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हिंदुस्तान में पहाड़ लाबी अब मैदान से बाहर

नवीन जोशी का काम आज से होगा कम : वाराणसी के आरई रवि पंत के कार्यकाल का अंत : जैसे अमर उजाला में शशि शेखर के जमाने के पत्रकारों पर जुल्मो-सितम ढाए जा रहे हैं, वैसे ही हिंदुस्तान में मृणाल पांडेय के करीबियों पर कहर जारी है. मृणाल के खास स्थानीय संपादकों में से एक रवि पंत इन दिनों बेरोजगार हैं. मृणाल के सबसे मजबूत स्तंभ नवीन जोशी की मजबूती कम करने के लिए आज लखनऊ में हिंदुस्तानी संपादकों की बैठक है. उनसे वेस्ट यूपी का इलाका आज छिन जाएगा.

<p align="justify"><font color="#003366">नवीन जोशी का काम </font><font color="#003366">आज से होगा कम </font><font color="#003366">: वाराणसी के आरई रवि पंत के कार्यकाल का अंत : </font>जैसे अमर उजाला में शशि शेखर के जमाने के पत्रकारों पर जुल्मो-सितम ढाए जा रहे हैं, वैसे ही हिंदुस्तान में मृणाल पांडेय के करीबियों पर कहर जारी है. मृणाल के खास स्थानीय संपादकों में से एक रवि पंत इन दिनों बेरोजगार हैं. मृणाल के सबसे मजबूत स्तंभ नवीन जोशी की मजबूती कम करने के लिए आज लखनऊ में हिंदुस्तानी संपादकों की बैठक है. उनसे वेस्ट यूपी का इलाका आज छिन जाएगा. </p>

नवीन जोशी का काम आज से होगा कम : वाराणसी के आरई रवि पंत के कार्यकाल का अंत : जैसे अमर उजाला में शशि शेखर के जमाने के पत्रकारों पर जुल्मो-सितम ढाए जा रहे हैं, वैसे ही हिंदुस्तान में मृणाल पांडेय के करीबियों पर कहर जारी है. मृणाल के खास स्थानीय संपादकों में से एक रवि पंत इन दिनों बेरोजगार हैं. मृणाल के सबसे मजबूत स्तंभ नवीन जोशी की मजबूती कम करने के लिए आज लखनऊ में हिंदुस्तानी संपादकों की बैठक है. उनसे वेस्ट यूपी का इलाका आज छिन जाएगा.

पहले बात करते हैं रवि पंत के बारे में. हिंदुस्तान, वाराणसी के स्थानीय संपादक थे. उसके पहले हिंदुस्तान, मेरठ की यूनिट के आरई हुआ करते थे. मृणाल के जमाने में रवि पंत की भर्ती की गई थी. लो प्रोफाइल रहने वाले रवि पंत तब दैनिक जागरण, मेरठ में आए ही आए थे कि उन्हें अचानक हिंदुस्तान की ‘पहाड़ लाबी’ ने पसंद कर लिया और देखते ही देखते न्यूज एडिटर फिर आरई की पदवी दे दी गई. मेरठ में हिंदुस्तान की लांचिंग रवि पंत के नेतृत्व में कराई गई. बाद में उन्हें वाराणसी का स्थानीय संपादक बना दिया गया. अचानक चीफ सब से आरई बन गए रवि पंत को मृणाल पांडेय के खास संपादकों में शुमार किया जाता था, सो, उनकी कुर्सी हिलने के कहीं दूर-दूर तक आसार नहीं थे.

पर समय का पहिया घूमा और न सिर्फ मृणाल अचानक कुर्सी छोड़ जाने को मजबूर हुईं बल्कि उनके खासमखास प्रमोद जोशी को भी बाद में रिटायरमेंट लेना पड़ा. दिनेश जुयाल अमर उजाला में आ गए. इस तरह शशि शेखर के आने के बाद पुराने स्थानीय संपादक, खासकर जो पहाड़ लाबी का प्रतिनिधित्व करते थे, अचानक सक्रिय हो गए और नए ठिकाने तलाशने शुरू कर दिए. जिनका यहां-वहां हो गया, वे तो निकल लिए. जैसे दिनेश जुयाल, हिमांशु घिल्डियाल, योगेश्वर दत्त सुयाल आदि. जिन लोगों का नहीं हो सका, उनमें एक हैं रवि पंत. उन्हें पहले चेतावनी दी गई कि नई नौकरी खोज लें. चेतावनी की अवधि तक जब कहीं कुछ बात बनी नहीं तो रवि पंत अब चुपचाप अपनी कुर्सी छोड़कर घर बैठ गए हैं.

