है और ऐसे लोगो की तादाद जिलो से अधिक ही है! सुना है नाम का असर व्यक्ति पर अफ्हिक पड़ता है आपके नाम का असर आप पर लगता है कुछ ज्यादह ही पड़ा है आप जैसे लोगो की वजह से ही पत्रकारिता आज बदनाम है और पत्रकारों को दलाली के दलदल में धकेल दिया है.. अभी आपने जिलो में बैठे लोगो की परेशानियों को समझा नहीं या तो आपने कभी छोटे जिलो में काम नहीं किया वरना आपके विचार ऐसे नहीं होते जिलो क्या महानगरो में बैठे बड़े पदों पर बैठे पत्रकार भी दलाली और वसूली ज़रूर करते है और इसके ज़िम्मेदार भी आप जैसी सोंच वाले लोग ही है जिन्हें सिर्फ बुराई ही नज़र आती है और सबके बारे में गलत विचार ही रखते है! गंदे और लुटेरे किस्म के लोग तो हर जगह ही है चाहे वह जिला हो या महानगर इसका मौका देने वाले भी आप जैसे लोग ही है! और ऐसा नहीं है की जिलो में काम करने वालो की शैछिक योग्यता नहीं है आपसे भी ज्यादा योग्य और पढ़े लिखे लोग यहाँ है.. जो इमानदारी और पत्रकारिता को सेवा समाज कर करते है मुझे यह कहने में ज़रा भी हिचक नहीं की आज पत्रकारिता आप जैसी सोंच विचार वालो की वजह से ही मिशन नहीं रह गयी बल्कि व्योसाय हो गयी है! दुसरो पर कीचड उछालने से पहले क्या आपने अपने गिरेबान में कभी झाँकने की कोशिश किया नहीं किया तो ज़रूर कर लें ! और अगर कीच मुट्ठी भर लोगो ने इस पेशे में आकार गन्दा कर दिया दलाली करने लगे तो इस गन्दगी को साफ़ करने की पहल करनी चाहिए कोशिश करनी चाहिए और दलाल किस्म के लोग तो हर जगह है चाहे वह जिला हो या राजधानी यह आप भी जानते है.. क्या कभी आपने इस गन्दगी को साफ़ करने की कोशिश किया या आपका काम सिर्फ बयानबाज़ी ही है अगर सचमुच आपकी सोंच ऐसी है आप इस गन्दगी को साफ़ करना चाहते है तो हम भी आपके साथ है हम भी जिले में ही रह कर पत्रकारिता से जुड़े है लेकिन मैं पत्रकारिता में पैसा कमाने नहीं बल्कि सेवा भाव से आया हूँ और जिस दिन पैसा कमाने की बात आएगी उस दिन पत्रकारिता छोड़ किसी कम्पनी में छोटी मोती नौकरी करूँगा पत्रकारिता नहीं दस वर्ष हो गए है लेकिन कोई ऊँगली उठाने वाला नहीं ये हम अपनी तारीफ नहीं कर रहा बल्कि यह हकीकत है… और आगे भी सेवा ही करूँगा लेकिन आपने तो सारे स्ट्रिंगरों को ही दलाल और वसूली करने वाला कह दिया मैं आपके इस विचार से सहमत नहीं लेकिन पत्रकारिता में कुछ ऐसे लोग है ही जो सिर्फ दलाली और वसूली ही करते है लेकिन ऐसे लोग हर जगह है चाहे वह जिला हो या महानगर या राजधानी

  13. mazhar husain

    July 1, 2010 at 10:49 am

    in mhashay ka naam Anshu Juari hai Aajkikhamar.com par inka lekh naam ke saath hai Bhadas par Naam Likhne se mana kyo kardiya kya sirf isliye ki Naam likhne par Gali Naam ke saath milegi………inse Bada Dalaal kaun hai bhai agar ye Doodh ke Dhule hote to apna naam Zaroor Likhte…Dalaal Kahike

  14. anuj gupta Reporter weekly News

    July 5, 2010 at 3:58 pm

    SIR congratulations…………. mujhe ye jaankar bahut khushi hui.ab AAp up kanpur mein bhi isko launch kaaren.mujhe viswaas hai ki hamara apna dainik bhaskar kanpur mein bhi winner hoga.mai bha dainik bhasfkar ka employee banane ka icchuk hun.

