श्रीपाल शक्तावत ने मुकदमा करके बहुत अच्छा काम किया है. यह एक अच्छी कोशिश है. इसकी सराहना होनी चाहिए. बैगर किसी नाम के किसी पर आरोप लगाना कहां तक सही है. ब्लॉग एक माध्यम है अपनी बात कहने का. ब्लाग बहुत सारे लोगों को आज की तारीख में एक मंच प्रदान कर रहा है. इस माध्यम का अगर कोई अपने स्वार्थ में दुरुपयोग करे तो उसे ऐसी सीख मिलनी चाहिए जो दूसरों के लिए भी एक सबक हो. श्रीपाल शक्तावत को मैं निजी तौर पर जानता हूं. हमने सहारा समय और वायस ऑफ़ इंडिया में वर्षों साथ काम किया है. यह वही श्रीपाल शक्तावत हैं जिनका नाम Shripal Shaktawat अगर आप गूगल में टाइप करके सर्च करेंगे तो अंदाजा हो जायेगा की इस शख्स को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितना नाम और सम्मान मिला है.
इसलिए यह हो सकता है कि अगर मैं उनकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और दूसरों के लिए अपनी नौकरी दाव पर लगाने के साहस के बारे में कुछ कहूं तो लोग मेरी राय को एकतरफा मान लें. अपनी टीम के साथ खड़े रहने वाले श्रीपाल शक्तावत के साथ जिन्होंने भी सहारा समय में या वायस आफ इंडिया में काम किया, उन्हें पता है कि वह किस तरह दूसरों की खातिर मैनेजमेंट की आख में चुभते थे लेकिन पीछे हटने की बजाय अपनी बात रखने से नहीं चूके. इससे श्रीपाल को हमेशा नफे की बजाय नुकसान ही उठाने पड़े हैं. जुबान की कीमत समझने वाले श्रीपाल शक्तावत को चरित्रवान कहलाने के लिए किसी के प्रमाण पत्र की जरूरत ही नहीं है.
खैर, मेरा मकसद यहां पर श्रीपाल शक्तावत का बचाव करना या उनके पक्ष में खड़े होना नहीं है. मैं ब्लॉग के जरिए किसी पर कीचड़ उछालने की प्रवृत्ति के खिलाफ श्रीपाल के संघर्ष में उनके साथ खड़ा हूं. दूसरों पर इल्जाम लगाने वाले बेनामी लोगों को सामने आने का साहस होना चाहिए. ब्लॉग में जो कमेन्ट प्रकशित किये गए, वो किसने भेजे, यह पता लगाना आज की तारीख में कोई मुश्किल काम नहीं है. अगर वो कमेन्ट सही है तो उन लोगों को सामने आना चाहिए. अपने शब्दों को प्रमाणित करना चाहिए. इसमें अविनाश खुद को शामिल नहीं मानते तो उन्हें श्रीपाल शक्तावत का साथ देते हुए खुद की बेगुनाही प्रमाणित करनी चाहिए.
–मुकेश राजपूत
टीवी जर्नलिस्ट
चंडीगढ़