रवि पंत ने भी बहुत कोशिश की पर उनका दुर्भाग्य कि उनका मामला कहीं जमा नहीं. उन्हें हिंदुस्तान प्रबंधन ने पहले ही बता दिया था कि वे नई जगह तलाश लें. रवि पंत के बनारस में रहते ही पिछले दिनों राजकुमार सिंह को न्यूज एडिटर बनाकर लाया गया और एक दिन उन्हें रवि पंत की आरई वाली कुर्सी पर बिठा दिया गया. हालांकि राजकुमार आरई पद पर नहीं हैं लेकिन रवि पंत की कुर्सी पर बैठने से यह यकीन हो चला है कि रवि पंत बनारस के आरई पद पर नहीं रहे और उनकी जगह अब राजकुमार न्यूज एडिटर के रूप में यूनिट देखेंगे. हालांकि अधिकृत तौर पर रवि पंत का कहना है कि वे अवकाश पर चल रहे हैं और खराब स्वास्थ्य की वजह से अवकाश पर हैं. पर सूत्र कहते हैं कि रवि ऐसे अवकाश पर हैं जो कभी खत्म नहीं होने वाला है.

इसके बाद ताजी खबर ये है कि मृणाल पांडेय के जमाने के सबसे मजबूत स्तंभ माने जाने वाले नवीन जोशी की मजबूती भी दरकने लगी है. उनके क्षेत्राधिकार में कटौती कर दी गई है. वे अब पूरे यूपी के सर्वेसर्वा नहीं रहे. उनसे वेस्ट यूपी का इलाका ले लिया गया है. इन इलाकों का दायित्व शशि शेखर के खासमखास, जो अमर उजाला से चलकर आए हैं, सुधांशु श्रीवास्तव को सौंप दिया गया है. इस तरह सुधांशु श्रीवास्त दिल्ली, वेस्ट यूपी (मेरठ, बरेली, आगरा), उत्तराखंड और चंडीगढ़ के एडिशनों के इंचार्ज होंगे. नवीन जोशी के लिए यह एक बड़ा झटका है और उनके लिए साफ संकेत है कि शशि शेखर के रहते हुए उनके आगे के दिन आसान नहीं हैं. उनकी घेराबंदी आगे भी इसी तरह होती रहेगी.

पर नवीन जोशी भी मझे हुए पत्रकार व खिलाड़ी हैं. इतनी जल्दी और इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं. बहुतों को नाच नचाया है और पानी पिलाया है. एचटी व हिंदुस्तान प्रबंधन में नवीन जोशी की मजबूत पैठ है. इस कारण तमाम हमलों के बावजूद उनका बाल बांका कर पाना इतना आसान नहीं होगा. हां, ये संभव है कि शशि शेखर लाबी नवीन जोशी को अपमानित करने के लिए समय-समय पर नए-नवेले तरीके निकालती रही ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे. लखनऊ में आज यूपी के संपादकों की बैठक है जिसमें नवीन जोशी और सुधांशु श्रीवास्तव के बीच कार्य विभाजन पर अंतिम मुहर लग जाएगी.

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0 Comments

  1. Dhruv Rautela

    April 21, 2010 at 5:37 am

    naveen joshi patrkar hai wah bhi kabil aur imandar na ki koi chalbaj ya farebi manager type nakli patrkar.
    Dhruv Rautela.

  2. ashutosh bajpai

    April 21, 2010 at 7:55 am

    yah kaya kar rahe hain sashi ji
    ravi aur navin badhiya editor hain unka kam bhee kafi accha hai
    ashutosh bajpai

  3. brijesh singh

    April 21, 2010 at 8:16 am

    naveen joshi ki nigah mean sirf pahari he patarkar hea. hindustana mean pahari logo ko jis taraha se unhone parmote kiya, uss taraha kisi bhi editor ne kanhi bhi nahi kiya hoga. pahari ka chasana lagaye anaveen joshi ko apaan rasta khoj lena chiee

  4. राजेश कुमार

    April 21, 2010 at 8:57 am

    राजेश कुमार
    हिन्दुस्तान में हमारे एक वरिष्ठ सहयोगी ने अजय उपाध्याय के संपादक बनने के समय चली भर्ती के दौरान चिंता जताई थी कि अब यहां भविष्य अच्छा नहीं है। अजय उपाध्याय के समय भरे गए लोग मृणाल पांडेय के आते ही निकाल दिए गए। बाद में पुराने लोगों को साजिश करके निकाल गया। उस समय भी उन्होंने कहा कि देखों आज जो पुराने लोगों के साथ हो रहा है कुछ समय बाद इन पहाडियों के साथ भी यही होगा। उनकी बात सच हो रही है। जो कुछ शशिशेखर कर रहे हैं. वह भी अच्छा नहीं है। कब तक रहेंगे शशिशेखर पांच-छह साल। उसके बाद क्या होगा। जो खुश होकर बड़ी तनख्वाह पर बड़े पदों पर आ रहे हैं। नए संपादक के आने के बाद उनका क्या होगा।