  15. Akhilesh Tiwari

    July 14, 2010 at 4:20 am

    Bhai sahab aapne lagata abhi tak stringrs ki dard ko nahi samjha hai. Stringr ko dalal kahane se pahle apko yah sochana hoga ki apne sari viradari ko gali di hai.apko yah adhikar kisne de diya. Mana ki aap bahut nek dil k hain lekin aap bhi dalali karte honge tabhi aap dusaro par anguli utha rahe hai. Apko pata hai ki kisi k taraf 1anguli uthane par 4anguli apne targf isara karti hai.

  16. Raviprabhakar

    August 26, 2010 at 5:11 pm

    Manihari(katihar) me kuch log mamle ki puri jankari ke bima pritam ojha par bebuniyad aarop lagate hai ye galat hai

  17. mrgendrg kumar(katiharlive.blogspot.com)

    August 27, 2010 at 2:56 pm

    dear pritam bhaiya ji ,rajesh ji,ravi pravakarji,and all manihari(katihar) ke press wale bhiya ji.sachhi kya h ye svi janten hayn.khas kar manihari ki aawam v.mere naam ko use kar kisi tej aadmi ne pritam bhaiji per bebuniyad aarop lagaya h, aaj wo nepali agar manihari me aapni pariwar ke sath jindagi ji raha h toh wah pritam bhaiya ji ke rahamo karam per,pritam bhiya ke help se hi nepali ko sari subidhayen milti h aur uska manihari me gujar-basar ho raha h. Mera nam ko use kar kisi ne abhadra kam kiya h… Agar mujhe likhna hi tha toh mai apne blog katiharlive.blogspot per v toh likh sakta tha,jiska mai khud editor v who… Ye galat salat likhne walo ko ye pata h ki mai writing me intrest rakhta who aur unhme mere nam ka istmal kiya h bus. Such kya hota h ye tnh svi janten hyn.
    Mriendra kumar(katiharlive)

  18. mrgendrg kumar(katiharlive.blogspot.com)

    August 27, 2010 at 2:58 pm

    pritam ji ye aarop galat h.

  19. katiharlive

    September 4, 2010 at 11:23 am

    Aaj ke patrakaron ki waitha ………….. mafi chahunga mere manihari(katihar) ke press wale bhai anaytha n len ……

    जनतंत्र का प्रगति पथ
    सड़ गया गेहूं तो सड़ने दो
    मरती है जनता तो मरने दो
    हम क्यूँ सोचें उनकी अभी
    भूखी लाशों को तड़पने दो

    हादसा हर एक होगा यहाँ
    बढ़ आती है तो आने दो
    पुल जो बहते हैं तो बहने दो
    लोग जो मरते हैं मरने दो

    बांध टूटते हैं तो क्या हुआ
    फसलें सडती हैं तो सड़ने दो
    अपना है हर हाल में ही फायदा
    भूख कुछ और भड़कने दो

    माल कुछ आयत होने दो
    देश का कल्याण होने दो
    महंगाई कुछ और बढ़ने दो
    हमको मालामाल होने दो

  20. mrigendra kumar (katihar live)

    September 4, 2010 at 11:28 am

    patrakaron ki waytha …………. plz koi anatha n leeee…

    जनतंत्र का प्रगति पथ
    सड़ गया गेहूं तो सड़ने दो
    मरती है जनता तो मरने दो
    हम क्यूँ सोचें उनकी अभी
    भूखी लाशों को तड़पने दो

    हादसा हर एक होगा यहाँ
    बढ़ आती है तो आने दो
    पुल जो बहते हैं तो बहने दो
    लोग जो मरते हैं मरने दो

    बांध टूटते हैं तो क्या हुआ
    फसलें सडती हैं तो सड़ने दो
    अपना है हर हाल में ही फायदा
    भूख कुछ और भड़कने दो

    माल कुछ आयत होने दो
    देश का कल्याण होने दो
    महंगाई कुछ और बढ़ने दो
    हमको मालामाल होने दो

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