  5. manorath mishra

    April 21, 2010 at 9:51 am

    शशि शेखर जब जाएंगे-तब जाएंगे। हममें से तमाम लोग इस जीवन उद्देश्य में लगे हैं कि कोई बड़े पद से नीचे उतरे तो उसको गालियां दे, मुसीबत तब आती है जब वह शख्स उससे बड़े पद पर चला जाता है तो हमारा इंतजार और लंबा हो जाता है। अपने आसपास ऐसे १००० लोग पाता हूं जो कहते हैं कि मैने जिन्दगी में किसी को सेटा नहीं। भाई जिन्दगी कुछ करने के लिए बनी है। छाया-युद्ध के लिए नहीं। इन जैसों से भले तो वो हैं, जो कुछ करते हैं। गलत भी उन्हीं से होता है। जो सिफॆ दूसरों की बखिया उधेड़ने के राष्ट्रीय कमॆ में लगे हैं, उनसे क्या उम्मीद। शशि शेखर इस समय प्रासंगिक हैं, कल कोई और होगा। इससे कौन इंकार करता है। आप सोचिए, कल मृणाल पांडेय के नाम पर ब्लाग भरे रहते थे, आज शशि शेखर के हवाले से। कल को तीसरा चेहरा आएगा, लेकिन हम तब क्या उसके छिद्रान्वेषण पर ही उम्र गुजार देगें।
    डा. मनोरथ मिश्र

  6. banarasi pandit

    April 21, 2010 at 10:28 am

    ravipant ko jo bhi mahaan sampadaak bana rhae ho. uknko banras ke bare mea a..b.. c. d bhi jaankari nhai hea. banaras mea hindustan ko baaja bjane mea ravipant ko jitana yogdaan hea. utana launch ke baad kisi editor ne nahi kiya. uskni team ke log sarab mafiya se milkar jahree saraab kaan ke logo ko bacckar khud maalmal hoka car se chalene lage, hindustan ko kangal kar diya. hindustan varanasi ko uske man-mijaj ka jabtaka sampaadak shashishekher nahi denge tabtak kuch honewala nahi hea.
    naveen joshi to desh ke mahaan patarkar hea. woh appnai sari mahhanate pahariyeno ko he pad aur paisa dene mea dikhate hea. hindustan lucknow ki launching se jo log uske sath jure the woh iss bat ke gavah hea. ajj ke lavande iss baat ko nahi janege. sri naveen joshi ne jitane logo ko aage kiye sab pahari hea. yaeh jo unki seva mea lage rahe. dil mea maidan ke logo se jalan rakhanwale naveen joshi ko abb apane kiye ki sazza milane ka sriganesh ho gaye.baba viswnath unke andar saamye pahari ki aatama ko hindustan ki aatama banane ko asirwad de nahi to kiska kalyana hoga sirf naveen joshi ko malum he ya unke chintuua ko…

  7. praneeta mishra

    April 21, 2010 at 11:31 am

    kum se kum naukari dhoondhne ka samay to diya achanak bulakar isteefe par dastkhat to nahin karaye.vaise pahad kaal me seedhe senior sub editor se editor banane ke jaise anokhe prayog hue vaise to poore patrakarita ke itihaas me nahin milenge.aur kya vo 13 log inhen yaad nahin aa rahe hain jinke peechhe poora pahad pil gaya tha?

  8. nikhil

    April 21, 2010 at 2:58 pm

    shashi shekhar ne amar ujala ko jo uchai dee hai wo bemisal hai. naveen ji puraney khiladi hai aur sudhanshu ji bhe yogya patrakar hain aur unka carrier graph bhi kafi badhiya hai. main dono ke saath hindustan main kam kar chuka hoon.
    bhai bhatijawad ka chalan kahan nahi chalta.shashi ji ko u.p. main jagran aur ujala se takkar leni hai to team bhee usee hisab se tyar karni paregi. rahi baat mrinal pandey ke to she was the right person in wrong place. ek sahitayakar patrakarita se door hi rahe to behtar for him and for paper also.

  9. sandas singh

    April 22, 2010 at 3:17 am

    aadarneeya praneeta mishra ji, pahad kaal me seedhe senior sub editor se editor banane ke jaise anokhe prayog ka koi udaharan bhee deteen to behatar tha. Ravi Shankar Pant ke paas aaj ke anek sampadakon se jyada varsh aur behatar kam karane ka anubhav hai. yah bhee dekhe ki Shashi shekhar ki haisiyat Amar Ujala me aane ke pahale kya thee. Agale chhah maheene me unakee haisiyat ka pataa lag jayega.

  10. B SINGH

    April 22, 2010 at 8:31 am

    शशी जी आप समझदार है। खबरिया चैनल के जिन लोगों को आप ने भर्ती किया है। उनका इतिहास भूगोल जान लिजियेगा।

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